पत्र बमों के साये में जयराम सरकार- अब सीमेन्ट को लेकर वायरल हुआ पत्र

Created on Tuesday, 20 November 2018 10:05
Written by Shail Samachar

महिला नेत्री के शिकायत पत्र को ‘‘मीटू’’ का अन्दाज देने वाले पत्रकारों को धर्मा ने भेजे एक करोड़ के नोटिस
शिमला/शैल। क्या प्रदेश की भाजपा सरकार और संगठन के भीतर कोई लावा उबलना शुरू हो गया है? यह सवाल पिछलेे कुछ अरसे में वायरल हुए कुछ पत्रों के बाद उठना शुरू हुआ है। क्योंकि सबसे पहले एक पत्र वायरल हुआ मुख्यमन्त्री के दोनों ओएसडी धर्मा और धर्माणी को लेकर। इस पत्र में दोनोें की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये गये थे और पत्र लिखने वाले ने स्वयं को आरएसएस का सक्रिय कार्यकर्ता होनेे के दावा किया था। यह पत्र कई दिन तक मीडिया में चर्चा का विषय बना रहा लेकिन संघ या सरकार की ओर सेे इस पर कोई प्रतिक्रिया नही आयी।
इस पत्र के बाद कुल्लु की एक महिला नेत्री आशा महंत का एक भाजपा के प्रदेश संगठन मन्त्री पवन राणा के नाम लिखा शिकायती पत्र सामनेे आ गया। मीडिया के कुछ हल्कों में इस पत्र को ‘‘मीटू’’ का अन्दाज दे दिया गया। वैसे इस पत्र में महिला नेत्री ने ऐसा कुछ नही कहा है जिसे ‘‘मीटू’’ की संज्ञा दी जा सके। इस पत्र को लेकर मुख्यमन्त्री की प्रतिक्रिया आ गयी। उन्होंने इस शिकायत को नकारते हुए इसे पिछले चुनावों में रही इस नेत्री की भूमिका से जोड़ दिया। लेकिन मुख्यमन्त्री की प्रतिक्रिया में यह स्पष्ट नही किया गया कि इसमें ‘‘मीटू’’ जैसा कुछ नही है। शायद इसी कारण से कुछ मीडिया इसे ‘‘मीटू’’ के अन्दाज में ले बैठा जिस पर शिशु धर्मा ने उस मीडिया को माफी मांगने और एक करोड़ का हर्जाना भरने का नोटिस दिया गया। इस नोटिस के बाद स्थिति और रोचक हो गयी है कि मीडिया और शिशु धर्मा में से कौन अपने स्टैण्ड पर कायम रहेगा। वैसे माना जा रहा है कि यह नोटिस मुख्यमन्त्री के संकेत के बाद ही दिये गये हैं।
अभी इन दो पत्रों की आंच शान्त भी नही हुई है कि एक तीसरा पत्र वायरल हो गया है। इस पत्र में जयराम सरकार के दस माह के कार्यकाल में ही सीमेन्ट की कीमतों का अप्रत्याशित रूप से बढ़नेे का मुद्दा उठाया गया है। यह सही है कि इन दस महीनों में ही प्रदेश की सीमेन्ट कंपनीयों ने दो बार सीमेन्ट के दाम बढ़ाये हैं यह दाम बढ़ने से पहले सीमेन्ट कंपनीयों के प्रबन्धकों और उद्योग मन्त्री तथा मुख्यमन्त्री के बीच बैठकें होने का जिक्र किया गया है। उससे स्पष्ट हो जाता है कि इस तरह की बैठकें होने की जानकारी मुख्यमन्त्री के कार्यालय और उनकेे आवास के सूत्रों के सहयोग के बिना सामने नही आ सकती है। इस पत्र में उद्योग मन्त्री और देहरा के विधायक होशियार सिंह के बीच सीमेन्ट कीमतों को लेकर हुए विवाद की ओर भी संकेत किया गया है। होशियार सिंह आज भाजपा के सहयोगी विधायक हैं। यह पत्र ऊना, हमीरपुर और देहरा में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पत्र के वायरल होने के बाद पार्टी प्रमुख सत्तपाल सत्ती और उद्योग मन्त्री के बीच लंबी बैठक भी चर्चा का विषय है। यही नहीं इसके बाद सत्तपाल सत्ती और मुख्यमन्त्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुण्डु के बीच भी लंबी बैठके हुई हैं। विजिलैन्स का काम कुण्डु ही देख रहे हैं। इन बैठकों के बाद गुप्तचर ऐजैन्सीयां भी इस पत्र को लेकर काफी गंभीर हो गयी हैं। माना जा रहा है कि यह पार्टी के उन हल्कों से आया है जो आज सरकार और संगठन में मुख्य भूमिका में नही रह गये हैं लेकिन पार्टी और सरकार के भविष्य को लेकर बहुत गंभीर हैं। यह भी माना जा रहा है कि निकट में इस तरह के कई खुलासे दस्तावेजी प्रमाणों के साथ सामने आयेंगे।
अगले वर्ष के शुरू में ही लोकसभा चुनाव आने हैं। आज इस तरह के पत्र वायरल होने से यह स्पष्ट हो गया है कि संगठन और सरकार में सब कुछ ठीक- ठाक नही है। आज कांग्रेस विपक्ष के नाते सरकार पर जितनी भारी पड़ती जा रही है उसके मुकाबले में भाजपा, कांग्रेस को घेरने में पूरी तरह असफल सिद्ध हो रही है। मुख्यमन्त्री के अतिरिक्त इस संद्धर्भ में कोई भी गंभीर नज़र नही आ रहा है लेकिन इसी के साथ यह माना जा रहा है कि विजिलैन्स ने जिस तरह से कुछ पुराने मुद्दों को कुरेदने का काम शुरू किया है उनका अन्जाम भी ही कहीं एचपीसीए जैसा ही न हो।
                          शिकायत और उस पर गया नोटिस