पन्ना प्रमुखों के सम्मेलन में राहुल-प्रियंका पर अमित शाह की प्रतिक्रिया क्या सियासी घबराहट है

Created on Wednesday, 30 January 2019 06:53
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। भाजपा द्वारा आयोजित पन्ना प्रमुख सम्मेलनों के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या इन सम्मेलनों के सहारे ही चुनाव जीता जा सकता है? यह सवाल इसलिये उठने लगा है क्योंकि एक लोकसभा क्षेत्र में कई लाख मतदाता होते हैं। एक विधानसभा क्षेत्र में ही औसतन एक लाख से अधिक लोग होते है। चुनाव आयोग जब मतदाता सूचियां तैयार करता और छापता है तब एक पृष्ठ पर कई मतदाताओं के नाम छप जाते हैं और इस छपे हुए पृष्ठ को पन्ना की संख्या दी गयी है। इस तरह एक चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं के नाम हजारों पन्नो पर छपे होंगे और एक पन्ने पर भी दर्जनो नाम दर्ज होंगे। ऐसे में इन पन्ना प्रमुखों को ही भाजपा का प्रतिनिधि मानकर चलना कितना लाभकारी सिद्ध होगा यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेंगे। इसी के साथ जब यह पन्ना प्रमुख अपने गांव, गली, मोहल्ले में पार्टी का प्रचार करने निकलेंगे तो सबसे पहले आम आदमी के सवालों का इन्ही को जबाव देना होगा। अच्छे दिनो के नाम पर हर आदमी के खाते में आने वाले पन्द्रह लाख कहां गये? पैट्रोल डीज़ल के दाम क्यों बढ़े? मंहगाई क्यों कम नही हुई? उनके आसपास कितने युवाओं को रोजगार मिल पाया? और नोटबंदी में कितना कालाधन सामने आया? यह सारे सवाल इन्ही से पूछे जायेंगे और इन सवालों का जबाव जब बड़े नेताओं के पास नही है तो यह लोग कहां से जवाब दे पायेंगे। इस तरह से यह सम्मेलन अन्ततः घातक भी सिद्ध हो सकता है। यह आशंका भी कुछ हल्कों में उतरने लग पड़ी है।
अभी जब से कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है तभी से भाजपा के हर छोटे-बड़े नेता की प्रतिक्रिया इस पर आनी शुरू हो गयी है। इन प्रतिक्रियाओं में तथ्यों के साथ -साथ भाषायी मर्यादा का स्तर भी बहुत नीचे आ गया है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रियंका के आने से हर छोटा -बड़ा नेता अपने-अपने स्तर पर बुरी तरह हिल गया है। क्योंकि यह एक स्थापित सत्य है कि राजनीति मे गाली उसी को दी जाती है जिससे डर लगता है। जिससे डर नही होता है उसे नज़रअन्दाज कर दिया जाता है। उसका सभाओं में नाम नही लिया जाता है क्योंकि नाम लेने से ही उसका आप अपरोक्ष में प्रचार कर जाते हैं। प्रियंका के महासचिव बनने के बाद पहली बार हिमाचल के ऊना में पन्ना प्रमुखों के सम्मेलन को सम्बोधित करने आये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह की प्रतिक्रिया इस तथ्य की पुष्टि कर जाती है। क्योंकि यह प्रमाणित हो चुका है कि भाजपा नेतृत्व ने राहुल का जितना नेगेटिव प्रचार किया उसी के कारण वह हर आदमी के फोकस में आये और उनका आकंलन होना शुरू हुआ। इसी आंकलन के परिणामस्वरूप गुजरात और कर्नाटक में कांग्रेस की स्थिति में भारी सुधार हुआ तथा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें बन गयी।
ऊना के सम्मेलन में अमित शाह, राहुल- प्रियंका से लेकर वीरभद्र सिंह पर निशाना साध गए। यही नहीं वह कांग्रेस नेताओं को डीलर कहने से भी नहीं चूके। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के जलवे की जगह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जलवा दिखाने की कोशिश भी इस सम्मेलन के जरिए की गई। इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश को ऐसी सरकार चाहिए जिसे कोई लीडर चलाए। ऐसी सरकार नहीं चाहिए जिसे कोई डीलर चलाए।
यही नहीं फौजी बहुल हमीरपुर संसदीय हलके को देखते हुए उन्होंने वन रैंक वन पैंशन मसले को भी अलग रंग दिया और कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा कि कांग्रेस के लिए ओआरओपी का मतलब हैं ओनली राहुल-ओनली प्रियंका। कांग्रेस पार्टी पर यह फौजियों की आड़ में यह तीखा हमला हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के केंद्र में सता में आने के बाद ओआरओपी का अपना वादा पूरा किया। अमित शाह ने जयराम ठाकुर की जमकर पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि उन राज्यों में से जिनके जवान देश की सीमा को बचाने के लिए जान देता हैं। एक ही प्रदेश ऐसा है देश में जिसे चार-चार परम वीर चक्र मिले हैं। उन्होंने कहा कि 70 सालों तक फौजियों के सम्मान की किसी ने सुध नहीं ली। लेकिन मोदी सरकार ने सता में आते ही यह सम्मान दिया।
मोदी ने दिया ओआरओपी सेना के जवानों को दिया। शहीद की विधवा को दिया। उन्होंने दिया ओनली राहुल ओनली प्रियंका को वन रैंक-वन पैंशन दिया। नए किसम का वन रैंक वन पैंशन हैं। हमारे जवानों के लिए उनका वन रैंक वन पैंशन वाड्रा गांधी परिवार को दिया।
भाजपा व कांग्रेस में यही अंतर हैं। प्रदेश की कंदराओं में मोदी ने काम किया। चप्पे-चप्पे में काम किया। दुनिया के लिए रेबीज की बीमारी होती है उपचार की पद्धति पर काम किया उन्हें अवार्ड दिया। दिल्ली के गलियारों में घूमते थे उनको मिलते थे। मोदी सरकार ने उमेश कुमार भारती को अवार्ड दिया। हजारों वैज्ञानिकों का सम्मान किया।
उन्होंने अपने व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र वीरभद्र सिंह को भी नहीं छोड़ा। वीरभद्र सिंह को कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना रखा है। शाह ने कहा कि कांग्रेस की पांच साल की सरकार में राजा, रानी और राजकुमार के अलावा किसी का स्थान नहीं था, अब जयराम ठाकुर की सरकार में जनता को लगता हैं कि जनता की खुद की सरकार हैं। शाह ने राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो लोग 650 करोड़ रुपए की चोरी में जमानत पर घूम रहे हैं, वह मोदी पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई भारत मां के टुकड़े करने की बात करेगा तो मोदी सरकार उसे सलाखों के पीछे भेज देगी।
इस मौके पर आश्चर्यजनक तौर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि पिछली बार तो भाजपा के पास कुछ नहीं था। लेकिन इस बार तो केंद्र में ही नहीं प्रदेश में भी भाजपा की सरकार हैं। उन्होंने कहा के मोदी का कोई विकल्प हैं। जयराम सरकार की एक साल की सरकार की तारीफ की। जयराम सरकार का कोई विकल्प नहीं हैं। शांता कुमार ने आगह किया कि चुनाव चुनाव होता हैं। इसलिए लापरवाही न हो। एक पल की खता सदियों की सजा दे जाती हैं। उन्होंने कहा कि भारत, व प्रदेश की चिंता न करे केवल अपने पन्ने की चिंता करे।
सम्मेलन में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस बार भी नया इतिहास रचेंगे व दोबारा चारों सीटें जीतेंगे। पिछले पांच साल की सरकार में कोई एक रुपए का भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा पाए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मौके पर कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार को बने हुए एक साल एक महीना एक दिन हुआ हैं। 68 में से 65 हलकोें का दौरा पूरा कर चुका हूं।
समस्याओं का समाधान के लिए लोगों के बीच जाने की जरूरत है। सरकार लोगों के पास पहुंचे इसलिए जनमंच कार्यक्रम शुरू किए। कांग्रेस के लोग जनमंच के नाम पर परेशान हैं।
समझ लीजिए की अगर कांग्रेस परेशान हैं तो काम ठीक हो रहा है। आने वाले समय में जनमंच कार्यक्रम को और मजबूत करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी जरूरत पड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ कर मदद की। उन्होंने कहा कि प्रदेश से चारों सीटों पर भाजपा जीतेगी।