शिमला/शैल। कानून के निर्माता और विकास के प्रतीक होते हैं हमारे सांसद यह आम की धारणा है। इस धारणा पर कौन कितना खरा उतरता है इसका आंकलन करने के लिये कोई कसौटी नही बन पायी है। जहां इन लोगों को कानून के निर्माताओं की संज्ञा दी जाती है वहीं पर एक कड़वा सत्य यह भी है कि विधानसभाओं से लेकर संसद तक गंभीर आपराधिक छवि तक के लोग जनता द्वारा चयनित होकर संसद में माननीय हो जाते हैं। हर राजनीतिक दल अपनी अपनी आवश्यकता और सुविधानुसार इन्हें चुनाव में प्रत्याशी बनाकर माननीय बनने का अवसर प्रदान करना है। जब यह जनता की अदालत से चयनित होकर माननीय हो जाते हैं तब कानून की अदालत का रूख भी इनके प्रति बदल जाता है क्योंकि बहुत अरसे से देश की शीर्ष अदालत ने यह निर्देश दे रखे हैं कि अधीनस्थ अदालत एक वर्ष के भीतर इनके मामलों के फैसले करे। इसके लिये दैनिक आधार पर इनके मामलों की सुनवायी की जाये। यह निर्देश करने पर अदालत को सराहना तो मिल गयी लेकिन इन निर्देशों पर अमल कितना हुआ है यह जानने का प्रयास शायद आज तक नही हो पाया है।
इस परिदृश्य में फिर यह सवाल उभरता है कि आम मतदाता इनका व्यक्तिगत और व्यवहारिक आकलन कैसे करे। क्योंकि केन्द्र से लेकर राज्य तक चुनावों में हर राजनीतिक दल अपना -अपना चुनाव घोषणापत्र जारी करता है। सरकार बनने के बाद इस घोषणापत्र को नीति पत्र बना दिया जाता है और इसके अनुसार सरकार काम करने लग जाती है। इस तरह फिर सांसद/विधायक की अपनी परफार्मेंन्स का आकलन नही हो पाता है। शायद इसी स्थिति को ध्यान में रखकर सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों से अलग हटकर सांसद/विधायक विकास नीतियों का प्रावधान किया गया है। क्योंकि इस निधि से सांसद/ विधायक अपनी ईच्छानुसार खर्च करता है। इस खर्च के लिये दिशा-निर्देश तय किये गये हैं लेकिन इन निर्देशों में यह नही है कि इस निधि में से खर्च करने के लिये किसी अन्य से कोई अनुमति लेनी होगी। इस नाते यह सांसद निधि स्वतः ही एक ऐसा मानक बन जाता है जिसके खर्च करने पर नजर रखने से यह पता चल जाता है कि इसमें ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ के सिन्द्धात पर काम किया गया है या नही। किसके साथ पक्षपात हुआ है या सही में यह खर्च विकास पर हुआ है या नही। इस सबकी जानकारी इससे मिल जाती है।
इस मानक पर प्रदेश के सांसदो का आंकलन करना बहुत आसान हो जाता है। प्रदेश में लोकसभा की चार सीटे हैं और विधानसभा के लिये विधायकों की 68 सीटें हैं। इस तरह प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में सत्रह-सत्रह विधानसभा क्षेत्र आते हैं प्रत्येक सांसद को प्रति वर्ष पांच करोड़ की सांसद विकास निधि मिलती है। इस समय वर्तमान में प्रदेश में कांगड़ा से शान्ता कुमार, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर मण्डी से रामस्वरूप शर्मा और शिमला से वीरेन्द्र कश्यप सांसद हैं। इनमें से अनुराग ठाकुर और रामस्वरूप को भाजपा ने पुनः प्रत्याशी बनाया है। शान्ता और वीरेन्द्र कश्यप को इस बार बदल दिया गया है। वीरेन्द्र कश्यप दो बार लगातार सांसद रहे हैं। इस नाते उन्हें पचास करोड़ सांसद निधि के रूप में मिले हैं। अनुराग 2008 में उपचुनाव जीत कर सांसद बन गये थे और तब से लगातार सांसद हैं उन्हें 55 करोड़ की सांसद निधि मिली है जबकि शान्ता कुमार और रामस्वरूप को 25-25 करोड इस निधि में मिले हैं। एक सांसद के पास सत्राह विधानसभा क्षेत्र हैं इस नाते उसे 25 करोड़ का आवंटन इन सत्रह हल्कों पर एक समान करना है। इस तरह प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के हिस्से में 1,47,05,889 रूपये आते हैं। इस गणित से यह सामने आ जायेगा कि हमारे सांसदो ने विधानसभा क्षेत्रवार क्या इसी अनुपात में अपनी सांसद निधि का आंवटन किया है की नहीं। इसके लिये सांसदो की इस निधि के खर्च का ब्यौरा लेने के लिये आरटीआई का सहारा लिया गया था।
अनुराग से बिलासपुर को 11 वर्षो में मिले 11,46,96,351
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अनुराग ठाकुर 2008 से कर रहे हैं इसलिये उन्हें ग्याहर वर्षों में 55 करोड़ की सांसद निधि मिली है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्रा से बिलासपुर के चार, हमीरपुर-ऊना के पांच-पांच कांगड़ा के दो और मण्डी का एक विधानसभा क्षेत्र आता है। अनुराग से पहले यहां से सुरेश चन्देल भाजपा से सांसद रह चुके हैं जो अब कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। बिलासपुर से ही राज्यसभा सांसद जगत प्रकाश नड्डा मोदी सरकार में स्वास्थ्य मन्त्रा हैं। अनुराग के खिलाफ बिलासपुर के साथ भेदभाव बरतने का भी आरोप लगता है। सांसद निधि के आवंटन पर यदि नजर डाले तो अनुराग को पूरे कार्यकाल मे बिलासपुर को 11,46,96,351 मिले हैं बिलासपुर के चार विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से यहां पर कराब 12 करोड़ मिलने चाहिये थे लेकिन ऐसा हुआ नही है। इस तरह सांसद निधि के आवंटन के आंकड़े भी बिलासपुर के साथ भेदभाव के आरोपों को पुख्ता करते हैं।
Total Schemes Sanctioned Amount
2008-09 68 86,56,250
2009-10 51 63,92,000
2010-11 43 43,25,000
2011-12 91 98,78,240
2012-13 91 1,22,13,968
2013-14 138 1,46,58,000
2014-15 101 1,28,33,805
2015-16 83 94,00,000
2016-17 56 53,35,000
2017-18 123 1,20,01,305
2018-19 193 1,90,02,783
Total 1038 11,46,96,351
मण्डी के रामस्वरूप भी नहीं कर पाये हैं एक समान आवंटन
मण्डी संसदीय क्षेत्र से वर्तमान सांसद रामस्वरूप शर्मा को भाजपा ने फिर चुनाव में उतारा है। मण्डी के जिन पंडित सुखराम के कन्धों का सहारा लेकर भाजपा ने पहली बार सरकार का कार्यकाल पूरा करने का श्रेय लिया था। वह पंडित जी अब भाजपा छोड़ कांग्रेस में घर वापसी कर चुके हैं। मण्डी संसदीय क्षेत्रा में मण्डी के नौ, कुल्लु के चार, लाहौल-स्पिति, किन्नौर, भरमौर और रामपुर के विधानसभा क्षेत्र आते हैं। रामस्वरूप शर्मा को 25 करोड़ की सांसद निधि मिली है। इसमें से कुल्लु चार विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा करीब 5,88,23,532 रू. बनता है लेकिन आरटीआई की सूचना के अनुसार कुल्लु को करीब 3 करोड़ ही मिले हैं रामपुर, किन्नौर, भरमौर और लाहौल स्पिति में यह आवंटन अनुपातन और भी कम है। ऐसे में यह बड़ा सवाल बन गया है कि इन लगभग नजरअन्दाज हुए विधानसभा क्षेत्रों से रामस्वरूप को पुनः समर्थन कैसे और कितना मिल पायेगा।
Total Schemes Sanctioned Amount
7 0,36,000-00
23 0,51,000-00
23 0,44,000-00
23 0,57,000-00
23 0,37,50,000
Total 126 2,98,00,00-00
शान्ता कुमार ने कांगड़ा को दिये 26 करोड़
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में जिला कांगड़ा की तेरह और चम्बा के चार विधानसभा क्षेत्र आते हैं। उन्हे 25 करोड़ की सांसद निधि मिली है। जिसमे से अकेले कांगड़ा में ही उन्होंने 26 करोड़ का आवंटन कर दिया है। इस खर्च का विवरण हर जिला के जिलाधीश से आता है। ऐसे में जब शान्ता कुंमार ने कांगड़ा के ही 13 विधानसभा क्षेत्रों में यह आंवटन कर दिया है तो स्वभाविक है कि चम्बा के हिस्से में कुछ नही आया है। शान्ता का यह आंवटन 2112 कार्य योजनाओं पर हुआ है लेकिन इनमे से केवल 1033 कार्य ही पूरे हो पाये हैं। इस तरह शान्ता कुमार भी सांसद निधि के एक समान वितरण के मानक पर खरे नही उतरते हैं। इसलिये यह आशंका हो गयी है कि शान्ता कुमार द्वारा की गयी चम्बा उपेक्षा चुनावी गणित न बिगाड दे क्योंकि कांगड़ा में फिर हर विधानसभा क्षेत्र के साथ एक बराबर आंवटन नही हुआ है।
Total Schemes Sanctioned Amount
2014-15 388 5,38,57,564,00
2015-16 549 5,94,04,782,00
2016-17 450 5,12,45,027,00
2017-18 437 5,58,94,051,00
2018-19 293 4,79,06,095,00
Total 2112 26,81,07,519,00
वीरेन्द्र कश्यप ने भी सांसद निधि के आवंटन में पक्षपात किया है
वीरेन्द्र कश्यप पिछले दस वर्षों से शिमला से सांसद हैं। भले ही भाजपा ने उन्हे कैश ऑन कैमरा के आरोपों के साये में इस बार प्रत्याशी नही बनाया है। लेकिन उनके दस वर्षो के कार्यकाल की कारगुजारी का असर पार्टी के इस बार के उम्मीदवार की सफलता की संभावनाओं पर पड़ेगा ही यह तय है। भाजना ने इस बार सिरमौर से वर्तमान विधायक सुरेश कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। सिरमौर का हाटी समुदाय लम्बे अरसे से उन्हें जनजातीय दर्जा देने की मांग कर रहा है। वीरेन्द्र कश्यप अपने दस वर्ष के कार्यकाल में मोदी की सरकार होने के बावजूद यह मांग पूरी नही करवा पाये हैं। जबकि मोदी स्वयं हिमाचल से भाजपा के प्रभारी रह चुके हैं और इस नाते इस मांग से परिचित भी रहे हैं। अब कश्यप ने सिरमौर के पांच विधानसभा क्षेत्रों को केवल 6,88,55000 की सांसद निधि आंवटित की है जब कि यह राशी 15 करोड़ के करीब बनती है। कश्यप को दस वर्षों के कार्यकाल में पचास करोड़ की निधि मिली है। इस निधि का आंवटन अब सवालों के घेरे में आता जा रहा है।
Total Schemes Sanctioned Amount
2014-15 105 1,40,95,000
2015-16 72 94,70,000
2016-17 89 1,69,10,00
2017-18 56 1,14,50,000
2018-19 84 1,74,30,000
Total 406 6,88,55000
सांसद निधि के आंकड़ो से यह स्पष्ट है कि हमारे सांसद सारी निधि का उपयोग नही कर पाये हैं। इस निधि के तहत जो कार्य किये गये हैं उसमें से करीब 30ः कार्य ही अब तक पूरे हो पाये हैं। शेष कार्य कब पूरे होंगे इसको लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। क्योंकि इन सांसदो ने जो गांव आदर्श गावं बनाने के लिये गोद लिये थे उनकी दशा में भी विशेष सुधार देखने में नही आया है और इसके लिये धन का अभाव ही कारण रहा है। जबकि इन आदर्श गांव के लिये सांसद निधि से अलग धन का प्रावधान करने का दावा किया गया था जो कि पूरा हो नही पाया है। इस तरह सांसद निधि के आवंटन और आदर्श गांव के मानकों पर हमारे सांसदो का रिपोर्ट कार्ड ऐसा नही है जिससे सरकार और पार्टी को कोई बड़ा चुनावी लाभ मिलने की संभावना बनती हो।