20 लाख ईवीएम गायब होने का मामला हुआ गंभीर

Created on Monday, 10 June 2019 14:12
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। इस बार के लोकसभा चुनावों में जिस बढ़त से भाजपा प्रत्याशीयों को सफलता मिली है उससे इस चुनाव का विश्लेषण करना राजनीतिक पंडितों के लिये काफी कठिन हो गया है। हिमाचल में ही जो बढ़त उम्मीदवारों को मिली है उस अनुपात में उतनी बढत कभी वीरभद्र सिंह, शान्ता कुमार, पंड़ित सुखराम और प्रेम कुमार धूमल को भी नही मिली है। क्योंकि यह सभी नेता कभी न कभी प्रदेश से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। फिर इस बार जो भी उम्मीदवार मैदान में थे वह सब इन पूर्व नेताओं के राजनीतिक कद से बहुत छोटे हैं यह सब मानते हैं। इसी कारण से चुनाव परिणामों का आकलन एक कठिन विषय बन गया है। इसमें जो स्थिति हिमाचल की रही है वही लगभग पूरे देश की है।
इस वस्तुस्थिति में जब से करीब 20 लाख ईवीएम मशीनों के गायब होने का मामला सामने आया है तब से पूरे चुनाव परिणाम को एक और नजरीये से देखना शुरू हो गया है। क्योंकि 20 लाख ई वी एम मशीने गायब होने का मामला पिछले वर्ष मार्च में सामने आया था जब एक मनोरंजन राय ने आरटीआई के माध्यम से यह सूचना जुटाई की भारत निर्वाचन आयोग ने 2017 में 39 लाख ई वी एम मशीने हैदराबाद, बैंगलोर में रिपेयर के लिये भेजी थीं। लेकिन इनमें से केवल 19 लाख मशीने ही वापिस आयोग में पहंुची। इस पर मनोरंजन राय ने भारत सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा। जिसका कोई जवाब नही आया। जवाब न आने पर राय ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर दी। इस याचिका पर चुनाव आयोग का कोई स्पष्ट जवाब नही आया। उच्च न्यायालय ने फिर चुनाव आयोग को चार सप्ताह का समय देकर इसमें स्पष्ट जवाब दायर करने को कहा है। मुंबई उच्च न्यायालय में यह याचिका लंबित है।
इसी बीच अब 22 मई को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर बैंच में एक वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश बोहरे ने एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में बोहरे ने कई अहम दस्तावेजों के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त सहित 14 लोगों को पार्टी बनाया है। जिसमें निर्वाचन अधिकारी, कलैक्टर ग्वालियर,  कलैक्टर मुरैना, भिंड और गुना को भी पार्टी बनाया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि गायब हुई मशीनों का उपयोग देश के अलग -अलग हिस्सों के साथ -साथ ग्वालियर और चंबल संभागों में भी हुआ है। इसमें  इन सभी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करके सीबीआई जांच की मांग की गयी है। ग्वालियर उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख दिया है। कानून की जानकारी रखने वालों के मुताबिक इन आरोपों की सच्चाई तक पहंुचने के लिये सीबीआई जांच ही एक मात्र विकल्प रह जाता है। मुंबई और ग्वालियर उच्च न्यायालयों में आयी याचिकाओं के साथ ही अब वंचित बहुजन अगाड़ी पार्टी के नेता प्रकाश अम्बेदकर और उनके साथीयों ने भी यह आरोप लगाया है कि देश के 300 से अधिक लोकसभा क्षेत्रों मे जितने वोट पड़े हैं और जितने वोट गिनती में आये हैं उनमें भारी अन्तर सामने आया हैै। अम्बेदकर ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के 22 क्षेत्रों के अध्ययन में यह अन्तर देखने को मिला है। इस अन्तर के लिये उन्होंने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। सन्तोषजनक जवाब न आने पर अदालत और आन्दोलन का रास्ता अपनाने का ऐलान किया है। इस तरह ई वी एम मशीनों का मुद्दा आने वाले दिनों में गंभीर होने जा रहा है इससे इन्कार नही किया जा सकता।