इस घर को आग लग रही घर के ही चिराग से

Created on Friday, 09 August 2019 13:05
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। पिछले कुछ दिनों से सचिवालय के गलियारों से लेकर सड़क तक पूरे प्रदेश में यह चर्चा चली हुई है कि मुख्यमन्त्री ने अपने ओएसडी महेन्द्र धर्माणी से त्यागपत्र मांग लिया है और उन्होंने त्यागपत्र मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमन्त्री को सौंप भी दिया है। चर्चाओं के मुताबिक प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्षा इन्दु गोस्वामी के त्यागपत्र के बाद पैदा हुए हालात का आकलन करने के लिये मुख्यमन्त्री के आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की हुई बैठक में मुख्यमन्त्री सचिवालय की कार्यशैली पर भी सवाल उठे और कुछ लोगों ने ओएसडी को लेकर अपनी नाराज़गी जताते हुए धर्माणी को वहां से हटाने की बात कर दी। यदि सूत्रों पर विश्वास करें तो इस बैठक के बाद मुख्यमन्त्री ने धर्माणी से त्यागपत्र मांग लिया। लेकिन अभी तक व्यवहारिक रूप से धर्माणाी अपने पद पर बने हुए हैं परन्तु इन चर्चाओं का अभी तक अधिकारिक तौर पर किसी ने खण्डन भी नही किया है जबकि त्यागपत्र की चर्चा अखबारों की खबर तक बन चुकी है।
इस कथित त्यागपत्र की चर्चा से पहले विधायक रमेश धवाला और पार्टी के संगठन मंत्री पवन राणा का द्वन्द बड़ी चर्चा का विषय रहा है। दोनों नेता रिकार्ड पर एक दूसरे के खिलाफ प्रतिक्रियाएं दे चुके हैं। इस द्वन्द की चर्चा के दौरान ही प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्षा इन्दु गोस्वामी का त्याग पत्र भी खबरों में आ गया। गोस्वामी ने अपने त्यागपत्र में सरकार और संगठन को लेकर गंभीर टिप्पणीयां की हुई हैं। इन्दु गोस्वामी के त्यागपत्र पर जिस तरह की प्रतिक्रिया पार्टी अध्यक्ष सतपाल सत्ती की रही है उसी से अन्दाजा हो जाता है कि इस आग की आंच दूर तक कई लोगों को चुभन देगी।
 इसी दौरान एक नेत्री और युवा नेता का अश्लील विडियो-ओडियो वायरल हो गया। इसके वायरल होने के बाद सीआईडी हरकत में उसने एक एडवाईजरी जारी करके इस विडियो को शेयर करने वालों के खिलाफ कारवाई करने की चेतावनी दी है। सीआईडी की एडवाईजरी के बाद कुल्लु पुलिस ने इस संद्धर्भ में मामला दर्ज करके कुछ गिरफ्रतारियां भी कर दी हैं। लेकिन अभी तक पुलिस जांच विडियो किसने बनाया? वीडियों सही या गलत इस पर नही पहुंची है। कानून की समझ रखने वालों के मुताबिक साईबर अपराधों में सोर्स तक पहुंचना और अपराध की सत्यता तक पहुंचना आवश्यक हो जाता है फिर इस मामले में जब गिरफ्तारी तक हो गयी है तो निश्चित रूप से यह प्रकरण  देर सवेर अदालत तक पहुंचेगा ही और गिरफ्तार व्यक्ति अपना पक्ष रखेगा ही। ऐसे में यह तय है कि पुलिस की कारवाई के बाद यह प्रकरण दूर तक जायेगा और इसके साथ आगे चलकर क्या -क्या और जुड़ जाये यह कहना आसान नही है। राजनीति की समझ रखने वालों का मानना है कि इसमें पुलिस कारवाई की दिशा आगे चलकर परेशानीयां ही खड़ी करेगी।
आज महेन्द्र धर्माणी, इन्दु गोस्वामी और विडियो प्रकरणों को एक साथ रखकर यदि सरकार के अबतक के कार्यकाल का आकलन किया जाये तो यह सामने आता है कि सबसे पहले कुल्लु महिला मण्डल की अध्यक्षा का एक पत्र सामने आया। इस पत्र पर वकील के माध्यम से नोटिस तक की कारवाई हुई लेकिन इससे आगे कुछ नही हुआ। इस पत्र के बाद एक पत्र सीमेन्ट के दाम बढ़ाने को लेकर सामने आ गया। इस पत्र में भी सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं। सीमेन्ट के दाम बढ़ाने के पीछे क्या - क्या कैसे घटा इसका खुलासा इस पत्र में किया गया है लेकिन पत्र पर भी कोई खण्डन नही आया। हां इतना जरूर हुआ कि सरकार ने अखबारों के विज्ञापनों को अतिरिक्त मुख्य सचिव सूचना एवम् जन संपर्क के आदेशों पर केन्द्रित कर दिया। इस कारवाई से शैल जैसे अखबारों के विज्ञापन तो बन्द कर दिये गये लेकिन सरकार के यह प्रयास उस लावे को शान्त नहीं कर पाये जो सरकार और संगठन के बीच सुलग रहा था और अब कभी  भी भयानक ज्वाला का रूप ले सकता है।
यदि वायरल हुए सारे पत्रों का निष्पक्षता से आकलन किया जाये तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इनके पीछे उन्ही लोगों का हाथ है जो सत्ता के अति निकट बैठे हैं और उस पर गंभीर नज़र रख रहे हैं स्मरणीय है कि सबसे पहले मुख्यमन्त्री के मीडिया सलाहकार का त्यागपत्र आया। मीडिया सलाहकार के जाने के बाद अब तक इस पद को भरा नही गया है। अब  मुख्यमन्त्री के ओ एस डी और प्रधान निजि सचिव को उनके पदों से हटाने की चर्चा चल पड़ी है। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमन्त्री प्रेम कुमार धूमल को प्रधानमंत्री और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिलना भी राजनीतिक चर्चाओं का विषय बना हुआ है। मंत्री परिषद में खाली चल रहे पदों को अभी तक भरा नही जा सका है। लोकसभा चुनावों से पहले मुख्यमन्त्री ने सबकी परफारमैन्स देखकर इन पदों को भरने की बात की थी। लेकिन आज जिस ढंग से वायरल पत्रों से लेकर वीडियों और मुख्यमन्त्री के अपने ही ओ एस डी और प्रधान निजि सचिव को हटाने की चर्चाओं तक हालात पहुंच गये हैं उससे परफारमैन्स के गणित पर बने रहना आसान नही होगा। यह माना जा रहा है कि बहुत ही सुनियोजित ढंग से मुख्यमन्त्री कार्यालय को निशाना बनाने की व्यूह रचना की गयी है।