क्या टी सी पी की अधिसूचना से एन जी टी के आदेशों की अवहेलना संभव हो पायेगी

Created on Tuesday, 19 November 2019 08:33
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। हिमाचल सरकार प्रदेश में औद्यौगिक निवेश लाने के लिये कितनी गंभीर है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि किसी भी उद्योग की स्थापना से पूर्व ही निवेशक को विभिन्न विभागों से जो ई सी और एनओसी लेने पड़ते थे उनमें आठ अधिनियमों को लेकर यह छूट दी गयी है कि यह एनओसी पूर्व में ही लेने की बजाये तीन वर्षों के भीतर कभी भी लिये जा सकते हैं। यह छूट वाकायदा एक अध्यादेश लाकर अधिसूचित की गयी है। लेकिन इन आठ अधिनियमों भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत ली जाने वाली अनुमतियों में कोई छूट नहीं दी गयी है। इसमें केवल यही छूट है कि पहले उद्योगपति को जमीन चिन्हित करके उसका पर्चा गरदावरी लेकर वाकायदा खसरा नम्बर और जमीन मालिक के साथ खरीद की सहमति का प्रमाण देना होता था। अब इसमें सिर्फ इतने से ही उद्योग स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी कि कुल कितना रकवा चाहिये। इसमें खसरा नम्बर और जमीन मालिक का ब्योरा देने की आवश्यकता पूर्व में ही नही होगी। यह राहत अपने में बड़ी राहत है। लेकिन सरकार की इस घोषित राहत के बाद 5 नवम्बर को जो अधिसूचना टीपीसी की ओर से जारी की गयी है उसका सरकार की घोषणा के साथ थोड़ा विरोधाभास है।
टीपीसी की अधिसूचना में जो प्रस्तावित है उसके मुताबिक उद्योगों को चार भागों में बांटा गया है और 150 वर्ग मीटर भूमि से लेकर 10,000 वर्ग मीटर या उससे भी अधिक भूमि उद्य़ोगपति ले सकता है। लेकिन प्रस्तावित उद्योग के भवन निर्माण के पश्चात् जब बिजली, पानी और सीवरेज का कनैक्शन लेना होगा तब यह कनैक्शन लेने के लिये नियम 19A में स्पष्ट कहा गया है कि Minimum area of plot
(a)  For small scale  industry shall be 150 M2 to 500 M2
(b)  For services/ light scale industry shall be above 500 M2to 1000 M2
(c)  For medium scale industry shall be above 1000 M2 to 5000 M2 .
(d) For large and heavy scale industry shall be above 5000 M2 to 10000 M2 and above 10000 M2
"19A grant of No. Objection Certificate or Completion Certificate - The No. Objection Certificate for releasing Service Connections  or completion Certificate in  respect of the Building shall be granted by the Director after  satisfying himself about completion of construction of building as per approved plan /revised section to be carried out by the owner." यह कनैक्शन निदेशक टीसीपी की Satisfaction पर ही मिल पायेगा और इसके लिये कोई समय सीमा तय नही की गयी है। निदेशक की संतुष्टि की जब तक समय सीमा नहीं तय होगी तब तक निवेशक को मिली अन्य सुविधाओें का कोई ज्यादा अर्थ नहीं रह जाता है। उद्योगों के साथ ही सरकार ने "Real Estate के लिये भी विशेष राहतें प्रदान की हैं। इसमें किसी भी प्रौजैक्ट के लिये भूमि की कोई सीमा नहीं रखी गयी है इसी के साथ इसकी भी कोई बंदिश नहीं होगी कि निर्माण कितनी मंजिल का होगा। बल्कि यह भी सुविधा दी गयी है कि यदि किसी प्रौजैक्ट के लिये उसके साथ लगती या बीच में सरकारी या निजि भूमि से निर्माण में कठिनाई आती है तो ऐसी सरकारी भूमि प्रौजैक्ट को लीज़ पर दी जा सकती है। निजि भूमि का सरकार अधिग्रहण करके प्रौजैक्ट को देगी।

2. Incentives for promoters:
(i) The State Government will facilitate in providing all Statutory Clearances.
(ii) The State Government will provide assistance in consolidation of land if  any identified site falls adjacent to the Government Land or any Government Land falls within the identified site for Real Estate Project/Township, the same land will be considered for transferred to applicant/investor on lease basis.
(iii)  Incentives /Subsidies shall be given to the applicant/investors for providing various infrastructures like parks, roads, electricity Lines, sewage Line and drainage Line etc.
(iv)   Integration of various State and Central sponsored schemes/policies/mission etc.
(v) Incentives on timely completion of projects (credit Linked subsidy on affordable housing)  इस तरह सरकार ने रियल एस्टेट को पूरा प्रोत्साहन देने की नीति घोषित कर रखी है।  लेकिन जो अधिसूचना टीसीपी ने अभी जारी की है उसके नियम 31 में स्पष्ट किया गया है। कि  " The onus of obtaining all the necessary approvals/clearances required from all the concerned Departments in respect of Self - Declaration /Certificate given by the applicant before starting actual execution of the work shall be on the applicant . The Department of Town & Counrty Planning shall not be Liable for any violations done by the applicant in respect of other applicable acts, rules and any Legal dispute."

 सरकार औद्यौगिक निवेश आमन्त्रित करने में पूरे एक वर्ष से काम कर रही है। इसके प्रयासों से 93000 करोड़ का निवेश आने की संभावना भी बनी है क्योंकि इसके लिये निवेशकों ने समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित कर रखे हैं। सरकार निवेशकों को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन भी दे चुकी है इसके लिये वाकायदा एक अध्यादेश भी जारी किया गया है और आने वाले विधानसभा सत्र में इस आशय का विधेयक भी लाया जा रहा है। माना जा रहा है कि रियल ऐस्टट में काफी निवेश प्रदेश में आ सकता है। इसके लिये सरकार ने ऐसे निमार्णों पर मंजिलों का कोई प्रतिबन्ध भी नहीं लगा रखा है लेकिन जब से एनजीटी ने प्रदेश के प्लानिंग क्षेत्रों में अढ़ाई मंजिल के ही निर्माण की शर्त लगा रखी है तब से यह सवाल बड़ा अहम हो गया है कि एनजीटी के इस आदेश की अनुपालना सरकार कैसे सुनिश्चित करेगी। प्रदेश के शिमला, सोलन, कसौली, कुल्लु- मनाली, धर्मशाला और चम्बा, डलहौजी जैसे क्षेत्रों मे हुए निर्माणों को लेकर संवद्ध सरकारी प्रशासन एनजीटी से लेकर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तक की प्रताड़ना का शिकार हो चुका है। सरकार ने अवैध निर्माणों को नियमित करने के लिये जब सदन में विधेयक पारित किया था और उस पर राज्यपाल के हस्ताक्षर करवाने के लिये कांग्रेस और भाजपा ने हाथ मिलाया था तब उस विधेयक के खिलाफ प्रदेश उच्च न्यायालय में तीन याचिकायें आयी थी। उच्च न्यायालय ने उस विधयेक को रद्द करते हुए बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा था कि "13. Laws inconsistent with or in derogation of the fundamental rights:- The State shall not make any law which takes away or abridges the rights conferred by this Part and any law made in contravention of this clause shall to the extent of the contravention, be void." अदालत ने निर्माणों को लेकर जो आदेश जारी किये हैं वह प्रदेश के गंभीर भूकंप जोन में होने के कारण किये हैं। क्या आज रियल ऐस्टट को इस तरह का बढ़ावा देने से वह खतरा खत्म हो जाता है।