राजस्व में केन्द्र पर बढ़ती जा रही है राज्य सरकार की निर्भरता

Created on Tuesday, 18 February 2020 09:49
Written by Shail Samachar

वर्ष 2017-18 में कुल राजस्व का 65% केन्द्र से मिला है
ऊर्जा में लगातार घटता जा रहा है राजस्व
शिमला/शैल। वर्ष 2017-18 की सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्व के मामले मेें राज्य सरकार की केन्द्र पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017-18 सरकार का अपना कर और करेतर राजस्व केवल 35% था। भारत सरकार से केन्द्रिय करों के हिस्से तथा ग्रांट-इन-ऐड के रूप में प्रदेश को 65% राजस्व प्राप्त हुआ है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि राज्य सरकार अपने राजस्व के साधन बढ़ाने में असफल क्यों हो रही है। इसमें भी सबसे गंभीर पक्ष तो यह है कि जहां सरकार यह दावा करती थी कि हिमाचल ऊर्जा राज्य है और आने वाले समय में इसी ऊर्जा के सहारे प्रदेश का सारा वित्तिय संकट खत्म हो जायेगा आज सीएजी के मुताबिक ऊर्जा में प्रदेश का राजस्व लगातार कम होता जा रहा है।
यही नही सीएजी ने प्रदेश में कर वसूली के लिये तैनात विभिन्न विभागों और ऐजैन्सीयों की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वैट/सीएसटी, एक्ससाईज़, स्टांप डयूटी, पंजीकरण फीस, और यात्री तथा माल ढुलाई भाड़ा के मामलों में सरकार को 330.87 करोड़ का नुकसान हुआ है। ऐसे 863 मामलों में 490.09 करोड़ का नुकसान हुआ है। प्रदेश में कार्यरत ‘‘केबल नेटवर्क’’ ईकाईयों से करोड़ो रूपये का मनोरजन टैक्स नही लिया गया है।