स्थिति न सुधरी तो वेतन, पैन्शन के भुगतान में भी हो सकता है संकट
शिमला/शैल। कोरोना के चलते केन्द्र सरकार ने वित्तिय वर्ष 2020-21 के लिये पारित बजट में योजनाएं/ कार्यक्रम इस वर्ष के लिये घोषित किये थे उन्हे अब 31 मार्च 2020 तक के लिये स्थगित कर दिया गया है। केन्द्र सरकार की ही तर्ज पर हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों ने भी ऐसा ही फैसला लेते हुए इस वित्तिय वर्ष के लिये घोषित सारे नये कार्यक्रमों को स्थगित करने के प्रस्ताव अपने- अपने मन्त्रिमण्डलों की बैठक में लिये हैं। ऐसा इसलिये किया गया है क्योंकि देशभर में सारी आर्थिक गतिविधियों पर कोरोना के कारण विराम लगा हुआ है। अब अनलाॅक शुरू होने के बाद आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गयी हैं। लेकिन अभी इन गतिविधियों को फिर से शुरू हो जाने के बाद इनमें व्यवहारिक रूप से पहले के मुकाबले 20% भी काम नही हो पाया है। यह पूरा काम शुरू न हो पाने के कारण सरकार के राजस्व ग्रहण में भी भारी कमी आयी है। बल्कि इस कमी के कारण यह आशंका खड़ी हो गयी है कि क्या सरकार आने वाले दिनों में अपने कर्मचारियों को वेतन और पैन्शन का भी भुगतान कर पायेगी। प्रदेश की इस वित्तिय स्थिति को लेकर प्रदेश का वित्त विभाग मन्त्रीमण्डल की बैठक में सरकार को अवगत भी करवा चुका है। सचिवों और विभागाध्यक्षों को पत्र भी लिख दिया है इस पत्र के मुताबिक वेतन, पैंशन, मजदूरी आदि को छोड़कर अन्य मद्दों पर 20% से अधिक खर्च न किया जाये।
इस स्थिति को समझने के लिये वित्तिय वर्ष 2020-21 के लिये विधानसभा द्वारा पारित किये गये बजट के आंकड़ो पर नजर डालना आवश्यक हो जाता है। जयराम सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिये कुल 49130.84 करोड़ का बजट पारित कर रखा है। इसके मुताबिक सरकार इस वर्ष इतना खर्च करेगी जो कि करीब 4095 करोड़ प्रति माह बैठता है। इतने खर्च के लिये इसी वित्तिय वर्ष में 48446.86 करोड़ की आय का अनुमान भी पारित है। इसके अनुसार प्रति माह 4037 करोड़ की आय होगी। बजट आंकड़ो के मुताबिक इस वर्ष वेतन पर 13099.47 करोड़ खर्च होगा जो कि कुल बजट का 26.66% होता है। पैन्शन पर 7266 करोड़ खर्च हांेगे जो कि बजट का 14.79% होता है। ब्याज पर 4931.92 करोड़ खर्च होंगे और कुल का 10.4% है। इस तरह वेतन, पैन्शन और ब्याज पर ही कुल बजट का 51.49% खर्च होगा। यह खर्चे तब थे जब कोरोना को लेकर सरकार यह आकलन ही नही कर पायी थी कि आने वाले दिनों में सारी गतिविधियों पर विराम लग जायेगा और इसके कारण आय के सारे अनुमान धराशायी हो जायेंगे।
इन आंकड़ो के मुताबिक पैन्शन और वेतन का खर्च ही 1700 करोड़ प्रतिमाह रहता है। लेकिन इस समय सरकार को केवल 400 करोड़ का राजस्व ही प्रतिमाह मिल रहा है। इसके अतिरिक्त केन्द्र से सरकार को आरडीजी मिलता है। इस राजस्व घाटे की प्रति पूर्ति के नाम पर अभी तक 952 करोड़ ही केन्द्र से मिल पाया है। यह किश्त अप्रैल और मई के लिये थी और एडवांस में आ गयी थी। लेकिन जून, जुलाई की किश्त अभी तक नहीं आयी है। केन्द्र से यह ग्रांट नियमित भी मिलती रहे तो यह करीब 450 करोड़ होती है और इस तरह कुल 900 करोड़ के करीब प्रतिमाह आय होगी। जबकि वेतन और पैन्शन का खर्च ही प्रतिमाह 1700 करोड़ है। यह 1700 करोड़ पूरा करने के लिये ही 800 करोड़ का प्रतिमाह कर्ज लेना पड़ेगा। इस कठिन वित्तिय स्थिति के परिदृश्य में वित्त विभाग ने 20% तक ही खर्च को सिमित रखने के निर्देश विभागों को जारी कर दिये हैं।
दूसरी ओर मन्त्रीगण अधिकारियों पर बजट घोषणाओं को पूरा करने के लिये दवाब डाल रहे हैं। मन्त्रीमण्डल की हर बैठक में किसी न किसी विभाग में भर्तीयां किये जाने के फैसले आ रहे हैं। जनता को यही संदेश दिया जा रहा है कि पैसे की कमी नही है। कोरोना के कारण कफ्र्यू लगने के बाद भी सेवानिवृत अधिकारियों/कर्मचारियों को पुनः नियुक्ति के तोहफे दिये गये हैं। बहुत सारे मुद्दों पर वित्त विभाग की जानकारी के बिना ही मन्त्रीमण्डल में फैसले करवाये जा रहे हैं। ऐसे में अब जब वित्त विभाग ने 20% तक ही खर्च करने के निर्देश जारी कर दिये हैं तो उससे स्पष्ट हो जाता है कि उनके आकलन में निकट भविष्य में स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं है। शराब से जो आय का अनुमान लगाया गया था वह भी अब हवाई सिद्ध होने लगा है क्योंकि शराब की बिक्री पर सरकार के बड़े अधिकारियों की खरीदारी से फर्क नही पड़ता है। यह बाकि मजदूर वर्ग के कारण बढ़ती थी और मजदूर अब एक चैथाई भी नही रह गया है। वेतन और पैन्शन के खर्च ही 41.45% बनता है। अब जब वेतन आदि को छोड़कर अन्य खर्चों पर 20% की सीमा लगा दी गई है तो तय है कि इस स्थिति में विकास से जुड़ा कोई भी काम नही किया जा सकेगा। क्योंकि वेतन और पैन्शन ही कुल मिलाकर 41.45% हो जाता है। फिर इसके बाद स्थापना, मजदूरी और सहायता अनुदान 18.41% हो जाते हैं यदि इनमें 10.4% ब्याज भी जोड़ दिया जाये तो यह खर्च 28.45% हो जाता है। इस स्थिति में यदि कोविड के लिये कुछ खर्च करना पड़ जाता है तो इन खर्चों में भी कटौती करनी पडे़गी। ऐसे में इस समय जो विभिन्न विभागों में आयेे दिन भर्तियां किये जाने की घोषणायें की जा रही है वह सब हवा हवाई हो जायेंगी और यह सरकार के लिये घातक होगा।