समग्र शिक्षा अभियान परियोजना में पुस्तक खरीद पर लगे करोड़ों का घपला होने के आरोप

Created on Wednesday, 11 August 2021 08:33
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। अभी चार अगस्त को उत्तर मध्य भारत के हिन्दी प्रकाशक संघ ने प्रदेश विधानसभा का घेराव करके एक शिकायत पत्र मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर को सौंपकर इसकी विजिलैन्स से जांच करवाने की मांग की है। प्रकाशक संघ में उत्तरी भारत के राज्यों के कई प्रकाशकों ने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ प्रकाशक सत्य प्रकाश सिंह के नेतृत्व में विधानसभा का घेराव किया। शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि विभिन्न राज्यों के प्रकाशकों ने शिमला में इक्कट्ठे होकर विधानसभा का घेराव किया हो और सरकार के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाये हों। इस घेराव से अन्य राज्यों में भी यह सन्देश गया है कि जब शिक्षा विभाग में ही करोड़ो का घपला हो रहा है तो अन्य विभागों की स्थिति क्या होगी। शिक्षा विभाग पर यह आरोप समग्र शिक्षा अभियान परियोजना द्वारा की जा रही पुस्तक खरीद पर लगे हैं। आरोप है कि परियोजना निदेशालय द्वारा पुस्तकों की खरीद के लिये तय प्रक्रिया की अनदेखी करके इस खरीद को अंजाम देने का प्रयास किया जा रहा है। आरोप है कि शैक्षणिक सत्र 2020 -21 के लिये पुस्तकों की खरीद हेतु 10 मार्च 2021 को विज्ञापन जारी किया गया और पुस्तकें जमा करवाने के लिये दस दिन का समय दिया जबकि भण्डार क्रय नियमों के अनुसार बीस लाख से अधिक की खरीद के लिये कम से कम 21 से 30 दिन का समय दिया जाता है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत इस विज्ञापन में पहले प्रकाशकों से टेक्निकल बिड के तहत दस्तावेज मांगे जाते हैं इनकी जांच परीक्षण के बाद ही प्रकाशकों की संस्थाओं की किताबों को चयन समिति के समक्ष रखा जाता है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत पुस्तकों की खरीद ;डिस्ट्रीब्यूटरद्ध वितरक के माध्यम से नहीं की जा सकती। इस आशय के निर्देश मानव संसाधन मन्त्रालय द्वारा जारी किये गये हैं। इसमें एनसीई आरटीएनवीटी पब्लिकेशन डिविजन आदि से सीधे खरीद का प्रावधान है न कि डिस्ट्रब्यूटर के माध्यम से, क्योंकि सरकारी प्रकाशन अपना अधिकतम डिस्काउंट विभाग को देते हैं। प्रकाशक संघ के मुताबिक 2019-20 में सरकारी प्रकाशनों की किताबें डिस्ट्रीब्यूटरों के माध्यम से लेने पर हिमाचल को करीब एक करोड़ का नुकसान हुआ है। अब 2020-21 के लिये भी 2019-20 को ही आधार बनाकर खरीद करने का प्रयास किया जा रहा है और 10% का डिस्काउंट मांगा गया है। जबकि राजा राम मोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान द्वारा तय डिस्काउंट ही पूरे देश में लिया जाता है जो इस तरह है- 1 से 10 प्रतियों पर 10%, 11 से 25 प्रतियों पर 15%, 25 से अधिक 100 प्रतियों तक 20%, 100 से अधिक 300 प्रतियों तक 30% और 300 से अधिक प्रतियों का क्रय करने पर 35% छूट निधार्रित है। हिमाचल प्रदेश सरकार का उच्च शिक्षा विभाग भी पुस्तकों को क्रय इसी प्रक्रिया के अनुसार करता है।
इस तरह समग्र शिक्षा अभियान के तहत खरीदी जा रही पुस्तकों पर न तो भारत सरकार द्वारा जारी गाईडलाईन एवम् नियमों पालन किया जा रहा है और न ही राजा राम मोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान द्वारा तय डिस्काउंट लिया जा रहा है यह आरोप है प्रकाशक संघ का। प्रकाशक संघ ने 4-8-2021 को मुख्यमन्त्री को सौंपे पत्र में कहा है कि वह 23-5-21, 5-6-21 और 22-6-21 को पत्र लिखकर परियोजना निदेशक से लेकर मुख्यमन्त्री कार्यालय तक सभी संवद्ध अधिकारियों के संज्ञान में इस मामले को ला चुके हैं परन्तु किसी ने भी न तो उनके पत्रों का कोई उत्तर दिया और न ही उन्हें मिलने का समय दिया। आरोप यह भी है कि जिन 49 प्रकाशक फर्मों को पहले चरण में शार्टलिस्ट किया गया है उनमें से 33 फर्मे केवल 8 पतो पर ही दर्ज है। इससे इनके अलग- अलग होने पर सन्देह खड़ा हो जाता है। इससे यह लगता है कि आठ लोगों ने ही नाम बदल कर 33 फर्में खड़ी कर ली हैं।
यह भी आरोप है कि पुस्तकों का चयन करने के लिये एक बारह सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने 22 मार्च 21 से लेकर 3 अप्रैल 21 तक 400 प्रकाशक फर्मो की विभिन्न कैटेगरी की पुस्तकों का चयन करके इसकी वाकायदा हस्ताक्षरित सूची परियोजना निदेशक को सौंपी थी। लेकिन बाद में इस चयन कमेटी की सूची को नजरअन्दाज करके 49 फर्मो का चयन कर लिया गया। इस चयन का आधार क्या रहा यह कहीं भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस तरह खरीद की हर प्रक्रिया पर तय नियमों को नज़रअन्दज करने का आरोप लगा है। इन आरोपों पर जब समग्र शिक्षा अभियान परियोजना निदेशक के कार्यालय में उनका पक्ष जानने के लिये संपर्क किया गया तो निदेशक नहीं मिले और अन्य कर्मचारियों ने सिर्फ इतना कहा कि जो कुछ भी हुआ है सब नियमानुसार हुआ है और इसकी कोई भी अन्य जानकारी देने से इन्कार कर दिया। सचिव शिक्षा भी अपने कार्यालय में उपलब्ध नही थे। प्रकाशक संघ ने मई से इस संबंध में विभाग से पत्राचार आरम्भ कर दिया था। मुख्यमन्त्री और सचिव कार्यालय को पत्र भेज कर यह आरोप लगाये हैं। उसके बाद अब विधानसभा सत्र के दौरान शिमला में एक पत्रकार वार्ता आयोजित करके यह आरोप लगाये हैं और उसके बाद विधानसभा का घेराव करके मुख्यमन्त्री को पत्र सौंपा है। रोचक है कि अब तक न तो प्रकाशक संघ के आरोपों पर ही कोई कारवाई की गयी है और न ही संघ के खिलाफ।