क्या निजि विश्वविद्यालयों पर लैण्ड सिंलिग एक्ट लागू नही होता

Created on Tuesday, 28 September 2021 16:11
Written by Shail Samachar

2013 में राजस्व विभाग को सौंपी जांच की रिपोर्ट आज तक क्यों नही आ पायी?
नियामक आयोग की शिकायत पर मामला दर्ज करने में जयराम सरकार ने दो वर्ष क्यों लगाये
शिमला/शैल। भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमन्त्री शान्ता कुमार और कांग्रेस विधायक राजेन्द्र राणा ने मानव भारती विश्वविद्यालय में घटे फर्जी प्रकरण पर गंभीर जांच की मांग की है। शान्ता कुमार ने इस जांच के लिये मुख्यमन्त्री जय राम ठाकुर और डी जी पी संजय कुण्डू से भी बात करने का दावा किया है। राजेन्द्र राणा ने तो इसके लिये प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति तक को पत्र लिखे हैं। राणा ने तो यह भी आरोप लगाया है कि इसमें जम़ीन लेने को लेकर भी घोटाला हुआ है। राजेन्द्र राणा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। इस तरह इन बड़े नेताओं के आरोपों से यह मामला हरेक के लिये चर्चा का विषय बन गया है। इन फर्जी डिग्रीयों मे हजारों करोड़ के लेन देन का आरोप लगा है। इन आरोपों के साये में प्राईवेट सैक्टर में खुले इन विश्वविद्यालयों पर नजर डालने की आवश्यकता हो जाती है। क्योंकि जब यह विश्वविद्यालय खुले थे तब भी इनको लेकर हिमाचल बेचने जैसे आरोप लगे थे। कई छात्र संगठनों ने शिक्षा का बाजारीकरण करने के आरोप लगाये थे।
स्मरणीय है कि नीजि क्षेत्र में विश्वविद्यालय खोलने के लिये सरकार पहला विधेयक 2006 में लाई थी। उस समय स्व. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय विश्वविद्यालय खोलने के लिये नयून्तम कितनी जम़ीन चाहिये ऐसी कोई सीमा नही रखी गई थी केवल यह कहा गया था कि प्रस्तावित विश्वविद्यालयों के पास 10 हजार वर्ग गज का नीर्मित ऐरिया होना चाहिये। यह 2006 का अधिनियम आने के बाद 2008 तक ही 10 विश्वविद्यालय प्रदेश में खुल चुके थे। शायद इसीलिये इस अधिनियम को और पुख्ता करने के लिये 2009 में नये सिरे से विधेयक लाया गया। इसमें केवल न्यूनतम जमीन की सीमा 50 बीघा की लगा दी गई। इस सीमा के साथ भी यह रखा गया की 10 हजार वर्ग का क्षेत्र निर्मीत होना चाहिये। लेकिन दोनों ही अधिनियमों में जमीन की अधिकतम सीमा कितनी होनी चाहिये इस पर कुछ नही कहा। इसका परिणाम यह हुआ कि सभी विश्वविद्यालय के पास एक बराबर जम़ीन न होकर अलग-अलग सीमा तक जम़ीने है। एक के पास न्यूनतम 52 बीघे है तो एक के पास अधिकतम 1765 बीघे है। सभी 16 विश्वविद्यालयों के पास अलग अलग सीमा तक जम़ीने है।
2009 में जो अधिनियम लाया गया था उसमें ही रैगुलेटरी कमीश्न बनाने का भी प्र्रावधान किया गया जो 2006 के अधिनियम में नही था। इसमें इन विश्वविद्यालयों पर नियमन रखने के लिये नियामक आयोग को व्यापक शक्तियां दी गयी हैं। 2009 के अधिनियम में यह शर्त रखी गई है कि विश्वविद्यालय 15 वर्ष से पहले भंग नही किया जा सकेगा। लेकिन 2006 के अधिनियम में विश्वविद्यालय को भंग करने के लिये कोई समय सीमा नही रखी गयी है। दोनों अधिनियमों में विश्वविद्यालय के भंग होने पर सारी परिसंपतियों की मालिक विश्वविद्यालय की संचालक संस्था को रखा गया है। यदि दोनों अधिनियमों का एक साथ अध्ययन किया जाये तो 2009 में नियामक आयोग बना कर तथा विश्वविद्यालय को भंग करने के लिये 15 वर्ष की शर्त रखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें सभी पक्षों का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है।
हिमाचल में किसी भी गैर कृषक को सरकार से अनुमति लिये बिना जमीन खरीद का अधिकार नही है। यह अनुमति भू-सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत दी जाती है। इस अनुमति में यह शर्त रहती है कि इस तरह ली गई जमीन को दो वर्ष के भीतर उपयोग में लाना होता है। यदि खरीदने वाला किन्ही कारणों से ऐसा नही कर पाता है तो उसे सरकार एक वर्ष तक और समय दे देती है। फिर भी यदि जम़ीन का उपयोग न हो पाये तो ऐसी जम़ीन को बिना किसी शर्त के सरकार की मलकियत में लेने का प्रावधान है। 2013 में वीरभद्र सिहं की सरकार आने पर इन विश्वविद्यालयों की जम़ीन खरीद को लेकर राजस्व विभाग को जांच के आदेश दिये गये थे। इस जांच में यह देखा जाना था कि इन जम़ीनों की खरीद में कोई नियमों की अनदेखी तो नही हुई है। लेकिन आज तक इस जांच की कोई रिपोर्ट सामने नही आयी है। यह भी सामने नही आया है कि इन विश्वविद्यालयों ने तय समय सीमा के भीतर खरीदी हुई जमीन का पूरा उपयोग कर लिया है या नही। राजस्व विभाग अभी तक यह भी स्पष्ट नही कर पाया है कि इन पर धारा 118 के तहत दो वर्ष की सीमा लागू होगी या नही। वैसे अभी इस दो वर्ष की समय सीमा को बढ़ाने या हटाने को लेकर कोई संशोधन राजस्व अधिनियमों नही हुआ है। इसी के साथ यह भी स्पष्ट नही किया गया है कि विश्वविद्यालय लैण्ड सिलिंग एक्ट के दायरे में आते हैं या नही। वैसे कानून के जानकारों को मुताबिक विश्वविद्यालय यह जम़ीने खरीद कर मालिक हो गये हैं और हर मालिक लैण्ड सिलिंग एक्ट के दायरे में आता है।
इस परिदृश्य में यदि शान्ता कुमार और राजेन्द्र राणा द्वारा उठाये गये मुद्दों का अवलोकन किया जाये तो उनका हमला सीधा भाजपा के पूर्व मुख्यमन्त्री पर है। यदि लगाये गये आरोपों को देखा जाये तो जब मानव भारती विश्वविद्यालय को लेकर पहली शिकायत आयी तो उसकी जांच नियामक आयोग द्वारा जब की गई तब वीरभद्र सिहं के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। उसके बाद जब दूसरी बार शिकायत आयी तब नियामक आयोग ने अगस्त 2017 को इसे डी जी पी को मामला दर्ज करके जांच के लिये भेज दिया। लेकिन 2017 में भेजी गई इस शिकायत पर 2020 में मामला दर्ज हुआ। 2018 से जयराम सरकार सत्ता में आ चुकी थी। इस सरकार में ऐसी गंभीर शिकायत पर मामला दर्ज करने में इतनी देर क्यों लगा दी गयी यह अपने में ही एक अलग विषय बन जाता है। जिसका जबाव इसी सरकार को देना पड़ेगा। 2006 के एक्ट में जम़ीन की सीमा और विश्वविद्यालय भंग करने की सीमा तथा इन पर लैण्ड सिलिंग एक्ट के प्रावधानों पर खामोशी बरतने का जबाव उस समय की सरकार पर आता है। लैण्ड सिंलिग एक्ट आज भी लागू नही किया जा रहा है इसका जबाव आज की सरकार को देना है। ऐसे में राजनीतिक हल्कों में यह सवाल उठ रहा है कि इन शिकायतों के माध्यम से पूर्व मुख्यमन्त्री का नाम लेकर वर्तमान सरकार पर ही निशाना साधा जा रहा है।
यह है एक्ट में प्रावधान

THE HIMACHAL PRADESH PRIVATE UNIVERSITIES (ESTABLISHMENT AND REGULATION) BILL, 2006  के मुताबिक  Acquire and construct a minimum of 10,000 square meters of covered space suitable for conducting academic programmes, and for other purposes.

Dissolution of the university by the sponsoring body.-(1) The sponsoring body may dissolve the university by giving a notice to this effect to the Government, the employees and the students of the university at least one year in advance:
Provided that dissolution of the university shall have effect only after the last batches of students of the regular courses have completed their courses and they have been awarded degrees, diplomas or awards, as the case may be.
(2) On the dissolution of the university all the assets and liabilities of the university shall vest in the sponsoring body:
Provided that in case the sponsoring body contravenes the undertaking given as per clause (j) of sub-section (1) of section 5, all the asset.
और THE HIMACHAL PRADESH PRIVATE UNIVERSITIES (ESTABLISHMENT AND REGULATION) BILL, 2009 के मुताबिक  Acquire atleast 50 Bigha of land and construct a minimum of 10,000 square meters of covered space suitable for conducting academic programmes, and for other purposes;
Dissolution of the university by the sponsoring body.—(1) The sponsoring body may dissolve the university by giving a notice to this effect to the Visitor, Government, Regulatory Commission, the employees and the students of the university at least one year in advance: Provided that dissolution of the university shall have effect only after the last batches of students of the regular courses have completed their courses and they have been awarded degrees, diplomas or awards, as the case may be.
(2) The Regulatory Commission, on receipt of such information, shall have the right to issue such directions to the sponsoring body for the fulfillment of its obligations under sub-section (1) as it may deem necessary, and if the sponsoring body contravenes the provisions of sub section (1), the endowment fund shall be forfeited by the Regulatory Commission and the Regulatory Commission shall make arrangements for completion of courses, conduct of examinations, award of degrees, etc. of students of the private university, either by undertaking the job itself or by assigning the job to some other university in such manner that the interest of the students are not affected adversely in any manner and expenditure made for these arrangement for the students shall be made good from the money deposited in the endowment fund and/or general fund of the private university.
(2) On the dissolution of the university all the assets and liabilities of the university shall vest in the sponsoring body:
Provided that in case the sponsoring body contravenes the undertaking given as per
clause (j) of sub-section (1) of section 5, all the assets of the university shall vest in the Government free from all encumbrances.

यह है नीजि विश्वविद्यालयों के पास जमीन

 

Name of the Universities                                         Land Status
1.Arni University (Kathgarh),Tehsil Indora,                   120 Acre
Distt. Kangra,Himachal Pradesh
2. Bahra University Waknaghat, Solan district,              139.06 Bigha
Himachal Pradesh
3. Chitkara University Barotiwala Distt. Solan                 120.09 Bigha
4. Eternal University Baru Sahib, Distt. Simour                84 Bigha
5. ICFAI University, Baddi 1765 Bigha
6. Indus International University,Distt. Una                   227 Bigha
7. Maharishi Markandeshwar University, Solan                 55.35 Bigha
8. Manav Bharti University Distt. Solan                           232 Bigha
9. Shoolini University of Biotechnology                          84.13 Bigha
and Management Sciences Distt. Solan
10. Sri Sai University Distt. Kangra                                75.10 Bigha
11. AP Goyal Shimla University Distt. Shimla                  54.13 Bigha
12. IEC University, Baddi Distt. Solan                            52 Bigha
13. Atal Educational Hub Kallujhanda,                           219.71 Bigha
Baddi , Teh. Nalagarh Distt. Solan
14. Career Point University, Distt. Hamirpur               48891.54 Sq.Mtr
15. Maharaja Agrasen University Baddi Solan             278.07 Kanal