खालिस्तानी झण्डा प्रकरण पर बहुत कमजोर है मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

Created on Monday, 09 May 2022 08:31
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश के धर्मशाला स्थित विधानसभा परिसर पर कोई रात के अंधेरे में खालिस्तान का झण्डा लगाकर खालिस्तान के समर्थन के बारे में भी लिख जाता है। पुलिस किसी को भी घटनास्थल पर पकड़ नहीं पायी है। बाद में अज्ञात लोगों पर सरकारी संपत्ति को विकृत करने के अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लेती है। इस प्रकरण में मुख्यमंत्री के उनके ट्वीट के माध्यम से आयी प्रक्रियाओं में कहा गया है कि यह परिसर केवल शीतकालीन सत्र के दौरान ही उपयोग में आता है इसलिये वहां पर सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी नहीं रहती है। इसी का लाभ उठाकर रात के अंधेरे में उस काम को अंजाम दिया गया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि साहस हो तो दिन के उजाले में ऐसा करके दिखायें। स्वभाविक है कि मुख्यमंत्री ने यह जानकारी मिलते ही प्रशासन से इस का पूरा ब्यौरा लिया होगा और उसके आधार पर यह प्रतिक्रिया जारी की होगी। मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया से पहला सवाल यह उठता है कि जो संपत्तिया रेगुलर उपयोग में नहीं हैं उनकी सुरक्षा के प्रति सरकार ज्यादा सजग नहीं है। क्या मुख्यमंत्री की यह प्रतिक्रिया स्वीकार्य हो सकती है? विधानसभा परिसर एक ऐसा स्थल है जहां पर सीसीटीवी कैमरे और कुछ सुरक्षाकर्मी हर समय तैनात रहना अनिवार्य है। भले ही उनकी संख्या कम हो। खालिस्तान का झण्डा और नारा परिसर के मुख्य द्वार पर लगा मिला है। ऐसे में यह सब करने वालों के चित्र कैमरे में भी अंकित होना और उनका सुरक्षाकर्मी की नजर में आना स्वभाविक हो जाता है। लेकिन यह विवरण सामने नहीं आया। भले ही दर्ज मामले में देशद्रोह की धारा भी जोड़ दी गयी है लेकिन इस पर स्थिति स्पष्ट होना आवश्यक है क्योंकि इस घटना से एक सप्ताह पहले ही शिमला में एंटी टेरेरिस्ट फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने एक पत्रकार वार्ता करके खालिस्तानीयों को चुनौती दी थी। जिसके बाद गुप्तचर एजेंसियों का और स्तर्क होना आवश्यक हो जाता है। इस परिपेक्ष में अब तक सरकार के पास कोई ठोस जानकारी न होना पूरे प्रशासन पर सवाल उठाता है। क्योंकि अब जो सीमायें सील करने के कदम उठाये गये हैं वह सब तो शांडिल्य के ब्यान के बाद ही उठा लिये जाने चाहिये थे। प्रदेश का हर आदमी इस घटना की निंदा करने के साथ ही सरकार से सवाल भी पूछेगा। क्योंकि प्रदेश की सुरक्षा की दिन-रात की जिम्मेदारी सरकार की है। ऐसे में रात के अंधेरे में विधानसभा परिसर के मुख्य द्वार पर यह घट जाये और मुख्यमंत्री इस तरह की प्रतिक्रिया दे तो उससे आम आदमी के मनोबल और सरकार पर उसके विश्वास तथा निर्भरता सभी पर एक साथ प्रभाव पड़ेगा। सरकार को इस पर सारी जानकारियां प्रदेश की जनता से सांझी करनी चाहिए। क्योंकि खालिस्तानी तत्व 2021 से ही इस संबंध में धमकीयां देते आ रहे हैं। इस संदर्भ में कोई भी देरी सारे घटनाक्रम को राजनीतिक आईने में देखने के लिये आम आदमी को मजबूर कर देगी जो कि और भी घातक होगा।