शिमला/शैल। प्रदेश सरकार के दवा नियन्त्रक नवनीत मरवाह के खिलाफ बद्दी के एक सामाजिक कार्यकर्ता एम सी जैन ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुये एक शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 29-4-2022 को भेजी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से जैन के नाम आये पत्र के मुताबिक यह शिकायत 14-5-2022 को मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश को कारवाई के लिए भेज दी गई थी लेकिन इस पर एक माह तक कोई कारवाई न होने पर जैन ने 4-6-2022 को फिर प्रधानमंत्री को एक पांंच पन्नों का शिकायत पत्र भेजा है। जैन ने इस के हर पन्ने पर हस्ताक्षर किये हुये हैं। जैन ने इस पत्र में कुछ और जानकारियां प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी हैं। जिस तरह से जैन पुनः इस शिकायत को भेज रहा है उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वह आरोपों के प्रति पूरी तरह आश्वसत है। जैन की यह शिकायत 30-7-2022 को मुख्य सचिव से प्रधान सचिव स्वास्थ्य को भी जा चुकी है। परंतु अभी तक शायद यह शिकायत विजिलैन्स तक नहीं पहुंच पायी है और न ही इस संद्धर्भ में कोई मामला दर्ज हो पाया है। जयराम सरकार में स्वास्थ्य विभाग सबसे अधिक चर्चा में रहा है। पत्र बम्बों का शिकार भी यह विभाग सबसे अधिक रहा है। इन्हीं विवादों के चलते स्वास्थ्य मंत्री को हटाया गया। विभाग के निदेशक के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ और गिरफ्तारी तक हुई। प्रदेश में बन रही दवाइयों के दर्जनों सैंपल फेल हो चुके हैं। लेकिन किसी भी मामले में किसी भी निर्माता का लाइसेंस तक रद्द नहीं हुआ है। सरकार सो कॉज़ नोटिस से अधिक कारवाई नहीं कर पायी है। इससे यह संदेश जाता है कि सरकार भ्रष्टाचार की शिकायतों का संज्ञान लेने के प्रति गंभीर नहीं है। क्योंकि यदि प्रधानमंत्री कार्यालय से आयी शिकायत पर भी चार माह में मामला दर्ज न हो पाये तो इसे कोई भी क्या मानेगा। जबकि चुनाव के वक्त में तो सरकारें भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाने के लिये ऐसे मामलों में तुरन्त कारवाई करती है। जैन द्वारा की गई शिकायत कितनी गंभीर है इसका आकलन पाठक शिकायत पढ़कर स्वयं कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र आने के बाद भी कार्रवाई न होने का अर्थ क्या है।