क्या प्रदेश का फार्मा उद्योग राजनीतिक चन्दे का बड़ा स्त्रोत है इसलिए संबद्ध तंत्र की जांच नहीं हो पाती

Created on Thursday, 13 October 2022 02:59
Written by Shail Samachar

दवा नियंत्रक मरवाह के खिलाफ एम.सी. जैन की शिकायत से उठी चर्चा
पांच सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने के हैं आरोप
60 करोड़ सरकार तक पहुंचने का भी है जिक्र
प्रधानमंत्री कार्यालय और ड्रग कंट्रोलर जनरल तक दे चुके हैं जांच के आदेश

शिमला/शैल। अफ्रीकी देश गाम्बिया में हुई 66 बच्चों की मौत ने सारे विश्व को हिला कर रख दिया है क्योंकि यह मौतें एक कफ सिरप के सेवन से हुई और यह दवा भारत में बनी पायी गयी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुयेे इसमें जांच के आदेश दिये हैं। इस घटना से न केवल विदेश व्यापार प्रभावित हुआ है बल्कि देश की प्रतिष्ठा को भी गहरा आघात लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आदेशित जांच की आंच हिमाचल तक भी पहुंच चुकी है। इस परिदृश्य में प्रदेश के फार्मा उद्योग और उस को नियंत्रित करने वाले तन्त्र पर उठते सवाल गंभीर हो जाते हैं। प्रदेश में बनने वाली दवाओं के सैम्पल दर्जनों बार फेल हो चुके हैं। प्रदेश की विधानसभा के लगभग हर सत्र में इस आश्य के सवाल पूछे जाते रहे हैं और सरकार जवाब में फेल हुई दवाओं और उनकी निर्माता फार्मा कंपनियों के नामों की जानकारी सदन में रखती रही है। ऐसी कंपनियों को शो कॉज नोटिस दिये जाने की जानकारी भी सदन में रखी जाती रही है। लेकिन इस पर किसी फार्मा उद्योग का लाइसैन्स रद्द कर दिया गया हो या ड्रग कंट्रोल तन्त्र में इसके लिए किसी को सजा दी गई हो ऐसी कोई जानकारी सदन में नहीं आयी है।
जबकि प्रदेश में बनी दवाओं के सेवन से लोगों की मौत होने तक की खबरें आती रही हैं। जम्मू कश्मीर में यहां की बनी दवा के सेवन से बच्चों की मृत्यु हो जाने पर मामला दर्ज किया गया था। लेकिन उसमें निर्माता कंपनी के खिलाफ क्या कारवाई हुई यह आज तक सामने नहीं आया है। लम्बे अरसे से प्रदेश के फॉर्मा उद्योग पर आरोप लगते आ रहे हैं। कॉल सिंह, जगत प्रकाश नड्डा, विपिन परमार और अब राजीव सैजल सभी स्वास्थ्य मंत्रियों के कार्यकाल में विभाग पर गंभीर आरोप लगते आये हैं। स्वस्थय निदेशकों की गिरफ्तारियां तक हुई। मंत्रियों से विभाग तक छीन लिये गये लेकिन किसी फार्मा उद्योग के खिलाफ कारवाई नहीं हो पायी। लेकिन पिछले दिनों जब इसी उद्योग से जुड़े एक डॉक्टर एम.सी. जैन ने प्रदेश के दवा नियन्त्रक नवनीत मरवाह के खिलाफ बहुत ही गंभीर आरोपों का पुलिंदा देश के प्रधानमंत्री को भेजा तब इस उद्योग और इसके नियन्त्रक तन्त्र को लेकर कई सवाल खड़े हो गये। क्योंकि जैन को यह शिकायत प्रधानमंत्री को तब भेजनी पड़ी जब प्रदेश सरकार और उसके तन्त्र ने इस पर कोई कारवाई नहीं की।
जैन ने मरवाह पर 500 करोड़ की संपत्ति अवैध रूप से अर्जित करने के आरोप लगाये हैं। इन आरोपों की जांच तब के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार और राज्य सरकार तक आती है। क्योंकि सरकार तक भी 60 करोड़ आने के आरोप हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से यह आरोप मुख्यमंत्री कार्यालय में जांच करवाने के निर्देशों के साथ पहुंचे हुये हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल इस संबंध में प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को भी पत्र भेज चुके हैं। लेकिन जयराम सरकार इन आरोपों पर अभी तक विजिलैन्स में मामला दर्ज करके इनकी जांच किये जाने के आदेश नहीं दे पायी है। जबकि जैन जांच में सहयोग करके इनको प्रमाणित करवाने का दावा कर रहा है। एक पत्रकार वार्ता में शिमला में उसने यह दावा किया है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि इन आरोपों की विधिवत जांच करवाकर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जाये। यदि जांच में आरोप प्रमाणित न हों तो जैन के खिलाफ कारवाई की जाये। लेकिन बिना किसी जांच के मरवाह के जवाब के आधार पर ही इन आरोपों को खारिज करना सरकार की नीयत पर गंभीर सवाल उठाता है।क्योंकि जैन ने कंपनियों के नाम उजागर करते हुये मरवाह की मिली भगत के आरोप लगाये हैं।

यह है ड्रग कंट्रोलर जरनल के पत्र