क्या किसानों को फिर आन्दोलन करना पड़ेगा

Created on Wednesday, 30 November 2022 08:42
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। संविधान दिवस के अवसर पर किसानों ने फिर सरकार के खिलाफ धरने देकर विरोध प्रदर्शन किया है और महामहिम राष्ट्रपति को प्रशासन के माध्यम से देश भर में ज्ञापन सौंपा है। इस विरोध और ज्ञापन के माध्यम से सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया गया है। स्मरणीय है कि जब केन्द्र सरकार ने कोविड काल में तीन कृषि कानून पारित किये और उन्हें लागू करने का प्रयास किया था तब इन कानूनों के खिलाफ देशभर में रोष फूट पड़ा था। कानून वापस लेने की मांग पूरे देश में उठ गयी थी। किसानों को आन्दोलन का रास्ता अपनाना पड़ा था। आजाद भारत का यह सबसे बड़ा आन्दोलन रहा है जो एक वर्ष से भी ज्यादा समय तक चला। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस आन्दोलन पर प्रतिक्रियाएं उभरी हैं। इस आन्दोलन को असफल बनाने के लिए सरकार किस हद तक चली गई थी आज इसे दोहराने की जरूरत नहीं है क्योंकि पूरे देश में वह सब कुछ देखा है। संसद से लेकर सर्वाेच्च न्यायालय तक आन्दोलन की आहट पहुंची है।
इसी परिदृश्य में 9 दिसंबर 2021 को सरकार की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा के नाम आये पत्र के आधार पर 11 दिसंबर 2021 को इस आंदोलन को रोक दिया गया। किसानों ने अपने धरने प्रदर्शन उठा लिये। सरकार ने किसानों की मांगे स्वीकार करने का लिखित आश्वासन दिया। लेकिन इस आश्वासन के बाद एक वर्ष से भी अधिक का समय बीत जाने पर भी मांगो की दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। बल्कि सरकार की नीयत पर फिर से सन्देह के बादल छाने लगे हैं। सरकार की नीयत को भांपते हुये किसानों ने संविधान दिवस पर यह ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में सौंपे गये ज्ञापन को यथास्थिति पाठकों के सामने रखा जा रहा है।