शिमला/शैल। स्मरणीय है कि जनवरी 2020 में यह भाषण एक रैली को संबोधित करते हुये केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने यह भाषण दिया था। उस दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन चल रहे थे। ऐसा ही एक धरना शाहीन बाग में चल रहा था। वहीं पर एक भाजपा चुनावी रैली को संबोधित करते हुये इन नेताओं ने यह भाषण दिये थे। चुनाव आयोग ने इसका संज्ञान लेते हुये इनके चुनाव प्रचार में कुछ समय के लिये प्रतिबन्ध भी लगा दिया था। इन भाषाओं का संज्ञान लेते हुए सी.पी.एम. नेता वृंदा करात ने दिल्ली की एक अदालत में इनके खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग कर दी। अदालत ने यह मांग यह कह कर अस्वीकार कर दी की एफ.आई.आर. दर्ज के लिये अनुमति चाहिये जो इस मामले में नहीं है। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ करात दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गयी। लेकिन उच्च न्यायालय ने भी एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिये स्वीकृति चाहिये के तर्क को बहाल रखते हुये वृंदा की याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ वृंदा एस.एल.पी. में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी। सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस के.एम.जोसेफ और बी.वी. नागरत्ना की खंडपीठ ने इस पर नोटिस जारी कर दिये हैं। उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया मैजिस्ट्रेट के अनुमति के तर्क को सही नहीं माना है। हेट स्पीच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को ही एफ.आई.आर. दर्ज करने के निर्देश दे रखे हैं। एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिये भ्रष्टाचार के मामलों में अनुमति चाहिये अपराधिक मामलों में नहीं। राहुल गांधी के खिलाफ एक मानहानि के मामले में आये फैसले के बाद अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा प्रकरण की गंभीरता बढ़ जाती है। राहुल गांधी के ब्यान से इन नेताओं का ब्यान ज्यादा गंभीर है। राहुल ने भी चुनावी रैली में ही ब्यान दिया था और उसका कोई संज्ञान चुनाव आयोग ने नहीं लिया था। जबकि अनुराग और प्रवेश शर्मा के ब्यानों का संज्ञान लेकर चुनाव आयोग ने इन के प्रचार पर भी कुछ घंटों के लिये प्रतिबन्ध लगा दिया था। फिर इनके ब्यानों के कुछ दिन बाद शाहीन बाग में बंदूक की घटना घट गयी थी। आज जिस तरह का राजनीतिक माहौल बनता जा रहा है उसके परिदृश्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी नोटिस के बाद इसकी गंभीरता बढ़ जाती है। अनुराग ठाकुर हिमाचल से सांसद हैं ऐसे में प्रदेश की राजनीति पर भी इसका प्रभाव पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।