शिमला/शैल। प्रदेश में भारी और अप्रत्याशित बारिश से आयी बाढ़ तथा भूस्खलन से स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आये पर्यटक भी प्रभावित हुये हैं। क्योंकि एकदम सारी व्यवस्थाएं फेल हो गयी। हजारों पेयजल योजनाएं टूट जाने से पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया। सड़कें और पुल टूटने से यातायात सुविधाएं प्रभावित हो गयी। जो जहां था वहीं फस कर रह गया। पर्यटकों को ऐसे स्थानों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाना प्राथमिकता और चुनौतियों दोनों बन गये। 70,000 पर्यटकों को सुरक्षित निकालना एक बड़ा काम था। इस काम के लिये कई जगहों पर सेना और वायु सेना की मदद ली गयी। मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी मंत्रियों तथा विपक्षी नेताओं ने भी प्रभावित स्थलों का दौरा करके पीड़ितों को यह एहसास कराया कि सरकार इस आपदा की घड़ी में उनके साथ खड़ी है। लेकिन क्या पूरा सरकारी तन्त्र भी उसी निष्ठा के साथ सहयोग कर रहा था। यह सवाल कुछ घटनाएं सामने आने के बाद खड़ा हुआ है। मण्डी से हिमाचल पथ परिवहन निगम की एक बस सुरक्षित निकाले गये आपदा में फंसे यात्रियों को रोपड़ छोड़ने गयी। वहां पहुंचकर इन यात्रियों से सामान्य से अधिक किराया वसूला गया। यहां तक कि छोटे बच्चों का भी पूरा किराया लिया गया। मण्डी से चलते हुये इन्हें यह नहीं बताया गया था कि इनसे किराया लिया जायेगा। रोपड़ में जब किराये पर विवाद हुआ तब किसी यात्री ने इस घटना का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। यात्री यह कहते हुये सुना जा सकता है कि पंजाब के लोग तो मुसीबत में फसे लोगों की सहायता के लिये लंगर लगाता है हिमाचल मुसीबत का नाजायज फायदा उठा रहा है। इसमें हिमाचल सरकार से ऐसा न करने का आग्रह किया गया है। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार की क्या छवि बाहर गयी होगी। इसी तरह चंद्रताल में फंसे पर्यटकों को सुरक्षित निकालने का मामला है। इसमें राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने विशेष भूमिका निभाई है। लेकिन इन यात्रियों को वायु सेना ने सुरक्षित निकाला है। चंद्र ताल में कोई हेलीपैड तक नहीं है पूरे क्षेत्र में भारी बर्फबारी थी। ऐसे में वायु सेना ने ही इस कार्य को अन्जाम दिया। परन्तु जब मुख्यमंत्री ने अपने प्रशासन और सहयोगियों का धन्यवाद किया तो वायु सेना के योगदान का जिक्र करना भूल गये। जबकि वायुसेना ने बाकायदा टवीट कर अपने लोगों की सराहना की है। इस पर भी अनचाहे ही एक मुद्दा खड़ा हो गया है। इस आपदा में सरकारी आकलनों के मुताबिक 8000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। राज्य सरकार ने राहत कार्यों के लिये 1100 करोड़ जारी किये हैं। नेता प्रतिपक्ष के मुताबिक केन्द्र सरकार से भी 364 करोड़ मिले हैं। जब केन्द्रीय गृह सचिव ने राहत का आकलन करने के लिए तीन भेजने हेतु प्रदेश के मुख्य सचिव से संपर्क करने के लिये उन्हें फोन किया था तब मुख्य सचिव जार्डन एक प्रदर्शनी देखने गये हुए थे। इस आपदा से प्रदेश का हर आदमी प्रभावित हुआ है। इस दौरान खाद्य पदार्थों और सब्जियों के दामों में अभूतपूर्व बढ़ौतरी देखने को मिली है जिससे हर आदमी प्रभावित हुआ है। प्रशासन कीमतों पर नियंत्रण रखने में पूरी तरह असफल रहा है। ऐसे में इस आपदा के समय में सरकार ने डीजल पर तीन रूपये वैट बढ़ाकर लोगों को और ज्यादा महंगाई झेलने के लिए विवश कर दिया है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि वैट बढ़ाकर सरकार ने जनता पर 1500 करोड़ का और बोझ डाल दिया है। क्योंकि इसे हर चीज का माल भाड़ा बढ़ जायेगा। ट्रक यूनियनों ने यह वैट बढ़ाये जाने के बाद अपने किरायों में वृद्धि की घोषणा कर दी है। इस वृद्धि का आपदा राहत कार्यों पर भी कुप्रभाव पड़ेगा। इस आपदा की घड़ी में कीमतें कम करने और उन पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया जाना चाहिए था। जबकि इस बढ़ौतरी से केवल सरकार और ठेकेदार का ही लाभ होगा। इस बढ़ौतरी से राजनीति तौर पर भी नुकसान होगा। माना जा रहा है कि प्रशासन ने सरकार को इस आपदा काल में सही राय न देकर भाजपा को मुद्दा उपलब्ध करवाने का काम कर दिया है।