सुखविंदर सिंह बनाम निशु ठाकुर मानहानि मामले पर लगी पूरे प्रदेश की निगाहें

Created on Monday, 18 September 2023 13:18
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने वर्ष 2017 में नादौन विधानसभा क्षेत्र के गांव जड़ौत के एक भाई बहन निशु ठाकुर और ईशा ठाकुर एवं धर्मशाला खनियारा के प्रवीण शर्मा तथा नादौन के कपिल बस्सी के खिलाफ शिमला के चक्कर स्थित ए सी जे एम की अदालत में एक मानहानि का मामला दायर किया था। इस मामले की पेशी अभी 16-9-2023 को लगी थी। इस पेशी पर अदालत में प्रवीण शर्मा को समन्न तालीम करवाने और अन्य को मामले के वांछित दस्तावेज उपलब्ध करवाने के सख्त निर्देश दिये हैं। यह मामला छः वर्ष पहले दायर हुआ था और इन छः वर्षों में सभी कथित अभियुक्तों को सर्विस न हो पाना तथा उन्हें मामले से जुड़े दस्तावेज ही उपलब्ध न हो पाना न्यायिक व्यवस्था को लेकर बहुत कुछ कह जाता है।
इस मामले में सुखविंदर सिंह सुक्खु द्वारा दायर शिकायत के मुताबिक निशु और ईशा भाई बहन ने 20-9-2016 और 23-9-2016 को हमीरपुर के होटल हमीर में एक पत्रकार वार्ता करके सुखविंदर सिंह सुक्खु के खिलाफ अवैध खनन और अपने भाई के नाम 800 कनाल जमीन खरीदने तथा बाद में उसे अपने नाम ट्रांसफर करवाने का आरोप लगाया था। पत्रकार वार्ता खूब छपी थी जिस पर कई लोगों ने सवाल पूछने शुरू कर दिये थे। इससे आहत होकर सुखविंदर सिंह सुक्खु ने अदालत जाने का फैसला लिया। अदालत जाने से पहले इन्हें बाकायदा एडवोकेट अनूप रत्न के माध्यम से नोटिस सर्व किया गया। परन्तु नोटिस पर क्षमा याचना न करने पर वकील राजन काहोल के माध्यम से शिमला की अदालत में मानहानि का मामला दायर करने की स्थिति पहुंची और पिछले छः वर्ष से यह मामला इस चाल से चल रहा है।
दायर शिकायत के अनुसार भाई के नाम 800 कनाल जमीन खरीदने का आरोप बहुत गंभीर और संवेदनशील है। क्योंकि हिमाचल में 1973 से लैण्ड सीलिंग एक्ट लागू है। इस एक्ट के अनुसार प्रदेश में कोई भी व्यक्ति 315 कनाल से ज्यादा जमीन अपने पास रख ही नहीं सकता है और जब रख ही नहीं सकता है तो बेचेगा कैसे। फिर राजस्व अधिकारी 800 कनाल की रजिस्ट्री कैसे कर लेगा? इस परिप्रेक्ष में पहली ही नजर में यह आरोप सही नहीं लगता क्योंकि इतनी जमीन की रजिस्ट्री होना ही अपने में कई फ्रंट खोल देता है।
जहां तक अवैध खनन का प्रश्न है तो क्षेत्र के रहने वाले लोग जानते हैं कि गांव जड़ौत में मान खड्ड पर स्टोन क्रशर और मिक्सर का एक प्लांट काफी वर्षों तक वहां ऑपरेट करता रहा है और उस प्लांट से पर्यावरण के नुकसान के साथ ही स्थानीय लोगों के हक प्रभावित हो रहे थे। क्योंकि इसी स्थान पर कई गांवों का शमशान भी था। लोगों की जमीने भी खराब हो रही थी। संयोगवश यह प्लांट सुखविंदर सिंह के गांव के पास ही था। क्षेत्र का जनप्रतिनिधि होने के नाते लोग इसकी शिकायत सुक्खु से भी करते रहे हैं। लेकिन जब प्लांट मालिकों पर सुखविंदर सिंह ंके कहने समझाने का कोई असर नहीं हुआ तब इन लोगों को एन.जी.टी. में जाना पड़ा। एन.जी.टी. ने शिकायत पर एस.डी.एम. नादौन से रिपोर्ट तलब की। एस.डी.एम. ने अपनी रिपोर्ट में कह दिया कि कुछ भी अवैध नहीं हो रहा है। एस.डी.एम. की रिपोर्ट पर एतराज उठने पर एन.जी.टी. ने एक कमिश्नर नियुक्त करके उससे रिपोर्ट तलब कर ली। कमिश्नर की रिपोर्ट में अवैधता प्रमाणित हो गयी। इस रिपोर्ट पर एन.जी.टी. ने इस प्लांट को तुरन्त प्रभाव से हटाने के निर्देश दिये और इन निर्देशों के बाद यह प्लांट वहां से उठा दिया गया।
ऐसे में अब यह मानहानि का मामला एक रोचक मोड़ पर आ पहुंचा है। यदि 800 कनाल की खरीद के दस्तावेज अदालत में आ जाते हैं तो पूरा मामला ही बदल जायेगा। क्योंकि लैण्ड सीलिंग की सीमा में इतनी जमीन खरीदने का प्रावधान ही नहीं है। फिर यदि राजस्व रिकॉर्ड पर यह जमीन ताबे हकूक बर्तन बर्तनदारान पायी जाती है तो स्थिति और भी बदल जायेगी क्योंकि इस इन्दराज की जमीन विलेज कॉमललैण्ड मानी जाती है जिसे न बेचा जा सकता है और न ही उसे तक्सीम किया जा सकता है। ऐसी जमीन का प्राइवेट मालिक नहीं हो सकता है। ऐसे में इस मानहानि मामले पर पूरे प्रदेश की निगाहें लग गयी हैं।

यह है एन.जी.टी. का आदेश