भाजपा द्वारा याचिका वापस लेना मुकेश अग्निहोत्री की बड़ी जीत

Created on Wednesday, 27 December 2023 14:39
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। भाजपा के एक दर्जन विधायकों ने उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की नियुक्ति को चुनौती देने की याचिका प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की थी उसे अब इन विधायकों ने वापस ले लिया है। यह वापसी उस समय हुई है जब उच्च न्यायालय में इस मामले में बहस पूरी होने के बाद फैसला रिजर्व कर दिया गया था। लेकिन अब यह फैसला सुनाये जाने से पहले ही याचिका को वापस ले लिया गया। स्मरणीय है कि एन.के.शर्मा बनाम देवीलाल मामले में सर्वाेच्च न्यायालय उप-प्रधानमंत्री पद के मामले में फैसला देते हुये स्व. देवीलाल को राहत दे चुका है। हरियाणा में दुष्यन्त चौटाला के मामले में भी इसी तर्ज पर राहत दे चुका है। क्योंकि संविधान में उप-प्रधानमंत्री और उप-मुख्यमंत्री की एक जैसी ही स्थिति है। इसलिये यह तय माना जा रहा था कि मुकेश अग्निहोत्री को भी इस तर्ज पर राहत मिल जाएगी। ऐसे राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में यह सवाल पूछा जाने लगा है कि भाजपा के एक दर्जन विधायकों ने उप-मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी याचिका डाली ही क्यों थी। जबकि भाजपा शासित राज्यों में भी उप-मुख्यमंत्री नियुक्त हैं। अभी जिन राज्यों में भाजपा ने सरकारें बनायी है वहां भी उप-मुख्यमंत्री नियुक्त किये गये हैं। यह माना जा रहा था कि जब भाजपा के एक दर्जन विधायकों ने ऐसी याचिका डाली है तो निश्चित रूप से यह फैसला प्रदेश नेतृत्व की जगह पार्टी हाईकमान का ही रहा होगा। क्योंकि इसी के साथ मुख्य संसदीय सचिवों के खिलाफ भी याचिका डाली गयी थी और इसीलिये इसके कानूनी पक्ष पर कोई बड़ी चर्चा नहीं उठ पायी और जनता में सरकार के खिलाफ असंवैधानिकता का संदेश भी चला गया। क्योंकि मुख्य संसदीय सचिवों के मामलों में कानूनी स्थिति अलग है। ऐसे में यह माना जा रहा था कि उप-मुख्यमंत्री के खिलाफ यह याचिका डालकर भाजपा प्रदेश को राजनीतिक तौर पर अस्थिर करना चाहती थी जो सफल नहीं हो पायी। उप-मुख्यमंत्री के खिलाफ याचिका को वापस लिया जाना सरकार और कांग्रेस की एक बड़ी जीत है। इससे भाजपा की राजनीतिक नीयत और नीति दोनों का खुलासा हो जाता है। परन्तु इस जीत पर कांग्रेस और सरकार की ओर से भाजपा के खिलाफ बड़ी आक्रामकता का सामने न आ पाना भी कांग्रेस के अन्दर की स्थिति को ब्यान कर जाती है।