शिमला/शैल। पूर्व मुख्यमन्त्री एवम् वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल ने एक वक्तव्य में उन अधिकारियों के खिलाफ कारवाई करने की बात कही है जिन्होंने भाजपा नेताओं के खिलाफ झूठे मामले बनाकर उन्हे परेशान करने का प्रयास किया है। धूमल ने यह प्रतिक्रिया अनुराग ठाकुर एवम् अन्य के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने को लेकर बनाये गये मामले में आये प्रदेश उच्च न्यायालय के फैंसले पर दी है। धूमल की यह प्रतिक्रिया बिल्कुल सही समय पर आयी है। क्योंकि अब चुनाव का समय आ गया है। वीरभद्र के इस कार्यकाल में जिस तरह से एच पी सी ए के खिलाफ मामले बनाये गये थे यदि यह मामले सफल हो जाते तो निश्चित तौर पर ध्ूमल परिवार को राजनीति से बाहर होने की स्थिति बन सकती थी। लेकिन यह धूमल का प्रबन्धन और सौभाग्य था कि संयोगवश वीरभद्र के विश्वस्तों की टीम के हर सदस्य का एच पी सी ए में अच्छा खासा योगदान रहा है। इसी का परिणाम है कि अब तक चार मामलों में वीरभद्र और उसकी सरकार को ऐसा झटका लग चुका है जिसका फल चुनावों में देखने को मिलेगा। क्योंकि यदि एक भी मामला आगे बढ़ जाता है तो पार्टी के भीतर बगावत के स्वर इतने उंचे हो जाते जिन्हे रोकना संभव न होता।
इस समय प्रदेश भाजपा में धूमल के नेतृत्व को कोई प्रत्यक्ष चुनौति नही रह गई है। क्योंकि जे पी नड्डा को जानने वाले यह मानते हैं कि नड्डा भी शान्ता की तरह प्रत्यक्ष लड़ाई लड़ने का साहस नहीं रखते हैं। शान्ता कुमार ने धूमल को घरने के लिए जिस तरह से धूमल के दानों कार्यकालों में अपनी टीम को आगे किया था आज उस टीम का हर सदस्य शान्ता को छोड़ चुका है क्योंकि शान्ता ने कभी भी विरोध और विद्रोह का नेतृत्व आगे आकर नहीं किया है। बल्कि शान्ता के कारण ही उनके हर साथी का राजनीतिक नुकसान हुआ है। आज शान्ता के समर्थकों को अपना आका तलाशने का संकट है। इसलिए शान्ता के बाद नड्डा भी लगभग इसी स्थिति में माने जा रहे हैं। क्योंकि होटल यामीनि और विवेकानन्द ट्रस्ट के स्वार्थों ने शान्ता को वीरभद्र के आगे इतना कमजोर कर दिया है कि वीरभद्र की प्रशंसा उनकी बाध्यता बन चुकी है। इसी तरह जब भाजपा शासन में नड्डा के पिता को शिक्षा बोर्ड धर्मशाला का अध्यक्ष पद मिला था और बीच में ही भाजपा सरकार चली गई थी। तब उसके बाद आयी वारभद्र सरकार ने उनको हटाने की बजाये कार्यकाल पूरा करने दिया था। वीरभद्र का रस्मी पैंतरा इतना सफल रहा कि आज तक नड्डा वीरभद्र का रस्मी विरोध करने से आगे नही बढ़ पाये हैं। वीरभद्र के खिलाफ सी बी आई और ई डी में चल रहे मामलों में नड्डा का योगदान रस्म अदायगी तक ही सीमित रहा है।
दूसरी और धूमल ने अपने दोनांे शासन कालों में वीरभद्र को ऐसा घेरे रखा है कि उसकी पीड़ा से वीरभद्र आज भी हर समय कराहते मिल जाते हैं। फिर अब तो धूमल के बेटे अनुराग के बी सी सी आई का अध्यक्ष बनने के बाद पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। इस बदले परिदृश्य में अनुराग ने भी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया है यह आम चर्चा है कि अब अनुराग को मोदी सरकार में खेल राज्य मन्त्राी का पद आॅफर किया था। अनुराग ने बड़ी कृतज्ञता के साथ इसके लिए आभार व्यक्त करते हुए इस आॅफर को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि उन्हे अपने लिए मन्त्राी पद के बजाये प्रेम कुमार धूमल को प्रदेश का अगला मुख्यमन्त्राी घोषित किया जाये। आज पार्टी के अन्दर अनुराग का कद इतना बड़ा हो गया कि मोदी भी उनके इस आग्रह को अस्वीकार नहीं करेंगे।
इस वस्तुस्थिति में अब धूमल को केवल यही सुनिश्चित करना है कि वह वीरभद्र के खिलाफ चल रहे मामलों को शीघ्रातिशीघ्र निर्णायक अंजाम तक पंहुचाने में पूरा दम लगा दें। क्योंकि धूमल के खिलाफ वीरभद्र के हर मामले के असफल होने के राजनीतिक परिणामों को सामने रखते हुए वीरभद्र एक बार फिर प्रयास करेंगे कि धूमल के खिालाफ कोई पुख्ता मामला खड़ा किया जा सके जिसके चलते भाजपा के अन्दर धूमल कि खिलाफ विरोध के स्वर उभारने की जमीन तैयार हो जाये। क्योंकि यह तय है कि धूमल के सत्ता में आने से वीरभद्र परिवार को आगे राजनीति में बने रहना आसान नहीं होगा।