क्या वक्कामुल्ला को कोठी मिलेगा

Created on Tuesday, 30 August 2016 08:09
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। जिस वक्कामुल्ला से मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह की पत्नी ने वाकायदा अपने चुनाव शपथ पत्र में अपने और वीरभद्र सिंह के नाम तीन करोड़ नब्बे लाख का मुक्त ऋण लेना दिखाया है। वह वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर 17 मैगावाट के साई कोठी हाईडल परियोजना को हासिल करने के लिये अदालती लड़ाई लड़ रहा है। एक समय प्रदेश सरकार ने चम्बा की साई कोठी हाईडल परियोजना वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर को आंवटित की थी लेकिन आंवटन के बाद वक्कामुल्ला इस परियोजना की अपफ्रन्ट प्रिमियम राशी जमा नहीं करवा पाया और न ही काम शुरू कर पाया। इस कारण सरकार ने यह आवंटन रद्द कर दिया।
जब यह आंवटन रद्द हुआ उसी दौरान वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर ने प्रतिभा सिंह और वीरभद्र को करीब चार करोड़ का मुक्त ट्टण देकर सबको चैंका दिया। यही नही इसी वक्कामुल्ला ने वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य की कंपनी को भी करीब डेढ करोड़़ का ऋण दिया है। वक्कामुल्ला की एक अन्य कंपनी से प्रतिभा सिंह, अपराजिता कुमारी और अमित पाल सिंह ने एक करोड़ के शेयर खरीद रखे हैं। धूमल पुत्रों ने इस ऋण को लेकर एक बड़ा मुद्दा खड़ा कर दिया था। आरोप लगा था कि यह सारा लेन देन इस प्रोजेक्ट की एवज में हुआ है। इसी परिदृश्य में वक्कामुल्ला ने साई कोठी प्रोजेक्ट के रद्द हुए आंवटन को पुनः बहाल करने की गुहार लगायी।यह गुहार मान ली गयी और आवंटन बहाल कर दिया गया। लेकिन इसमें अपफ्रन्ट प्रिमियम बढ़ाकर एक करोड़ से भी थोड़ा ज्यादा कर दिया गया। लेकिन समय विस्तार हासिल करने के वाबजूद भी वक्कामुल्ला यह राशी जमा नही करवा पाये। सरकार ने नवम्बर 2013 में फिर यह आवंटन रद्द कर दिया।
आंवटन रद्द किये जाने को वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर ने प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है। उसका एतराज है कि समय विस्तार देने के साथ अपफ्रन्ट प्रिमियम की राशी नही बढ़ायी जा सकती। सरकार अदालत में अपने स्टैण्ड पर कायम है। अब 22 अगस्त को यह मामला मुख्य न्यायधीश मंसूर अहमद मीर और जस्टिस त्रिलोक चैहान की खण्डपीठ में लगा था। वक्कामुल्ला ने इस पर बहस के लिये समय मांगा और अब 29.11.2016 को इसकी सुनवाई होगी। वक्कामुल्ला वीरभद्र परिवार को ऋण देने के मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। ईडी की आंशका है कि यह मुक्त ऋण देने की बात केवल पेपर एंट्री है। अब वक्कामुल्ला को अपनी वित्तिय हैसियत प्रमाणित करने की चुनौती है और उस चुनौती में यह साई कोठी प्रोजेक्ट भी एक बड़ा सवाल बन कर रास्ते में खडा हो गया है।