शिमला/शैल। पिछले कुछ अरसे से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खु प्रदेश संगठन का खजाना खाली होने की चिन्ता व्यक्त करते आ रहे हैं। संगठन का काम चलाने के लिये वह पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं से एक निश्चित धन राशि वर्ष में एक बार लेने की योजना बना रहे हैं। पार्टी की प्रदेश में सदस्य संख्या 13 लाख बताई गयी है और यदि एक व्यक्ति से वर्ष में 200 रूपये भी लिये जाते हैं तो पार्टी के पास एक साल में ही 26 करोड़ इक्टठे हो जायेंगे। यदि इस येाजना पर सही में ही काम किया जाता है तो इससे संगठन न केवल मजबूत होगा बल्कि पार्टी की सरकार पर भी हावि हो जायेगा। हर कार्यकर्ता पार्टी के लिये पूरी सक्रियता से काम करेगा। इस योजना से यह धारणा भी समाप्त हो जायेगी कि कांग्रेस का संगठन तभी नजर आता है जब उसकी सरकार होती है। संगठन में पैसे की कमी की चर्चा खुलकर बाहर आ चुकी है। लेकिन इस चर्चा पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लेकर नीचे तक किसी ने कोई प्रतिक्रिया नही दी है।
अभी जब सोनिया गांधी अपनी बेटी के मकान के सिलसिले में शिमला आयी थी तब जिला शिमला कांग्रेस के अध्यक्ष केहर सिंह खाची ने उनसे लम्बी बात-चीत की है। इस बातचीत का राजनीतिक फीड बैक लिया जाना चर्चित किया गया है। इसमें एक महत्वपूर्ण संयोग यह भी घटा है कि इस बार सेानिया के निजी सविच जैन भी मालरोड़ पर पार्टी के कई ऐसे कार्यकर्ताओं से बातचीत करते रहे जो वीरभद्र विरोधी खेमे से ताल्लुक रखने वाले माने जाते हैं। प्रियंका के मकान को लेकर सोनिया दर्जनो बार शिमला आ चुकी हैं लेकिन इस तरह की राजनीतिक चर्चा पहली बार ही सामने आयी है और इसी दौरान संगठन का खजाना खाली होने के समाचार प्रमुखता से समाने आये। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और चार साल से सत्ता में है। कांग्रेस में ऐसे पदाधिकारियों की भी कमी नही है जिनके पास 80/80 लाख की गाड़ियां है दर्जनों लोग करोड़ पति हैं लेकिन संगठन में पैसे की कमी की चर्चा पहली बार सार्वजनिक रूप से बाहर आयी है। इससे सरकार और संगठन के रिश्तों पर भी सवाल उठता है। क्योंकि जब वीरभद्र के कुछ समर्थकों ने उनके नाम से एक ब्रिगेड का गठन किया था तब उस कदम को एक समानान्तर संगठन खड़ा करने के प्रायस के रूप में देखा गया था और तुरन्त प्रभाव से उसे बन्द कर दिया गया था। लेकिन उसके थोड़े समय बाद ही वीरभद्र के उन्ही समर्थकों ने उस ब्रिगेड को एक एनजीओ के रूप में फिर खड़ा कर दिया। इस एनजीओ का वाकायदा पंजीकरण करवाया गया है। बल्कि इस एनजीओ के प्रधान बलदेव ठाकुर ने तो प्रदेश अध्यक्ष सुक्खु के खिलाफ कुल्लु की अदालत में एक मानहानि का मामला तक दायर कर रखा है। पार्टी के अन्दर घट रहें इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नही चल रहा है।
दूसरी ओर जब से युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य द्वारा अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा सार्वजनिक हुई है उससेे भी संगठन के भीतरी समीकरणों में बदलाव देखने को मिल रहा है। जिला शिमला में ही आईपीएच मन्त्री विद्या स्टोक्स ने अब अपने विरोधीयों से रिश्ते सुधारने की कवायद शुरू कर दी है। पिछले दिनों स्टोक्स के जुब्बल कोटखाई के दौरे को इसी आईने में देखा जा रहा है। आज भले ही विक्रमादित्य ने यह कहा है कि यदि संगठन उन्हे टिकट देगा तो वह चुनाव लडे़ेगे। लेकिन एक समय यही विक्रमादित्य टिकटों को लेकर हाईकमान के दखल का विरोध कर चुके हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि उनका चुनाव लड़ना हाईकमान के फैसले पर नहीं बल्कि उनके अपनेे फैसले पर टिका है। फिलहाल कुछ हल्कों में विक्रमादित्य के चुनाव लड़ने की इस पूर्व घोषणा को इस संद्धर्भ में भी देखा जा रहा है कि प्रदेश के किस चुनाव क्षेत्र से कार्यकर्ता उन्हें चुनाव लड़ने की आॅफर देते हैं। क्योंकि राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक विक्रमादित्य का चुनाव लड़ना कोई बड़ा मुद्दा नही है बल्कि बड़ा मुद्दा यह है कि वह अपने कितने समर्थकों को पार्टी का टिकट दिलाकर चुनाव लड़वा पाते हैं। माना जा रहा है कि वह अपने करीब एक दर्जन समर्थकों को चुनाव में उतारने का मन बना चुके हैं।