शिमला/बलदेव शर्मा
कांग्रेस पार्टी ने 2012 के चुनावों के दौरान जो घोषणा पत्र जारी किया था उसमें प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को नियमित रूप से प्रतिमाह एक हजार रूपये का बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया गया था। यह वायदा इसलिये किया गया था क्योंकि उस दौरान धूमल के शासनकाल में कांग्रेस नेता परिवहन मन्त्री जी एसबाली ने बेरोजगार युवाओं को लेकर एक यात्रा आयोजित की थी बाली कांग्रेस का घोषणा पत्र बनाने वाली कमेटी के भी सदस्य थे। इसलिये कांग्रेस ने इसको अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल कर लिया। लेकिन सत्ता में आने के बाद वीरभद्र सरकार इस वायदे से पीछे हट गयी क्योंकि सरकार की वित्तिय स्थिति इसका भार सहन करने की स्थिति मे नही है। लेकिन जब वीरभद्र सातवीं बार मुख्यमन्त्री देखने के ब्यान आने लगे और यह दावा किया जाने लगा कि सरकार ने घोषणा पत्र के सारे वायदे पूरे कर लिये है तब विपक्ष ने इस अहम मुद्दे को पकड़ लिया। विपक्ष द्वारा मुद्दा उठाये जाने पर बेरोजगारी भत्ते की पैरवी करने वालेे भी निशाने पर आ गये। इस स्थिति को समझते हुए बाली स्वयं ही इस मुद्दे पर मुखर हो गये और इस वायदे को पूरा करने की सरकार से मांग कर दी। वरिष्ठ मन्त्री का बेरोजगारी भत्ते पर मुखर होना अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया इससे विपक्ष ज्यादा हमलावर हो गया। अब विपक्ष और बाली को एक साथ जवाब देने के लिये मुख्यमन्त्री को स्वयं पत्रकार सम्मेलन संबोधित करना पड़ा।
बेरोजगारी भत्ते का कितना बड़ा मुद्दा बनेगा यह इसी से प्रमाणित हो जाता है कि मुख्यमन्त्री को स्वयं इसका जवाब देने की नौबत आ गयी। लेकिन क्या मुख्यमन्त्री इसका कारगर जबाव दे पाये है। क्योंकि मुख्यमन्त्री द्वारा पेश किये गये आकंडा़े और तथ्यों पर नेता प्रतिपक्ष ने इस श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर दी है। इस मुद्दे को समझने के लिये कुछ तथ्यों पर नजर डालना आवश्यक है। मुख्यमन्त्री ने पत्रकार वार्ता में कहा है कि उनकी सरकार ने बेरोजगारी भत्ते का विकल्प कौशल विकास भत्ता बनाया है और इसके तहत 1.52 लाख युवाओं को यह भत्ता दिया जा चुका है। अब सरकार ने इसके लिये कौशल विकास निगम की स्थापना की गयी है और इसके तहत जो एमओयू साईन किये गये है उनके मुताबिक 65 हजार युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जायेगा और यह प्रशिक्षण देने वाली कंपनीयां ही इन युवाओं की नौकरी सुनिश्चित करेंगाी। इसके अतिरिक्त मुख्यमन्त्री ने यह भी दावा किया कि सरकार कौशल विकास के अतिरिक्त भी 40 हजार लोगों को नौकरी दे चुकी है। कौशल विकास के लिये सरकार ने प्रतिवर्ष 100 करोड़ का बजट प्रावधान रखा है। यह भी दावा किया गया है।
इन दावों की पड़ताल करने के लिये यह जानना आवश्यक है कि प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा कितना है। सरकार के वर्ष 2015.16 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 1.4.2015 से 31.12.2015 तक प्रदेश में 1,46,741 लोगों का बतौर बेरोजगार पंजीकरण हुआ है और कुल बेरोजगारों का कुल आंकड़ा 8,08,767 है। इस अवधि में 2542 रिक्तियां अधिसूचित हुई है और इस अवधि में सरकार में 262 और निजी क्षेत्र में 2607 लोगों का ही नियोजन हो सका है। विभिन्न वर्षो के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार हर वर्ष एक लाख से अधिक बेरोजगार अपना पंजीकरण करवाते आ रहे है और नियोजन के आंकडे भी इसी तरह के रहे है। सरकार ने कौशल विकास योजना मई 2013 से शुरू की है और 31.12.15 तक 68.93 कौशल विकास भत्ते के रूप में 1,07,8 87 लोगों को दिये जा चुके है। सौ करोड़ के प्रतिवर्ष के प्रावधान के मुताबिक 300 करोड़ में से केवल 68.93 करोड़ बेरोजगार युवाओं तक पहुंचे है शेष सारा पैसा क्या स्थापना के खर्चे पर खर्च हुआ है। मई 2013 में मुख्यमन्त्री के अनुसार 500 करोड़ से कौशल विकास येाजना शुरू की गयी थी और अब एशियन विकास बैंक से इसके लिये 640 करोड़ की ऋण सहायता ली गयी है। लेकिन कौशल विकास भत्ते के रूप में बेरोजगार युवाओं को तो केवल करीब 69 करोड़ ही मिले है क्या शेष पैसा कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाली कंपनीयों के खाते में गया है? यह सवाल इसलिये उठा रहा है कि जब शुरू में श्रम रोजगार निदेशालय ने प्रशिक्षण के लिये कंपनीयों को चिहिन्त किया गया था उस समय निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ कंपनीयों के करोडो के बिलों की प्रमाणिकता पर गंभीर सवाल उठाये थे जिनका आज तक कोई जवाब नही आया है। लेकिन दूसरी ओर बेरोजगार युवाओं के साथ तो नियमित रूप से बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया था। परन्तु कौशल विकास मे तो सीमित समस तक ही यह भत्ता दिया जायेगा। फिर कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद कितने युवाओं को वास्तव में ही व्यवहारिक तौर पर इसका लाभ मिला है इसका कोई फीड बैक लेने का प्रावधान नही किया गया है। क्योंकि प्रदेश के कई स्कूलों में व्यवसायिक कोर्स शुरू किये गये है। क्योंकि ऐसी एक योजना है। जिस पर अमल किया जा रहा है परन्तु आज तक इन कोर्सो का कोई फीड बैक नही लिया गया है और आज कौशल विकस येाजना का विस्तार करके इसे आईटीआई और पालिटेक्निक के सभी ट्रेडों और नर्सिंग तथा होटल प्रबन्धन तक फैलाकर इसके लिये विश्वविद्यालय की स्थापना करने तक ले जाया जा रहा है। कौशल विकास येाजना केन्द्र सरकार ने भी शुरू कर रखी है राज्य सरकारें उसी योजना को आगे बढ़ा रही है। लेकिन जहां प्रदेश में हर वर्ष एक लाख से अधिक बेरोजगार युवा रोजगार कार्यालयों में पंजीकरण करवा रहे है उससे रोजगार उपलब्ध करवाने के सरकार के सारे दावों तथा नीयत और नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो जाते है।