शिमला/जे.पी.भारद्वाज
रोहडू के पूर्व विधायक खुशी राम बालनाटाह ने कहा है कि वीरभद्र सरकार द्वारा धर्मशाला को दूसरी राजधानी घोषित करने से अनावश्यक रूप से क्षेत्रीय टकराव बढ़ेगा और वित्तीय संकट खड़ा होगा। बालनाटाह ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा यह कहना कि उस क्षेत्र की जनता को लाभ देने के लिए यह निर्णय लिया गया है न केवल हास्यास्पद है अपितु राजनीति बेईमानी भी है। अंग्रेजो के राज में जब सारे देश की राजधानी शिमला थी। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के सभी प्रान्त इसी राजधानी से शासित होते थे तब देश के किसी कोने से भी इसका विरोध नहीं हुआ था। किन्तु आज जब शिमला से 6 घण्टों में धर्मशाला पहुँच सकते हैं तो दूसरी राजधानी का औचित्य क्या है। शिमला अंतराष्ट्रीय महत्व का शहर है यहाँ पर पहले से राजधानी की सारी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है जबकि दूसरी जगह पर यह सब नव निर्माण करना पड़ेगा।
बालनाहटा ने कहा कि जिस छोटे से प्रदेश पर 40,000 करोड़ रूपये से ऊपर का कर्जा हो और हर वर्ष सैकड़ों करोड़ का अनुत्पादक खर्च बढ़ रहा हो ऐसे में दूसरी राजधानी का निर्णय प्रदेश हित में नहीें बल्कि आगामी विधान सभा चुनावों को ध्यान में रख कर लिया गया निर्णय है।
बालनाहटा ने माँग की कि मुख्यमंत्राी बताएं कि शिमला धर्मशाला में कितने-2 समय के लिए सरकार बैठेगी? इस पर कुल कितना धन व्यय किया जाएगा, क्या धर्मशाला के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति स्थानीय स्तर पर होगी या शिमला से कर्मचारियों को स्थानान्तरित किया जाएगा?
बालनाहटा ने आरोप लगाया कि वीरभद्र सरकार सारा समय मंत्रीयों व मुख्यमंत्री विधायकों के आपसी टकराव में बीत गया इसलिए जनता को भ्रमित करने के लिए यह निर्णय लिया गया क्योंकि यह सरकार बेरोज़गारी दूर करने व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने जैसी समस्याओं पर पूरी तरह विफल रही है। बालनाहटा ने कहा कि लम्बे समय के पश्चात् सभी प्रदेशवासियों के सहयोग से नया-पुराना हिमाचल नीचे-ऊपर का हिमाचल जैसे जुमलों को भुलाकर संभी सौहार्दता के साथ प्रदेश में रह रहे है, किन्तु लोगों को बांटने वाला यह निर्णय दुर्भाग्य पूर्ण है जिस जनहित में वापिस लिया जाए।