सी बी आई प्रकरण केे परिदृश्य में फिर शुरू हुआ नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों का दौर

Created on Sunday, 28 May 2017 13:05
Written by Shail Samachar


वीरभद्र के बाई सर्कुलेश्न विश्वास मत लेने से उठी चर्चा

शिमला/शैल। वीरभद्र सिंह के खिलाफ चल रहा आय से अधिक संपित का मामला भी ट्रायल कोर्ट में पंहुच गया है। इस मामलें का संज्ञान लेकर अदालत ने वीरभद्र सहित सभी अभियुक्तों को 20 मई को तलब किया था। अदालत में हाजिर होने के बाद जब वीरभद्र ने जमानत के लिये आग्रह किया तो सीबीआई ने इसका विरोध किया। सीबीआई के विरोध के बाद अदालत ने ऐजैन्सी को इसमें अपना जवाब विधिवत रूप से रखने के निर्देश देते हुए 29 मई को यह मामला लगाया है। 29 मई को इसमें वीरभद्र एवम् अन्य को जमानत मिल पाती है या नही या फिर इा पर बहस पूरी न होने के नाम पर एक पेशी और आगे लग जाती है इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है।

इस मामलें में जमानत को लेकर सन्देह की स्थिति इस लिये पैदा हुई है क्योंकि इसमें एक सह अभियुक्त आनन्द चौहान पहले से ही मनीलाॅड्ररिंग प्रकरण में ईडी की कस्टडी में चल रहे है और दिल्ली उच्च न्यायालय उसकी जमानत याचिका को पहले ही अस्वीकार कर चुके हैं। यह मनीलाॅड्ररिंग मामला भी सीबीआई में आय से अधिक सपंति की एफआईआर दर्ज होने के बाद बना था। ईडी इस मामलें में दो अैटचमैन्ट जारी कर चुकी है। जिसके मुताबिक बीस करोड़ से अधिक की लाॅड्रंरिग हुई है। माना जा रहा है कि ईडी की जांच में जो आंकड़ा आया है। उतना आंकड़ा सीबीआई का अभी तक नहीं है। वैसे तो जितनी लाॅडंिरंग हुई है उतनी ही सीबीआई के पास आय से अधिक संपति होनी चाहिये। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक यह ऐजैन्सी इस सबको आधार बनाकर अभी और जांच करने तथा उसके लिये अभियुक्तों की कस्टडी का आग्रह और अब तक जुटाये गये साक्ष्यों व गवाहों को प्रभावित किये जाने की संभावना के नाम पर जमानत का विरोध करेगी। ईडी सूत्रों के मुताबिक अब आनन्द चौहान ने भी यह खुलासा कर दिया है कि एलआईसी की पाॅलिसीयों में निवेश हुआ पैसा बागीचे की आय न होकर वीरभद्र सिंह द्वारा दिया गया नकद पैसा है। आनन्द चौहान के इस खुलासे की जानकारी मिलने के बाद इसी सारे मामलें में सह अभियुक्त बने चुन्नी लाल तो अस्पताल पहुंच गये हैं। इस समय सीबीआई और ईडी दोनों की ओर से ही गिरफ्तारी की आशंका बराबर बनी हुई है। यही नहीं वीरभद्र के दो मन्त्री भी इसी प्रकरण में ईडी के निशाने पर आ गये हैं।
कांग्रेस हाईकमान भी इस मामले में नजर बनाये हुए है। माना जा रहा है कि हाईकमान को भी यह आशंका हो गई है कि इस मामले में वीरभद्र को राहत मिलने की संभावना नहीं है। यदि इस प्रकरण में गिरफ्तारी हो ही जाती है तो यह हाईकमान के लिये भी एक बड़ी फजीहत होगी। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों हाईकमान की ओर से संगठन चुनावों के लिये शिमला आये डा.कल्ला और राजाराम पाल तथा इनके बाद आये पंजाब के वित्त मन्त्री मनप्रीत बादल व राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी के माध्यम से भी जो फीड वैक सुक्खू -वीरभद्र वाक्युद्ध और अन्य चीजों को लेकर हाईकमान को मिला है उसके बाद प्रदेश की प्रभारी अंबिका सोनी के माध्यम से वीरभद्र को पद त्यागने का सुझाव दिया गया है। अंबिका सोनी से ऐसा संकेत मिलने के बाद ही वीरभद्र ने विधायक दल से विश्वास हासिल करने की कवायद को अंजाम दिया है। वीरभद्र के निकटस्थ सूत्रों के मुताबिक इस सयम वीरभद्र पद त्यागने या विधानसभा भंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे है। पद त्यागने की सूरत में वह अपने लिये पार्टी अध्यक्ष के पद की मांग रखने पर भी विचार कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यदि वीरभद्र हाईकमान के सुझाव पर पद त्याग देते है तो उस सूरत में विद्या स्टोक्स, कौल सिंह या जीएस बाली का नाम अगले नेता के रूप में समाने आ सकता है। वीरभद्र की ओर से विद्या स्टोक्स को नेता बनाकर कौल सिंह और जी एस वाली को उप-मुख्यमन्त्री बनाने का सुझाव है। यह माना जा रहा है कि अब बहुत जल्द इस पर हाईकमान दो टूक फैसला लेने जा रहा है।