शैल/शिमला। प्रदेश भाजपा जैसे -जैसे अपनी चुनावी तैयारीयों को बढ़ाती जारही है। उसी अनुपात में यह अटकलें भी लगातार तेज होती जा रही है कि भाजपा का आगला मुख्यमन्त्री कौन होगा। बल्कि इस संबध में एक सर्वे भी सामने आया है। जिसमें शान्ता कुमार वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल , कौल सिंह ठाकुर जेपी नड्डा सुधीर शर्मा, जय रा ठाकुर और जीएस बाली के नाम शामिल किये गये है। इसमें शान्ता कुमार के लिये 11.5% वीरभद्र के लिये 18.5% प्रेम कुमार धूमल को 12% और और नड्डा को 31% लोगों की पंसद बताया गया है। इस कथित सर्वे में लोगों की राय में नड्डा 31% के साथ सबसे ऊपर और उनके बाद दूसरे स्थान पर 18.5% के साथ वीरभद्र है और धूमल 12% के साथ तीसरे स्थान पर है जबकि शान्ता कुमार 11.5% के साथ चैथे नम्बर पर है। शेष सब बहुत नीचे है इस सर्वे के मुताबिक प्रदेश के चुनाव वीरभद्र , धूमल और नड्डा तीन लोगों के गिर्द ही घूमेेंगे।
इस समय भाजपा अपने को सत्ता का प्रबल दावेदार मानकर चल रही है बल्कि उसके कुछ नेता तो अभी से अधिकारियों /कर्मचारियों के साथ भावी मन्त्री के नाते व्यवहार कर रहे है। पिछले दिनों भाजपा की सपन्न हुई परिवर्तन यात्रा के दौरान जब मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री ने नाहन - पांवटा आना था तब उनके लिये हैलीकाॅप्टर को कहां लैण्ड करवाया जाये इसको लेकर राजीव बिन्दल संवद्ध अधिकारियों पर अपनी नाराजगी बड़े सख्त अन्दाज में व्यक्त कर चुके है जबकि वह प्रशासन पर एकदम नियमों के विरूद्ध अमल करने का दवाब बना रहे थे। भाजपा नेताओं के ऐसे व्यवहार से स्पष्ट हो जाता है कि यह लोग अभी से अपने को सत्ता में मानकर चल रहे है। स्वभाविक है कि जब नेता और कार्यकर्ता ऐसी मानसिकता के साथ व्यवहार करेंगे तो निश्चित रूप से मुख्यमन्त्री कौन होगा की रेस में कई नाम जुड़ते चले जायेंगें इस समय मुख्यमन्त्री के लिये प्रेम कुमार धूमल , जेपी नड्डा और अजय जम्वाल के नाम लम्बे अरसे से चर्चा में चल रहे है।
धूमल दो बार प्रदेश के मुख्यमन्त्री रह चुकें है इसलिये उनका आकंलन उनके उस समय के काम के आधार पर होगां वीरभद्र ने उनके कार्यकाल में कई कार्योें पर उनको घेरने का प्रयास किया है बल्कि इस प्रयास के तहत विजिलैन्स में कई मामलें भी दर्ज हुए लेकिन वीरभद्र सरकार को एक भी मामले में सफलता नही मिली हैं बल्कि उल्टी फजीहत ही झेलनी पड़ी है। नड्डा धूमल मन्त्रीमण्डल में एक बार स्वास्थ्यनेता घोषित किये बिना घातक हो सकता है भाजपा का चुनाव लड़ना और एक बार वन मन्त्री रह चुके है। स्वास्थ्य मन्त्री के कार्यकाल में विभाग के निदेशक को जेल जाने तक की नौवत आ गयी थी तो वनमन्त्री के कार्यकाल में विभाग द्वारा प्रदेश से बाहर के एनजीओ को दिये गये करोड़ों के अनुदान पर उठे सवालों का जवाब आज तक नही आया है। इसी तरह कैट प्लान के पैसे से जेपी उद्योग ने आरना मैन्टस की खरीद कैसे कर ली थी यह रहस्य आज भी बना हुआ है। अब केन्द्र में स्वास्थ्य मन्त्री के कार्यकाल में एम्ज में मुख्य सतकर्ता अधिकारी रहे संजीव चतुर्वेदी के मामले में उठा विवाद अभी पूरी तरह थमा भी नही था कि यथावत ने एम्ज की जमीन के मामले को एक नयी चर्चा में लाकर खड़ा कर दिया है। नड्डा के आकलन में यह सबकुछ सामने रहेगा ही यह तय है। संभवतः इसी सबकुछ को सामने रखते हुए भाजपा अध्यक्ष अमितशाह ने यह स्पष्ट कहा है कि भाजपा हिमाचल का चुनाव मुख्यमन्त्री का चुहरा सामने लाये बिना ही लड़ेगी।
भाजपा हाईकमान कई बार यह संकेत दे चुकी है कि वह चुनावों से पहले मुख्यमन्त्री का नाम उजागर नही करेगी लेकिन इसक वाबजूद भाजपा के संभावित मुख्यमन्त्री चेहरों की सुची लम्बी ही होती जा रही है। अब इस सूची में अजय जम्वाल के बाद अनुपम खेर और सुषमा स्वराज जैसे नाम भी जोड़ दिये गये है। अपुनम खेर ने शिमला के टूटू मे जमीन लेकर मकान बनवाने का का शुरू कर रखा है और सुषमा स्वराज का तो धर्मशाला के धर्मकोट में होटल बना हुआ है। इन नामों के जुड़ने से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा में एक वर्ग बहुत ही योजनाएं तरीके से मुख्यमन्त्री कौन होगा’ के सवाल को जिन्दा रखने की रणनीति अपनाए हुए है। मुख्यमन्त्री की रेस में इतने नामों के जुड़ने से कार्यकर्ता भी स्वभाविक रूप से इन सबसे परोक्ष/अपरोक्ष में अपनी अपनी निकटता बनाने के लिये प्रयासरत हो गये है। ऐसे में सरकार और वीरभद्र के भ्रष्टाचार को जनता में ले जाने का काम कौन करेगा इसको लेकर अभी तक बहुत ज्यादा स्पष्टतः नही उभर सकी है क्योंकि अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसकी विस्तृत जानकारी ही नही है।