शिमला/शैल। कोटखाई के गुड़िया गैंगरेप एवम् हत्या तथा इसी मामले के एक आरोपी सूरज की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के प्रकरण में सीबीआई हिमाचल पुलिस के आईजी समेत आठ अधिकारियों/कर्मचारियों को हिरासत में लेकर उन्हें पूछताछ के लिये दिल्ली ले गयी है। इन लोगों से पूछताछ के दौरान जो कुछ सामने आया है उसके बाद सीबीआई ने शिमला के तत्कालीन एसपी डी डब्ल्यू नेगी सहित तीन और अधिकारियों को इसी मामले में दिल्ली तलब कर लिया है। माना जा रहा है कि सीबीआई इन तीनों की भी कभी भी अधिकारिक गिरफ्तारी की घेषणा कर सकती है। पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के साथ ही सीबीआई ने उन पांचो आरोपीयों का नार्को टैस्ट करवाने की भी अदालत से अनुमति हासिल कर ली है जिन्हे गुड़िया मामले में प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने गिरफ्तार किया था।
स्मरणीय है कि इस मामले में जब मुख्यमन्त्री के अधिकारिक फेस बुक पेज पर चार लोगों के फोटो वायरल हुए थे और इसके साथ यह दावा किया गया था कि इस रेप और हत्या मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है लेकिन यह फोटो वायरल होने के साथ ही इन्हें कुछ ही समय बाद जब एसआईटी ने अधिकारिक तौर पर एक पत्रकार वार्ता करके इसमें छः लोगों को गिरफ्तार करने पर अपनी पीठ थपथपाई तब यह सामने आया कि एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किये गये छः लोगों में वह चार लोग नहीं है जिनके फोटो मुख्यमन्त्री के फेसबुक पेज पर लोड हुए थे। पुलिस जब इसका कोई सन्तोषजनक उत्तर नही दे पायी तब लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हर जगह धरने प्रदर्शन होने शुरू हो गये और सरकार तथा पुलिस पर यह आरोप लगना शुरू हो गया कि असली गुनाहगारांे को बचाने का ्रप्रयास किया जा रहा है तथा निर्दोष लोगों को फसाया जा रहा है, जैसे जैसे यह जनाक्रोश बढ़ता गया उसी अनुपात में सरकार दवाब में आती चली गयी। प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी मामले का स्वतः संज्ञान लेकर सरकार और पुलिस से जवाब तलब कर लिया। इस तरह जब सरकार पर जनाक्रोश का दवाब बढ़ा तो सरकार ने मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला ले लिया। मुख्यमन्त्री ने स्वयं प्रधानमन्त्री को पत्र लिखा और गृहमन्त्री राजनाथ सिंह से बातचीत की। सरकार के फैंसले पर उच्च न्यायालय ने भी सीबीआई को निर्देश दे दिये कि वह इस मामले की जांच अपने हाथ में ले। उच्च न्यायालय इस मामले में चल रही जांच पर सीबीआई से लगातार स्टे्टस रिपोर्ट भी तलब कर रहा है। उच्च न्यायालय की इसी निगरानी के परिणामस्वरूप अदालत ने डीजीपी समेत सारी एसआईटी को इसमें प्रतिवादी बनाते हुए सभी सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग शपथ पत्र लेे लिये है और सीबीआई ने अदालत में एसआईटी के सदस्यों पर इस जांच में सहयोग न करने का आरोप भी लगाया है।
एसआईटी सदस्यों द्वारा शपथ पत्र सौंपने तथा सीबीआई द्वारा असहयोग का आरोप लगने के बाद ही यह गिरफ्तारीयों की कारवाई हुई है। यह गिरफ्तारीयां आरोपी सूरज की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के प्रकरण में हुई है। स्मरणीय है कि एसआईटी ने सूरज की मौत को दूसरे आरोपी राजू के साथ हुई कथित मारपीट में राजू के नाम लगा दिया था लेकिन राजू की मां और मृतक सूरज की पत्नी ममता ने एसआईटी के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था। अब सीबीआई की जांच में भी पुलिस की कहानी सत्यापित नही हुई है। शैल के पाठक जानते हैं कि इस प्रकरण पर जो जो सवाल हमने उठाये थे आज वही सवाल सीबीआई जांच के बिन्दु बने हैं। राजू द्वारा सूरज की हत्या करना किसी भी तर्क से गले नहीं उतरता है। सूरज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य सूत्रों के मुताबिक सूरज को पुलिस ने इलैक्ट्रिक शाॅक तक दिये हैं। पुलिस सूरज को टार्चर करके उससे क्या कबूल करवाना चाहती थी? किसके कहनेे पर उसे इतना टार्चर किया गया कि इसमें उसकी मौत ही हो गयी। इन सवालों के जवाब अब सीबीआई जांच में सामने आयेंगे लेकिन यह स्पष्ट है कि सूरज को टार्चर करके पुलिस सारा गुनाह उसी से कबूल करवाना चाहती थी अन्यथा इतने टार्चर की आवश्यकता ही नही थी। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सूरज को जब गिरफ्तार किया गया तो उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत नही थे। इससे यह भी सन्देह होता है कि सूरज से गुनाह कबूल करवाकर पुलिस किसी और को बचाना चाहती थी। पुलिस ऐसा क्यों कर रही थी इसके दो ही कारण हो सकते हैं कि यह सब या तो पैसे के लिये किया जा रहा था या फिर किसी के दवाब में। इसका ख्ुालासा सीबीआई की रिपोर्ट से होगा और यही खुलासा गुड़िया के गुनाहगारों तक पहुंचने में अहम कड़ी होगा।
गुड़िया के मामले में जब पुलिस ने छः लोगों को गिरफ्तार किया था तब यह सामने आ चुका था कि गुड़िया चार तारीख को करीब 4ः15 बजे स्कूल से निकली थी। गुड़िया का शव 6 तारीख को सुबह 7ः30 बजे उसके मामा को मिला था। मामा ने ही पुलिस को सूचना दी और गुड़िया के माता-पिता को। 6 तारीख को ही एफआरआई दर्ज हुई और सात तारीख को शव का पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम में मौत का समय चार तारीख को ही 4 से 5 बजे कहा गया है। यहां पर यह स्वभाविक सवाल उठता है कि स्कूल से निकलने और रेप तथा हत्या हो जाने के बीच केवल एक घन्टे का समय है। क्या एक घन्टे में 6 लोग रेप करके हत्या को भी अंजाम दे पायेंगे? क्योंकि स्कूल के अध्यापकों और बच्चों के मुताबिक स्कूल से निकलने का समय तो यही 4 से 4ः15 है ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठना चाहिये था। गुड़िया के माता-पिता ने न तो चार तारीख को और न ही पांच तारीख को पुलिस को गुड़िया के घर न आने की रिपोर्ट लिखवाई, आखिर क्यों? क्या उनके ऊपर कोई दवाब था? यह सवाल जांच के शुरू में उठने थे जिन्हें पुलिस ने नही उठाया क्यों? अब इन सारे सवालों का खुलासा सीबीआई रिपोर्ट में ही सामने आयेगा। जिन लोगों को पुिलस ने पकड़ा था अब उनका नार्काे टैस्ट होने के बाद यह सामने आ जायेगा कि उन लोगों की इस अपराध में संलिप्तता है या नही। यदि नार्को में उनकी संलिप्तता न पायी गयी तो पुलिस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं और इसकी गाज कुछ और लोगों पर भी गिरना तय है। क्यांेंकि फिर दो ही बिन्दु बचेंगे कि या तो इसमें पैसे का बड़ा खेल था या फिर कोई बड़ा दवाब था।