शिमला/शैल। भारतीय जनता पार्टी ने ’’हिमाचल मांगे हिसाब ’’ के नाम से वीरभद्र सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर एक बड़ा हमला बोल रखा है। हिसाब मांगने की पहली कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. संबित पात्रा ने शिमला में इस हमले का श्री गणेश किया। उसके बाद केन्द्रिय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद और फिर धर्मशाला में सुधांशु मित्तल ने कांगड़ा की अमितशाह की रैली से पहले इस फ्रंट पर मोर्चा संभाला। लेकिन शाह की रैली के बाद इस मुहिम को जारी रखते हुए पार्टी केे किसी बड़े नेता की बजाये पूर्व मुख्यमन्त्री और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के छोटेे ?बेटेे अरूण धूमल ने शिमला में वीरभद्र पर यह हमला बोला। अरूण धूमल की पत्रकार वार्ता मेें शिमला के स्थानीय विधायक, सदन में पार्टी के मुख्य सचेतक और पूर्वे प्रदेश अध्यक्ष सुरेश भारद्वाज ने भी शिरकत करनी थी। इसके लिये भारद्वाज का आधे घन्टे तक इन्तजार भी किया गया। लेकिन भारद्वाज उस वक्त पहुंचे जब पत्रकार वार्ता समाप्त हो गयी थी।
अरुण धूमल ने पहले की तरह मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर हमला बोला और इल्जाम लगाया कि उनके डमराली के 105 बीघा सेब के बगीचे में साढ़े तीन हजार सेब के वो पौधे लगा दिए गए हैं जिन्हें मिशन फाॅर इंटेग्रेटिड डवलपमेंट आॅफ हार्टिकल्चर के तहत रियायती दरों पर बागवानों के बगीचों में लगाया जाना चाहिए था। उन्होंने दावा किया कि विभाग ने जिन लोगों को कागजों में ये पौधे बेचे दिखाए हैं उनको ये मिले ही नहीं। इस बावत उन्होंने बातचीत की आडियो की रिकार्डिंग सुनाई व वीरभद्र सिंह के बगीचे में ये 3500 पौधे लगे हैं इस बावत बगीचे में तैनात माली से बातचीत का वीडियो भी चलाकर दिखाया।
जब उनसे पूछा गया कि क्या ये 3500 पौधे वही हैं जो मिशन के तहत आए हैं तो उन्होंने सीधा जवाब न देकर कहा कि ये आप बागवानी डायरेक्टर से पूछ लें। उन्होंने इस मामले में संबंधित डायरेक्टर, प्रधान सचिव व मंत्री विद्या स्टोक्स तक से इस्तीफा मांग लिया। याद रहे कि विद्या स्टोक्स के उनके पिता प्रेम कुमार धूमल से बेहतर रिश्ते हैं।
प्रेस कांफ्रेंस में ये भी भांडा फूटा कि जो वीडियो उन्होंने वहां दिखाई वो भाजपा ने अपने स्तर पर नहीं बनाई थी व बल्कि ये किसी पत्रकार का काम था। प्रेस कांफ्रेंस में एक सीनियर पत्रकार ने उक्त पत्रकार की आवाज को पहचान लिया और अरुण धूमल पर सवाल दाग दिया कि ये वीडियो भाजपा ने बनाया है या किसी पत्रकार से ये काम कराया गया है। सवाल ये भी उठा कि क्या ये पत्रकार भाजपा के लिए काम कर रहा है या अपने संस्थान के लिए। अरुण धूमल ने इस बावत कहा कि इससे मीडिया को कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। पर सवाल ये है कि भाजपा में किस स्तर पर काम हो रहा है।
अरूण धूमल ने जिस पत्रकार द्वारा की गयी रिकार्डिंग पत्रकार वार्ता में मीडिया के सामने रखी है उससे मीडिया संस्थानों और राजनीतिक दलों के बीच पक रहे रिश्तों को लेकर भी अचानक एक सार्वजनिक चर्चा चल उठी है क्योंकि जिस पत्रकार ने यह स्टिंग आप्रेशन किया है वह एक हिन्दी दैनिक का नियमित स्टाफ है लेकिन उसका यह स्टिंग उसके अखबार में खबर बनने की बजाये एक राजनीतिक दल की पत्रकार वार्ता का हिस्सा बन गया। इससे पूरे मीडिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्योंकि इससे पहले भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजीव बिन्दल जब कुछ पत्रकारों को अमितशाह से मिलाने पालमपुर ले गये थे और उसके बाद दूसरे ग्रुप को दिल्ली ले गये थे तभी से मीडिया की चुनावों में रहने वाली भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो गये थे। अब यह सवाल अरूण धूमल की पत्रकार वार्ता से खुलकर सामने आ गये हैं। क्योंकि इन सवालों पर उस अखबार की ओर से भी अभी तक कोई प्रतिक्रिया नही आयी है जिसकेे लिये यह पत्रकार काम कर रहा है। जबकि इस पत्रकार के खिलाफ अब उस माली ने भी आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया है। जिसकी आवाज इस स्टिंग में रिकार्ड करवा दी है।
बहरहाल, उन्होंने दावा किया कि वीरभद्र सिंह के बगीचे में लगे इन पौधों को लेकर उन्होंने एक चिट्ठी केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन को लिखी है और उनसे इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की हैं। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि मिशन के तहत 30 हजार सेब के पौधे आयात किए गए। उन्होंने इस चिट्ठी में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का नाम नहीं लिखा। इसमें लिखा कि डमराली में एक बेहद प्रभावशाली व्यक्ति के बगीचे में ये पौधे लगा दिए गए हैं।
अरूण धूमल द्वारा मन्त्री को भेजी शिकायत में वीरभद्र सिंह का सीधा नाम न लिखने से इस स्टिंग की प्रमाणिकता पर भी स्वतः ही प्रश्न लग जाता है। इस पत्रकार वार्ता में जिन दस्तावेजों का सहारा लिया गया है उनमें भी ऐसा कुछ नही है। जिससे वीरभद्र सिंह पर यह आरोप लगाया जा सके।