भ्रष्टाचार पर भाजपा को भी देना होगा जवाब

Created on Tuesday, 10 October 2017 06:09
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी बिलासपुर रैली में वीरभद्र और उनकी सरकार के भ्रष्टाचार पर निशाना साधते हुए यहां तक तंज कसा कि कांग्रेस में तो सोनिया-राहुल से लेकर वीरभद्र तक सब ज़मानत पर हैं। इसलिये अब वक्त आ गया है कि इनको सत्ता से बेदखल करके ज़मानत से मुक्त कर दिया जाये। मोदी से पहले संबित पात्रा, रविशंकर प्रसाद तथा सुधांशु मित्तल जैसे नेता भी इस भ्रष्टाचार को निशाना बना चुके हैं। स्मरणीय है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी मोदी ने सुजानपुर में एक रैली में वीरभद्र के इसी भ्रष्टाचार पर

निशाना साधा था और प्रदेश की जनता को यह बताया था कि वीरभद्र के तो पेड़ों पर भी पैसे उगते हैं। लोगों ने उस वक्त मोदी पर विश्वास किया और लोकसभा की चारों सीटें भाजपा को दे दी थी। ऐसा इसलिये हुआ था क्योंकि लोगों को लगा था कि अब निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कारवाई सामने आयेगी लेकिन आज मोदी को सत्ता में आये करीब चार साल होने वाले  हैं लेकिन इन चार सालों में वीरभद्र के मामलों में कोई ठोस कारवाई देखने को नही मिली है। केवल सीबीआई इसमें अदालत में आरोप पत्रा फाईल कर पायी है। जिस पर अभी अगली कारवाई शुरू होनी है। ईडी इस मामले में दोे अटैचमैन्ट आदेश जारी करके वीरभद्र के एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चौहान को गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन वीरभद्र के खिलाफ ऐसी कोई कारवाई नही कर पायी है। अब इन मामलों में यह गंध आने लगी है कि भाजपा और मोदी को यह भ्रष्टाचार के मुद्दे केवल चुनावों के लिये ही चाहिये अन्यथा भ्रष्टाचार पर कतई गंभीरता नहीं है। आज मोदी से लेकर केन्द्र के दूसरे नेताओं तक को हिमाचल में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिये वीरभद्र के ज़मानत पर होने को मुद्दा बनाना पड़ा है लेकिन इसी के साथ यह भी गौरतलब है कि आज प्रदेश भाजपा के भी कई बड़े नेता ज़मानत पर हैं। प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, डा. राजीव बिन्दल और विरेन्द्र कश्यप जैसे सारेे नेता अपराधिक मामलों में स्वयं ज़मानत पर हैं। प्रदेश की जनता इन मामलों के बारेे में अच्छी तरह जानती है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के एम्ज़ प्रकरण को लेकर जो कुछ दस्तावेज यथाव्त के माध्यम से जनता के सामने आ चुके हैं आज प्रदेश की जनता इन मामलों में भी बराबर का हिसाब मांगेगी। एम्ज़ के मामले में तो वहां के डाक्टरों की ओर से प्रधानमन्त्री के प्रधान सचिव को शिकायत भेजी गयी है जिस पर अभी तक कोई कारवाई नही हुई। बल्कि चर्चा तो यहां तक है कि इस मामले में यथाव्त की टीम पर भी संघ कार्यालय में मन्त्री को बुलाकर इन मामलों को और आगे न बढ़ाने का आग्रह किया गया है। अब चुनाव के दिनों में यह सब सामने आयेगा कि किसके खिलाफ कितने मामले हैं। क्योंकि यह भी चर्चा है कि प्रदेश भाजपा के एक सांसद के खिलाफ उसी के चुनावी शपथ पत्र के मुताबिक करीब एक दर्जन एफआईआर दर्ज हैं। अभी पिछले दिनों शिमला के जनेड़घाट में एक टूरिस्ट रिजार्ट से जो काॅल गर्लज  पकड़ी गयी थी उस रिज़ार्ट की ज़मीन के मालिक भी एक सांसद ही हैं और उन्ही का भाई इस टूरिस्ट कंपनी का निदेशक है। इस मामलें की जांच के छींटे तो कानून के मुताबिक सांसद और उसके भाई तक पहुंचतेे हैं। संभवतः इसी कारण से इस मामले की जांच को लेकर कहीं से भी कोई आवाज़ नही उठ रही है। बल्कि भ्रष्टाचार के मामलों पर भाजपा का अपने शासनकाल के दौरान भी रिकार्ड कोई बहुत अच्छा नही रहा है। वर्ष 2003 से 2007 तक जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भाजपा ने बतौर विपक्ष चार आरोप पत्र सरकार के खिलाफ राज्यपाल को सौंपे थे। 2007 में जब भाजपा सत्ता में आ गयी तब यह आरोप पत्र विजिलैन्स को जांच के लिये भेजे गये थे। इन आरोप पत्रों पर प्रारम्भिक जांच करने के बाद विजिलैन्स ने इन्हें अगली कारवाई के निर्देशों के लिये सरकार को भेजा था। लेकिन इन मामलों पर सरकार की ओर सेे कारवाई के कोई निर्देश नही गये और विजिलैन्स ने भी अपने स्तर पर आगेे कुछ नही किया। इससे यह प्रमाणित हो जाता है कि भ्रष्टाचार पर सौंपे जाने वाले आरोप पत्र केवल  चुनावों में भुनाने के लिये होते हैं कारवाई के लिये नहीं। इस हमाम में कांग्रेस का आचरण भी बिल्कुल ऐसा ही है क्योंकि अब तक यही फैसला आर सी एस से नही आ सका है कि एच पी सी ए कंपनी है या सोसायटी जबकि एच पी सी ए को लेकर बने सारे मामलों में पहला मूल प्रश्न यही रहेगा।