राज्य विद्युत बोर्ड में स्वतन्त्र निदेशकों की नियुक्ति के बाद क्या अन्य उपक्रमों में भी होगी ऐसी नियुक्तियां

Created on Tuesday, 03 April 2018 07:36
Written by Shail Samachar

पथ परिवहन निगम, प्रदेश बिजली निगम, प्रदेश बिजली संचार निगम, वन निगम और पर्यटन विकास निगम भी आते हैं इस दायरे में
शिमला/शैल। राज्य विद्युत बोर्ड में तीन स्वतन्त्र निदेशक नियुक्त किये गये। राजेन्द्र सिंह, के आर भारती और प्रियंका शर्मा। राजेन्द्र सिंह और के आर भारती दोनों सेवा निवृत आईएएस अधिकारी हैं। दोनो ने ही सेवा निवृति के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। दोनों का ही प्रशासनिक अनुभव है। लेकिन तीसरी निदेशक मण्डी जिले से ताल्लुक रखने वाली प्रियंका शर्मा का शायद कोई प्रशासनिक अनुभव नही है। वह केवल भाजपा की कार्यकर्ता ही है। यह नियुक्तियां ‘‘स्वतन्त्र निदेशक’’ के पद नाम से हुई है। ऐसा बोर्ड में पहली बार हुआ है कि गैर सरकारी निदेशकों की बजाये ‘‘स्वतन्त्र निदेशक’’ के पद नाम से नियुक्तियां हुई हैं इसलिये इन नियुक्तियों की अहमियत बढ़ जाती है और इसीलिये इन पर चर्चा करना आवश्यक हो जाता है।
गौरतलब है कि कंपनी लाॅ अधिनियम 1956 में स्वतन्त्र निदेशक की अवधारणा नही थी। इसे 2013 में संशोधन करके लाया गया है। 2014 में इसके नियमों संशोधन करके यह प्रावधान किया गया है कि 

Unlisted public companies are requested to have at least two independent directors, of they meet any one of the following criteria:
a) Paid-up share capital of INR 10 crore or more
b) Turnover of INR 100 crore or more or
c) Outstanding loans / debentures/ deposits exceeding INR 50 crore.


इस प्रावधान के कारण हमारा राज्य विद्युत बोर्ड स्वतन्त्र निदेशक लगाये जाने के दायरे में आ जाता है। बल्कि प्रदेश सरकार के कुछ और उपक्रम भी इस दायर में आ जायेंगे क्योंकि सभी कंपनी लाॅॅ के तहत ही पंजीकृत हैं। भले ही कोई उपक्रम स्टाॅक एक्सचेजं में लिस्टिड न होे फिर भी अधिनियम में अब हुए संशोधनों के कारण कई अदारांे में स्वतन्त्र निदेशक लगाये जाना अनिवार्य हो जायेगा।
स्वतन्त्र निदेशक की जिम्मेदारी होगी As per the amendment, independent directors should, inter alia act within their authority  and assist in protecting the legitimate interests of the company, shareholders and its employees. इसी के साथ यह भी रखा गया है कि As per amendment, at least one meeting of independent  directors should be held in a financial year, without   the attendance of non- independent directors and members of management.
इससे स्पष्ट हो जाता है कि स्वतन्त्र निदेशकों  की महत्ता और भूमिका संस्थान में क्या होगी। स्वतन्त्र निदेशकों से जो अपेक्षाएं रखी गयी है उन्ही के अनुरूप इनकी नियुक्ति की योग्यताओं में भी यह कहा गया है कि यह लोग एक उच्च intigrity and expertise और expreiance के होंगे। क्योंकि संस्थान के प्रबन्धन में इनका Definite 'say'  होगा । पब्लिक लि. कंपनीयों में स्वतन्त्र निदेशक का प्रावधान इसलिये किया गया है। ताकि इनका शासन-प्रशासन एकदम पारदर्शी और चुस्त दुरूस्त रहे। कंपनी में निवेशकों के पैसे का दुरूपयोग न हो। अब पीएनबी में घटे नीरव मोदी कांड के बाद कंपनीयों में स्वतन्त्र निदेशकों की भूमिका और बढ़ गयी है। आरबीआई और सैबी ने इस संद्धर्भ में कुछ और दिशा निर्देश भी जारी किये हैं। इस परिदृश्य में जब राज्य विद्युत बोर्ड का आकलन किया जाये तो स्पष्ट है कि बोर्ड अभी तक स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्टड नही है। इसके 85% से अधिक शेयर प्रदेश के राज्यपाल के नाम पर हैं और शेष सरकारी निदेशकों के नाम पर। बिजली बोर्ड एक लम्बे अरसे से घाटे में चल रहा है। आज बोर्ड का कर्जभार इसकी कुल संपति से भी बढ़ चुका है। बलिक प्रदेश सरकार ने फरवरी 2004 में वित्तिय स्थिति को सुधारने के लिये भारत सरकार के वित्त मन्त्रालय के expenditure  विभाग से जो एमओयू हस्ताक्षरित किया था उसके तहत राज्य वि़द्युत बोर्ड में भी सुधार के लिये कुछ पग उठाये जाने थे वह आज तक नही उठाये गये हैं। आज विद्युत बोर्ड का प्रभाव सरकार की वित्तिय स्थिति पर पड़ा है।
विद्युत बोर्ड के अपने प्रौजैक्टों में रिपेयर के नाम पर हर साल कई कई महीने उत्पादन बन्द रह रहा है जिससे करोड़ो का नुकसान हो रहा है। इसको लेकर विजिलैन्स के पास एक शिकायत पिछले चार साल से लंबित पड़ी हुई है। इस पर सचिव पाॅवर ने यह तो विजिलैन्स को जवाब में स्वीकार कर लिया है कि यह गंभीर मामला है लेकिन आगे कोई कारवाई नहीं हुई है। बोर्ड निजि क्षेत्र में चल रहे प्रोजैक्टों से हर वर्ष जितनी बिजली खरीद रहा है उतनी उसकी बिक नही रही है। बिजली बोर्ड से सरकार को प्रदेश को होने वाली आय लगातार हर वर्ष कम होती जा रही है। फिर भी बोर्ड जे.पी. उद्योग और ब्रेकल जैसी कंपनीयां के खिलाफ कोई कारवाई नही कर पा रहा है। क्योंकि ब्रेकल के साथ भी पाॅवर परचेज एग्रीमेनट तो बोर्ड के साथ ही था। इस तरह से हजारो करोड़ बोर्ड/सरकार के डूब गये हैं। कैग रिपोर्टो में इसको लेकर विशेष उल्लेख दर्ज है।
आज राज्य विद्युत बोर्ड लगातार एक घाटे की ईकाई बनता जा रहा है। इस पब्लिक कंपनी में प्रदेश के आम आदमी का पैसा निवेशित है। अब कंपनी लाॅ अधिनियम में हुए संशोंधन के बाद इसमें स्वतन्त्र निदेशक नियुक्त हुए हैं। इन निदेशकों से यह अपेक्षा है कि वह घाटे में चल रहे इस संस्थान को इस स्थिति से उबारने के लिये पूरी निष्पक्षता से काम करते हुए इसके प्रबन्धन में सुधार लायेंगे। विजिलैन्स में लंबित पड़ी शिकायतों और कैग में दर्ज टिप्पणीयों का गभीर संज्ञान लेकर इसको अन्जाम तक पहुंचायेंगे। वैसे तो अभी से यह चर्चा चल पड़ी है कि जब तीनों निदेशक सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य हैं और फिर एक का तो कोई अनुभव विशेषज्ञता ही नही है तो वह सरकार के सामने कितना स्टैण्ड ले पायेंगे क्योंकि बोर्ड में जो कुछ भी आज की स्थिति है उसके लिये कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही सरकारें बराबर की भागीदार रही है।