शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश में किसी भी गैरकृषक के लिये भूमि खरीदने पर प्रतिबन्ध है। ऐसी खरीद के लिये पहले सरकार से भू राजस्व अधिनिमय की धारा 118 के तहत अनुमति चाहिये। कोई भी संस्था /सभा चाहे वह सहकारी नियमों या अन्य के तहत पंजीकृत हो वह गैर कृषक परिभाषा में आती है यह नियमों में पूरी सपष्टता के साथ परिभाषित है। इसमें किसी को कोई छूट नही है। प्रदेश में भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 की उल्लघंना के मामले कई बार चर्चा में आ चुके हैं और इस पर जांच आयोग तक बैठ चुके हैं। इन आयोगों की रिपोर्ट विधानसभा तक में चर्चा में रही है। आज भी इस धारा की उल्लघंना को लेकर हर विपक्ष हर सत्ता पक्ष पर हिमाचल बचेने के आरोप लगाता आया है। धारा 118 में अनुमति लेकर खरीदी गयी जमीन को दो वर्ष के भीतर उपयोग में लाना होता है और ऐसा न हो पाने पर यह अनुमति रद्द हो जाने का प्रावधान है लेकिन इस प्रावधान पर अमल कई बड़े लोगों के मामले मे नही हुआ है इसके भी कई मामले सामने हैं। सोलन में प्रदेश के एक बड़े आईएएस अधिकारी ने वर्षों पहले 118 की अनुमति लेकर जमीन खरीदी थी जिस पर आज तक कोई मकान आदि नही बना है। यह मामला सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में है लेकिन इस पर आजतक कोई कारवाई नही हुई है। यह अधिकारी इस समय भारत सरकार में सेवाएं दे रही है।
अभी पिछले दिनों शिमला की सनातन धर्मसभा द्वारा 1992 में लीज पर स्कूल भवन बनाने के लिये सनातन धर्म स्कूल के सामने 3744 वर्ग गज जमीन ली गयी थी। इस पर दो वर्ष के भीतर स्कूल भवन बनाया जाना था। लेकिन अब 2018 में इस जगह पर स्कूल की जगह होटल नुमा सरायं बन गयी है और मजदूर कानून कुछ नही कर पा रहा है। इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2013 में दिये एक फैसले में विलेज काॅमन लैण्ड के हर तरह के आवंटन पर प्रतिबन्ध लगा दिया था और ऐसे आवंटन के लिये सारी राज्य सरकारों द्वारा बनाये गये नियमों /कानूनों को एकदम गैर कानूनी करार देकर इस तरह के आवंटनो को रद्द करने के आदेश किये हुए हैं लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश को अंगूठा दिखाते हुए ऐसे आवंटन किये जा रहे हैं। इसमें ताजा मामला मातृवन्दना को दी गयी करीब 30 बीघे जमीन का सामने आ चुका है। लेकिन यहां पर भी कारवाई के नाम पर कानून बेबस हो गया है।
इसी कड़ी में सबसे चौंकाने वाला सच तो सहकारी हाऊसिंग सभाओं के रूप में सामने आया है। प्रदेश में चम्बा, लाहौल स्पिति और किन्नौर को छोड़कर हर जिले में सहकारी हाऊसिंग सभाएं पंजीकृत हैं। एक आरटीआई के तहत आयी सूचना के अनुसार इस समय प्रदेश में करीब 90 ऐसी संस्थाएं पंजीकृत है। इस सूचना के अनुसार ऊना मे आठ, देहरा-2, बिलासपुर-3, नूूरपुर 2, हमीरपुर-2, धर्मशाला-5, मण्डी-5, कुल्लु-2, सोलन-14, जुब्बल -14, रोहडू-1 और शिमला में 33 ऐसी संभाएं पंजीकृत हैं। इसमें सिरमौर की सूचना अभी तक नही आ पायी है। पंजीकृत संभाओं के इस आंकड़े को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रदेश में हाऊसिंग का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है और इसके लिये सहकारिता नियमों के तहत पंजीकरण का भी पूरा लाभ उठाया जा रहा है। क्योंकि पंजीकृत सभाओं के लिये सरकार से भी जमीन लेने का प्रावधान नियमों में उपलब्ध है। इसका लाभ उठाकर कितनी सभाओं ने सरकार से जमीन ले रखी है इसके आंकड़े अभी सामने नही आये हैं। लेकिन निश्चित रूप से ऐसी कई सभाएं हैं जिन्होंने सरकार से जमीन ले रखी है। ऐसी कितनी सभाओं ने भू-राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत जमीन खरीद की अनुमति ले रखी है इसकी कोई पुख्ता जानकारी संबंधित विभागों के पास उपलब्ध नही है। इससे यहआशंका पुख्ता हो जाती है कि सहकारिता के नाम पर 118 की अनुमति के संद्धर्भ में कोई बड़ा घपला हो रहा है। कई ऐसी सभायें भी सामने आयी हैं जिन्होंने पंजीकरण तो हाऊसिंग के नाम पर करवा रखा है लेकिन काम कुछ ओर किया जा रहा है।
आरटीआई के तहत आयी सूचना के तहत शिमला में 33 सहकारी हाऊसिंग सभाएं पंजीकृत है। इनमें से 12 सभायें डिफ्ंकट हो चुकी है। इन पर नियमों की अनुपालना न करने के भी आरोप हैं। इन सभाओं में से सात तो दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। इस प्रक्रिया में चल रही सभाओं में शिवालिक हाऊसिंग सोसायटी संजौली, सतलुज जलविद्युत निगम बीसीएस शिमला, हिमाचल राजभवन कर्मचारी हाऊस बिल्डिंग सोसायटी, इंण्डियन एक्स सर्विस मैन वैल्फेयर हाऊसिंग सोसायटी संजौली, दी एक्सचेंज हाऊस बिल्डिंग सहकारी सभा निकट लिफ्ट, पदकम नगर हाऊस बिल्डिंग सोसायटी रामपुर और हि.प्र. एजी आफिसरज़ सहकारी हाऊसिंग सोसायटी बेमलोई शिमला शामिल है। दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही सोसायटीयों के लेखे-जोखों को लेकर कई विवाद चल रहे हैं। शिमला की इन सोसायटीयों को लेकर एक रोचक जानकारी यह सामने आयी है कि सतलुज जल विद्युत निगम के नाम पर दो सभाएं पंजीकृत हैं और दोनो ही दिवालिया प्रक्रिया में हैं। इसमें पत्रकारों की भी दो सभाएं पंजीकृत हैं। इनमें एक एचपी मीडिया पर्सन हाऊस बिल्डिंग सहकारी सोसायटी अल मंजिल यूएस क्लब गेट शिमला और शिमला जर्नलिस्ट हाऊस बिल्डिंग सोसायटी दी माल के नाम से पंजीकृत है। इसी तरह आईएएस, आईएफएस और जजों की भी हाऊसिंग सोसायटीयां पजींकृत है। जिन सोसायटीयों ने सरकार से जमीने ले रखी हैं उनमें आई ए एस अधिकारी भी शामिल हैं। इनमें कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने यहां मकान बनाकर आगे बेच भी दिये हैं जो शायद नियमों के विरूद्ध हैं। आई ए एस सोसायटी में तो गैर आईएएस को सदस्य बनाने का भी प्रावधान नही है। लेकिन चर्चाओं के मुताबिक अब कुछ गैर आईएएस को भी मकान बेच दिये गये हैं जो सीधे नियमों के विरूद्ध है लेकिन यहां भी कानून बेबस हो गया है।