परिवहन निगम के पैन्शनर आन्दोलन की राह पर

Created on Monday, 03 June 2019 06:45
Written by Shail Samachar

प्रतिदिन तीन करोड़ का राजस्व अर्जित करने वाली हिमाचल पथ परिवहन निगम में पैन्शन और जीपीएफ तक का समय पर भुगतान क्यों नही

शिमला/शैल। हिमाचल राज्य पथ परिवहन निगम प्रदेश में परिवहन सेवायें प्रदान करने वाला सबसे बड़ा अदारा है। इसमें नियमित और अनुबन्ध आधार पर करीब दस हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। यह कर्मचारी निगम को प्रतिदिन करीब तीन करोड़ का राजस्व अर्जित करके दे रहे हैं। यह दावा निगम सेवानिवृत कर्मचारी कल्याण संगठन के प्रदेश 

अध्यक्ष राजेन्द्र पाल ने किया है। छःहजार सेवानिवृत कर्मचारियों के इस संगठन का आरोप है कि इन लोगों को पैन्शन का भुगतान समय पर नही हो रहा है। समय पर यह भुगतान न होने से इन कर्मचारियों को आज भूखमरी तक का शिकार होना पड़ रहा है। एचआरटीसी प्रबन्धन से इस बारे में कई बार बातचीत हो चुकी है। लेकिन समस्या का कोई हल नही हो पाया है। परिवहन मंत्री से मिलने और बात करने के सारे प्रयास असफल हो चुके हैं। करीब तीन माह पहले मुख्यमन्त्री के सामने भी यह समस्या रखी थी लेकिन आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नही मिल पाया है। सरकार और प्रशासन की इस बेरूखी के बाद संगठन ने 14-6-19 से निगम मुख्यालय के बाहर धरना देने का फैसला लिया है। यदि सरकार और प्रशासन पर इसका कोई असर न हुआ तो आगे चलकर इस आन्दोलन को आमरण अनशन में बदल दिया जायेगा।
सेवानिवृत कर्मचारियों का आरोप है पैन्शन निमयों के अनुसार सेवानिवृत कर्मचारियां के सेवानिवृत लाभों का भुगतान तीन माह के भीतर हो जाना चाहिये लेकिन दो-दो साल इसमें लग रहे हैं। पैन्शन लगने में तो तीन-तीन साल लग रहे हैं। सरकार और बीओडी के निर्णय के अनुसार प्रतिदिन की आय का 7% पैन्शनर ट्रस्ट में जमा हो जाना चाहिये। लेकिन इसमें कितना पैसा जमा हो रहा है। इसकी कोई जानकारी नही है जबकि निगम को प्रतिदिन 2.50 से 3 करोड़ का राजस्व मिल रहा है। यही नही कर्मचारियों का अपना जीपीएफ भी समय पर नही दिया जा रहा है। बल्कि यह आरोप है कि निगम जीपीएफ को कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में जमा ही नही करवा रहा है। एक बार कर्मचारी जीपीएफ को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा भी चुके हैं तब यह राशी 75 करोड़ थी। अदालत ने तत्कालीन एमडी दलजीत डोगरा को इस पर कड़ी फटकार लगायी थी और आपराधिक मामला चलाने तक की चेतावनी दी थी। तब तीन किश्तों में इस राशी का भुगतान किया गया था। आज यह राशी सौ करोड़ से भी अधिक हो चुकी है और यह पता नही है कि निगम ने यह पैसा जीपीएफ में जमा भी करवाया है या नही। या फिर इसका उपयोग कहीं और हो रहा है।
कर्मचारियों का आरोप है कि 2013 के बाद आज तक पैन्शन का भुगतान तय समय पर नही हो पाया है बल्कि इसके लिये कोई तारीख ही निगम तय नही कर पायी है। इस परिदृश्य में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि प्रतिदिन करोड़ का राजस्व अर्जित करने वाली परिवहन निगम पैन्शन का समय पर भुगतान क्यों नही कर रही है और सौ करोड़ का जीपीएफ सुरक्षित खाते मे क्यों जमा नही है।