बाल्दी के मुख्य सचिव बनने के बाद कौन होगा मुख्यमन्त्री का प्रधान सचिव

Created on Tuesday, 27 August 2019 11:42
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश के मुख्य सचिव बी के अग्रवाल का केन्द्र में सचिव लोकपाल जाना तय हो गया है। अग्रवाल के केन्द्र में जाने के बाद डा. बाल्दी का मुख्य सचिव बनना भी तय माना जा रहा है। क्योंकि इस समय प्रदेश में कार्यरत अधिकारियों में बी सी फारखा के बाद वही वरिष्ठतम सेवारत अधिकारी हैं। फारखा वीरभद्र शासन में मुख्य सचिव रह चुके हैं इसलिये अभी उनकी दावेदारी नही मानी जा रही है। फिर डाक्टर बाल्दी लम्बे समय तक प्रदेश के वित्त सचिव रहे हैं और इस समय मुख्यमन्त्री को वित्तिय मामलों में उनसे अच्छी राय देने वाला कोई और नही है। इस नाते डा. बाल्दी से उपयुक्त इस समय मुख्य सचिव के लिये और कोई दूसरा नही हो सकता ऐसा माना जा रहा है। बाल्दी भी इसी वर्ष सेवा निवृत हो जायेंगे। ऐसे में इस अवधि में नये मुख्य सचिव की तलाश करने के लिये भी समय मिल जायेगा।
लेकिन इसी के साथ राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि बाल्दी की जगह मुख्यमन्त्री का अगला प्रधान सचिव कौन होगा। इस समय बाल्दी के बाद दूसरे वरिष्ठ अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन राम सुभाग सिंह है। लेकिन अभी जो पर्यटन ईकाईयों को लीज पर देने का मामला चर्चा में आया है उससे राम सुभाग सिंह की दावेदारी पर थोड़ा प्रश्नचिन्ह लग जाता है। राम सुभाग सिंह के बाद सचिवालय में दूसरे वरिष्ठ अधिकारी आईपी एस संजय कुण्डु उपलब्ध हैं संजय कुण्डु को सरकार केन्द्र से मुख्यमन्त्री कार्यालय में उनकी आवश्यकता होने के नाम पर ही लायी थी। लेकिन कुण्डु सचिवालय में मुख्यमन्त्री के प्रधान सचिव होना चाहेंगे या पुलिस में डीजीपी। वैसे इस समय भी वह मुख्यमन्त्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव के पद पर ही तैनात है।
संजय कुण्डु के बाद इस समय प्रदेश में राम सुभाग के अतिरिक्त तीन और अतिरिक्त मुख्य सचिव तैनात हैं। इनमें से आरडी धीमान प्रदेश से भी ताल्लुक रखते हैं फिर विपक्ष ने यह खुला आरोप भी लगाया है कि सरकार को प्रदेश से बाहर के अफसर चला रहे हैं। मुख्यमन्त्री ने इस आरोप को सदन में सिरे से खारिज भी कर दिया है लेकिन इसी के साथ यह भी सच है कि अधिकारियों के कारण ही सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल भी उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि अधिकांश अधिकारी नियमों/कानूनों को पूरी तरह समझने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। हर छोटे बड़े फैसले के लिये हर मामले को मन्त्री परिषद में ले जाने की प्रथा चल पड़ी है अधिकारी अपने स्तर पर फैसला लेने से बच रहे हैं। ऐसे में सरकार के कार्यकाल तक कौन अधिकारी इस प्रधान सचिव की जिम्मेदारी को निभाने के लिये उपयुक्त होगा उसमें धीमान का नाम पहले स्थान पर चल रहा है क्योंकि उनकी सेवानिवृति भी दिसम्बर 2022 में सरकार के कार्यकाल के साथ ही होनी है।