सहायक दवा नियंत्रक सरीन प्रकरण में सरकार की नीयत पर उठे सवाल

Created on Tuesday, 03 September 2019 11:49
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। स्वास्थ्य विभाग ने बद्दी में तैनात सहायक दवा नियंत्रक निशांत  सरीन के आवास -कार्यालय और अन्य ठिकानों पर 23 अगस्त को विजिलैन्स ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान कई संपत्तियों बैंक खातों और फार्मा कंपनीयों के पैसों से मंहगे होटलों में ठहरने तथा हवाई यात्राएं करने के सबूत मिलने का दावा किया गया था। सरीन की एक सहयोगी डा. कोमल की पंचकूला स्थित फार्मा कंपनी पर भी इसी संबंध में छापेमारी की गयी थी। इस छापेमारी के दौरान सरीन और उनकी सहयोगी डा. कोमल विजिलैन्स टीम के साथ नही थे जिसका अर्थ है कि शायद उन्हें इस संभावित छापेमारी की भनक पहले ही लग गयी थी इसी कारण से वह इन ठिकानों पर हाथ नही लगे। इस छापेमारी के बाद विजिलैन्स ने दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके इन्हें सोलन कार्यालय में जांच में शामिल होने का नोटिस जारी कर दिया था।
लेकिन विजिलैन्स के नोटिस के बावजूद यह लोग जांच में शामिल नही हुए। बल्कि सोलन की अदालत मे अग्रिम जमानत के लिये याचिका दायर कर दी। इस याचिका के दौरान भी सरीन अदालत मे नही आये। यह याचिका भी खारिज हो गयी है। सरीन को जमानत नही मिली है। जमानत न मिलने के बावजूद भी विजिलैन्स ने उन्हें अभी तक गिरफ्रतार नही किया है न ही सरीन अब तक जांच में शामिल हुए हैं। वह बद्दी में अपने कार्यालय में भी नही आ रहे हैं। माना जा रहा है कि वह भूमिगत हो गये हैं और जमानत के लिये प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रयास करेंगे। अग्रिम जमानत के लिये प्रयास करना उनका कानूनी अधिकार है लेकिन इस अधिकार से विजिलैन्स की कारवाई नही रूक जाती है। जब सरीन को सोलन की अदालत से जमानत नही मिली है तब कायदे से विजिलैन्स को उनकी गिरफ्रतारी के प्रयास तेज कर देने चाहिये थे। लेकिन ऐसा कुछ सामने नही आया है।
सरीन एक सरकारी कर्मचारी हैं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज है और विजिलैन्स छापेमारी कर चुकी है और वह उन्हें नही मिले हैं। वह अपने कार्यालय में भी नही आ रहे हैं क्या उन्होंने विभाग से कोई छुट्टी ले रखी है। यदि ऐसी कोई छुट्टी है तो क्या वह यह मामला दर्ज होने के बाद रद्द नहीं हो जानी चाहिये थी? यदि वह बिना किसी छुट्टी के अपने कार्यालय से गायब है तो क्या उसके खिलाफ एक और आपराधिक मामला नही बन जाता है? क्योंकि कोई भी सरकारी कर्मचारी बिना सूचना के गायब नही रह सकता। लेकिन विभाग की ओर से इस तरह की कोई कारवाई अबतक अमल में नहीं लायी गयी है। स्मरणीय है कि बहुत पहले बिलासपुर में भी सरीन के खिलाफ ऐसा ही एक मामला बना था उस समय भी राजनीतिक दबाव होने की चर्चाएं उठी थी। अब भी माना जा रहा है कि शायद राजनीतिक दबाव फिर हावि हो गया है जिसने सरकार और विजिलैन्स दोनों के हाथ बांध रखे हैं।