शिमला/शैल। प्रदेश के वर्तमान मुख्य सचिव डा. बाल्दी दिसम्बर में सेवानिवृत होने जा रहे हैं। सेवानिवृति के बाद डा. बाल्दी रेरा के अध्यक्ष हो सकते हैं ऐसा माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने अभी हाऊसिंग विभाग का प्रभार छोड़ दिया है और सरकार ने रेरा के लिये आवेदन भी आमन्त्रित कर लिये हैं। डा. बाल्दी लम्बे समय तक प्रदेश के वित्त सचिव रहे हैं। केन्द्र के वित्त विभाग ने मार्च 2016 में प्रदेश की वित्तिय स्थिति पर जो पत्र भेजा था वह उन्ही के कार्यकाल में आया था लेकिन इस पत्र के बावजूद डा. बाल्दी ने बतौर वित्त सचिव वीरभद्र को चुनावी वर्ष में कोई कठिनाई नही आने दी। हांलाकि मुख्यमन्त्री जयराम ने अपने पहले ही बजट भाषण में वीरभद्र सरकार पर अतिरिक्त कर्ज लेने का आरोप लगाया था परन्तु जयराम प्रदेश की वित्तिय स्थिति पर कोई श्वेतपत्र जारी नहीं कर पाये। इसे डा. बाल्दी की ही सूझबूझ का परिणाम माना गया था। डा. बाल्दी से मिली वित्तिय विरासत को बतौर अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल खाची ने संभाला और अब केन्द्र से वापिस आने के बाद फिर से उन्हें वित्त विभाग की जिम्मेदारी दी गयी है। भारत सरकार के 2016 के पत्र के मुताबिक राज्य सरकार अपनी तय सीमा से कहीं अधिक ऋण ले चुकी है क्योंकि एक समय सरकार स्वयं कह चुकी है कि वह जीडीपी का 33.96% ऋण ले चुकी है।
जयराम सरकार की पिछले कुछ समय से ऋणों पर निर्भरता ज्यादा बढ़ गयी है। सरकार औद्यौगिक निवेश जुटाने के पूरे प्रयास कर रही है ताकि उसका जीडीपी बढ़ सके। ऐसे में सरकार को एक ऐसे मुख्य सचिव और वित्त सचिव की आवश्यकता होगी जो सरकार को इस संकट से सफलता पूर्वक निकाल सके। इस परिदृश्य में जब मुख्य सचिव तलाशने की स्थिति आती है तब प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाहों पर नजर जाना स्वभाविक हो जाता है। इस समय सचिवालय में छः अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्यरत हैं इनसे हटकर केन्द्र में इसी स्तर के प्रदेश के सात अधिकारी तैनात हैं जिनमें से दो इसी दिसम्बर में रिटायर हो जायेंगे इनके बाद अरविंद मैहता नवम्बर 2020 में तथा बृज अग्रवाल, संजीव गुप्ता और तरूण कुमार 2021 में रिटायर हो जायेंगे। यदि इनमें से किसी को बतौर मुख्य सचिव की तलाश में जाना होगा। वैसे तो अभी ही तीसरा मुख्यसचिव आयेगा ऐसे में जो अधिकारी सरकार के दिसम्बर 2022 तक के कार्यकाल तक चल सके उसी की ही तलाश करनी ज्यादा लाभप्रद रहेगी। इस गणित में अनिल खाची और राम सुभाग सिंह दो ही अधिकारी रह जाते हैं जिनकी सेवानिवृति जून और जुलाई 2023 में होगी। इन दोनों ही अधिकारियों का भारत सरकार में काम करने का अनुभव बराबर का रहा है। खाची केन्द्र में सचिव होकर कुछ ही समय पहले यहां से गये थे लेकिन कुछ कारणों से उन्हे वापिस आने की मजबूरी हो गयी और आ गये। राम सुभागसिंह प्रदेश में अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से निभा रहे थे लेकिन कुछ लोगों को यह पसन्द नही आया और उन्हें पयर्टन में जानबूझ कर विवादित बना दिया। मुख्यमन्त्री को उनसे पर्यटन वापिस लेना पड़ा और जांच की बात करनी पड़ी। परन्तु इस जांच में ऐसा कुछ भी सामने नही आया है जिसे गलत कहा जा सके। राम सुभाग हिमाचल के रहने वाले नही है और खाची हिमाचली होने के साथ ही वरिष्ठ भी हैं। शिमला से ताल्लुक रखते हैं और राजनीतिक खेमेबाजी से दूर नियमों/कानूनो के पाबन्द माने जाते हैं। राम सुभाग ने केन्द्र में शान्ता कुमार के साथ काम किया है और एक तरह से इसका दण्ड भी भुगता है। ऐसे में खाची और रामसुभाग सिंह में से किसकी बारी आती है या अग्रवाल को ही जयराम फिर बुला लेते हैं इस पर सबकी निगाहें लगी हैं।