शिमला/शैल। कोरोना को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है। आधा विश्व इसकी चपेट मे है। अमेरीका और इटली में तो इसके कारण आपातकाल घोषित कर दिया गया है। भारत में भी कई राज्यों में इसे महामारी घोषित करके सारे शिक्षण संस्थान सिनेमा स्थल, सार्वजनिक सभाओें, मेले, त्योहारों पर होने वाली भीड़ पर प्रतिबन्द लगाने के निर्देश प्रशासन को जारी हो चुके हैं। सर्वोच्च नयायालय सहित कई उच्च न्यायालयों ने केवल आवश्यक मामलें में ही सुनवाई करने का फैलसा लिया है। यह कदम इसलिये उठाये गये हैं क्योंकि अभी तक इसका कोई अधिकारिक ईलाज सामने नही आ पाया है। इस सयम सावधानी बरतने और जन मानस को इसके प्रति सचेत करना ही एकमात्र उपाय इस समय रह गया है। जनता इसके प्रति जागरूक हो और वह हर तरह के संभव प्रतिरोधक कदम उठाये तथा अपना आत्मविश्वास बनाये रखे। यह जिम्मेदारी आती है प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व पर।
हिमाचल में भी सरकार ने सारे शिक्षण संस्थान बन्द कर लिये हैं। मेेले त्योहारों पर और सार्वजनिक सभाओं पर भी अंकुश लगाया गया है। लेकिन क्या जनता में आत्मविश्वास बनाये रखने के लिये आवश्यक कदम उठाये गये हैं यह एक अहम सवाल बना हुआ है और इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होने सरकार से आग्रह किया है कि इस समय स्वास्थ्य संस्थानों में डाक्टरों और पैरामैडिकल स्टाफ के खाली चले आ रहे पदों को भरने के लिये विशेष अभियान चालाया जाना चाहिये क्योंकि प्रदेश के बहुत सारे संस्थानों में रिक्त पद चल रहे हैं। प्रदेश के सबसे बड़े संस्थान आईजीएमसी के कैंसर जैसे संस्थान में ही दो पद रिक्त चल रहे हैं। मुख्यमन्त्री के गृह ज़िला मण्डी में जहां प्रदेश का पहला मैडिकल विश्वविद्यालय बनाया गया है वहां से कोरोना के संदिग्ध को शिमला रैफर करना डाक्टरों और अन्य साधनों की कमी का सीधा प्रमाण बन जाता है। राठौर ने अपनी टीम के साथ शिमला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वयं जाकर प्रबन्धों का जायज़ा लिया है। राठौर ने फील्ड में भी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से स्वास्थ्य संस्थानों में जाकर प्रबन्धों का जायज़ा लेने तथा जनता में आत्मविश्वास बनाये रखने के पूरे प्रयास करने का आग्रह किया है। राठौर को यह कदम उठाने की आवश्यकता तब पड़ी जब उन्होने निदेशक स्वास्थ्य से इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिये फोन किया और निदेशक उपलब्ध नही हुए लेकिन जब निदेशक ने सूचना होने के बाद भी सम्पर्क नहीं किया तब उन्हें स्वयं स्वास्थ्य संस्थानों का रूख करना पड़ा।
जहां कांग्रेस ने बतौर जिम्मेदार विपक्ष यह कदम उठाया है वहीं पर प्रदेश भाजपा ने पांवटा साहिब में राज्य कार्यकारिणी का दो दिन का अधिवेशन बुलाकर सरकार के प्रयासों की गंभीरता और ईमानदारी पर स्वयं ही एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। जनता में यह आम चर्चा का विषय बन गया है कि एक ओर तो राष्ट्रपति तक वहां होने वाले आयोजनों को स्थगित कर चुके हैं तब प्रदेश भाजपा अपने आयोजन को स्थगित क्यों नहीं कर पायी? क्या वहां पर भाजपा के लिये कोई विशेष प्रबन्ध किये गये थे जिनके चलते कोरोना का खतरा नही था। जबकि पूरा प्रदेश खतरे की जद में है।