सरकार के दावों के बावजूद कामगारों में विश्वास बहाली क्यों नही

Created on Monday, 30 March 2020 19:08
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। तालाबन्दी के कारण सारी कारोबारी गतिविधियां एकदम ठप हो गयी है। परिवहन के सारे साधन बन्द है। तालाबन्दी मे जो जहां है वह वहीं रहेगा यह आदेश है। इन आदेशों के चलते कामगार और उनके परिवार सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। बहुत सारे कामगार अपने अपने स्थानों से पलायन करने की बाध्यता पर आ गये हैं। लेकिन ऐसा कर नही पा रहे हैं। ऐसे लोगों की सहायता के लिये केन्द्र सरकार ने आपदा प्रबन्धन अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह निर्देश जारी किये हैं कि तालाबन्दी की अवधि के लिये उनका वेतन न काटा जाये। किराये के आवासों में रह रहे ऐसे लोगों के लिये मकान मालिकों को भी यह कहा गया है कि यह इन लोगों से एक माह का किराया न ले। सर्वोच्च न्यायालय में भी  इस आश्य की कुछ याचिकाएं दायर हो गई है। जिनमें इस दिशा में उचित दिशा निर्देश जारी करने के आग्रह किये गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार से इस पर जबाव भी तलब किया है।

यह तालाबन्दी 21 दिनों की है और इसका कड़ाई से अनुपालन करने के आदेश है। अनुपालना की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई है। कामगारों की यह समस्या हर प्रदेश में है। हिमाचल में भी करीब पांच लाख लोग प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में प्रभावित है। स्वभाविक है कि यदि यह कामगार एक बार अपने अपने औद्योगिक क्षेत्रों को छोड़कर चले जाते है तो इससे उद्योग भी प्रभावित होंगे। क्योंकि इन लोगों को वापिस काम पर आने में समय लगेगा। तय है कि इससे दोनों पक्ष प्रभावित होंगे।
इससे यह सवाल उठता है कि जब यह तालाबन्दी केवल 21 दिनों के लिये ही है और सरकार ने इनकी सहायता के लिये आदेश तक जारी कर दिये हैं। फिर उद्योगपति, कामगार और मकान मालिक सभी एक दूसरे पर विश्वास क्यों नही कर पा रहे हैं। क्या यह विश्वास नही हो पा रहा है कि यह कारोबारी गतिविधियां 22वें दिन पूर्ववत बहाल हो जायेंगे? क्या सरकार इस आश्य का कोई आदेश जारी नही कर सकती है कि यह कामगार 22वें दिन अपने अपने काम पर पहले की तरह लौट आयेंगे। क्या उद्योगों को सरकार पर विश्वास नही हो पा रहा है कि वह 22वें दिन अपने उद्योग को पूर्ववत चला पायेंगे। हिमाचल सरकार ने 2019 के पुरे वर्ष में निवेशक मीट आयोजित करके 93 हजार करोड़ के निवेश के एम ओ यू विभिन्न उद्योगपतियों से हस्ताक्षरित किये हंै। क्या ऐसे में राज्य सरकार को इस समय ऐसा आदेश नही जारी करना चाहिये कि हिमाचल मे स्थित उद्योग इन कामगारों को पहले की तरह 22वें दिन पूर्ववत काम पर रख लेंगे। यदि सरकार उद्योगपति, कामगार और मकान मालिक में विश्वास बहाल नही कर सकती है तो आम आदमी कैसे सरकार के प्रयासों पर विश्वास बना पायेगा।