शिमला/शैल। कोविड-19 का प्रभाव हिमाचल प्रदेश में देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। यह कमी सरकार के प्रयासों का परिणाम है क्योंकि सरकार ने लाकडाऊन के साथ ही कफर्यू भी पूरे प्रदेश में लगा दिया था। कफ्रर्यू की अनुपालना में पूरी सख्ती अपनाई गयी। प्रदेश में जहां अन्य राज्यों के लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगा दिया गया वहीं प्रदेश के भीतर भी एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिये भी रोक लगा दी गयी। इन प्रशासनिक प्रबन्धों के साथ ही इस महामारी से लड़ने के लिये आवश्यक सामान और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये बहुत सारी औपचारिकताओं को भी हटा दिया गया है।
किसी भी तरह के सेवा या सामग्री की आपूर्ति के लिये वित्तिय नियमों-2009 में एक ठोस प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है। इन प्रावधानों की अवहेलना अपराध की श्रेणी मे आती है। इसमें किसी भी आपूर्ति के लिये टैण्डर प्रक्रिया अपनानी पड़ती है और कई बार इसमें आवश्यकता से अधिक समय लग जाता है। इस समय कोविड-19 का प्रकोप एक ऐसी शक्ल ले चुका है जिसमें इसके लिये वांच्छित सेवाओं और सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये वित्तिय नियमों में दी गयी औपचारिकताओं की अनुपालना करने में बहुत समय लगने की संभावना है। इन्हें पूरा करते हुए बहुत नुकसान हो सकता है। समस्या की इस गंभीरता को सामने रखते हुए वित्तिय नियमों में प्रक्रिया संबंधी जो औपचारिकताएं नियम 91-से 121 तक दी गयी हैं उनकी अनुपालना में 31 मई तक छूट प्रदान कर दी गयी है। माना जा रहा है के नियमों में विधिवत छूट का प्रावधान पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गयी खरीद पर उठे सवालों के परिदृश्य में किया गया है।