शिमला/शैल। इस समय पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है इस लड़ाई में डाक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मी ही सबसे बड़ा हथियार हैं। डाक्टरों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि देश ने इस तालाबन्दी के दौरान तीसरी बार डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मी के प्रति अपनी कृतज्ञत्ता थाली बजाकर, मोमबत्ती जलाकर और अब सेना द्वारा फूल बरसाकर प्रकट की है। आज जिस तरह की गंभरी परिस्थितियां हैं उनमें स्वभाविक रूप से हर आदमी का ध्यान उसके आस पास के स्वास्थ्य संस्थानों और सेवाओं पर जायेगा ही और सरकार के किसी भी विभाग या सेवा की सही स्थिति का आकलन कैग रिपोर्ट से अनयत्र कहीं नही मिल सकता। इस परिप्रेक्ष में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की सही स्थिति कैग रिपोर्ट से ही सामने आ सकती है क्योंकि यह रिपोर्ट वाकायदा विधानसभा के पटल पर रखी जाती है। यह अलग बात है कि हमारे माननीयों और मीडिया भी इनकों पढ़ने और समझने का प्रयास नही करते हैं। शीर्ष अफरसशाही इन्हें अच्छी तरह जानती और समझती है क्योंकि इन रिपोर्टों के माध्यम से उन्ही की कार्यप्रणाली का खुलासा सामने आता है। यह रिपोर्ट हर वर्ष तैयार की जाती है।
हिमाचल प्रदेश की वर्ष 2017-18 की 31 मार्च तक के कामकाज की रिपोर्ट विधानसभा में पेश हो चुकी है। 2019-20 की रिपोर्ट अभी तक सदन में नही आयी है। वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में जो कुछ अच्छा बुरा सरकार का इस दौरान रहा है उसका जिक्र इसमें दर्ज है। इस रिपोर्ट में हुए खुलासों पर गंभीर कारवाई हो जानी चाहिये थी। जो लोग इसके लिये जिम्मेदार रहे हैं उनकी जवाबदेही बनती है लेकिन अभी तक ऐसा कुछ सामने नही आया है। इससे सरकार की गैर जिम्मेदारी माना जाये या भ्रष्टाचार को संरक्षण देना माना जाये इसका फैसला पाठक स्वयं कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों और दूसरे स्वास्थ्य कर्मीयों के बाद दवाईयां और उपकरणों का आता है। दवाईयों और उपकरणों की खरीद के लिये वाकायदा पाॅलिसी बनी हुई है। अब तो रोगी कल्याण समितियों के माध्यम से भी बहुत सारे काम लिये जा रहे है। स्वास्थ्य विभाग में दवाईयों और उपकरणों की खरीद मार्च 2017 तक प्रदेश सिविल स्पलाईज़ कारपोरेशन के माध्यम से की जाती रही है। इसमें कुछ चीजें इलैक्ट्रानिक कारपोरेशन के माध्यम से भी खरीदी जाती रही हैं।
लेकिन मार्च 2017 में नयी खरीद पाॅलिसी बनाई गयी। इसमें यह कहा गया कि नवम्बर 2016 में जो एसपीसी गठित की गयी थी वह अब खरीद आर्डर सरकार द्वारा स्वीकृत सप्लायरों ने जो रेट कान्ट्रैक्ट पर हैं को ही दें। क्योंकि एसपीसी कार्यशील हो ही नही पायी थी। फिर अक्तूबर 2017 में निर्देश जारी करते हुए सीएमओज़ को ही खरीद के लिये अधिकृत कर दिया गया और यह कहा गया कि वह सीधे केन्द्र के सरकारी उपक्रमों और जनऔषधी केन्द्रों से खरीद कर लें। यदि उनमें उपलब्धता न हो तो स्थानीय स्तर पर भी खरीद कर सकते हैं। सरकार की जनवरी 2016 की अधिसूचना के तहत 66 आवश्यक ड्रग्स की सूची भी तैयार की गयी जो सरकार के हर अस्पताल में लोगों को मुफ्रत दी जानी है। सितम्बर 2017 में इसमें संशोधन करके 43 से 330 ड्रग्स को मुफ्रत देने का प्रावधान कर दिया। वर्ष 2015-16 से 2017 -18 के बीच 146.75 करोड़ के ड्रग्स और 67.87 करोड़ की मशीनरी और उपकरण खरीद किये गये।
इस खरीद और फिर अस्पतालों तक सप्लाई का जो खुलासा रिपोर्ट में सामने आया है वह चैंकाने वाला है। बहुत सारे अस्पतालों में बिना मांग के कहीं मांग से अधिक तो कहीं कम सप्लाई करने का खुलासा है। बहुत सारी मशीनरी और उपकरण बिना उपयोग पड़े हैं। रोगी कल्याण सीमित को वर्ष में 50,000 रूपये तक की खरीद की ही अनुमति है लेकिन इस सीमा का उल्लघंन किया गया है। सीएमओ मण्डी पर कमीशन के लिये लोकल स्तर पर खरीद का आरोप है। बहुत सारी प्रयोगशालाएं तकनिश्यिनों के बिना बन्द पड़ी हुई हैं क्योंकि 884 तकनिश्यिनों के पदों में से केवल 263 ही पद भरे हुए हैं।
Irregular purchase without tenders/ quotations
State Government guidelines for procurement by Rogi Kalyan Samitis (RKS) stipulate that goods valuing above ` 2,000/- cannot be procured without inviting quotations, and such total purchases shall not exceed ` 50,000/- in a year. Scrutiny of records of RKSs of RH Chamba, RH Kullu, and ZH Dharamsala showed that these hospitals had purchased non-generic drugs & consumables worth ` 5.27 crore from local HPSCSC outlets during 2015-18 without inviting quotations or observing codal formalities. In this context, it was observed that the discount allowed by the HPSCSC outlets on the maximum retail price (MRP) was only up to 10 per cent, while discounts between 40 and 83 per cent on MRP had been obtained by CMO, Mandi after inviting quotations from local suppliers during the same period.