क्या एक तरफा होंगे इन उपचुनावों के परिणाम

Created on Monday, 25 October 2021 15:05
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। इन उप चुनावों का परिणाम क्या होगा उसका भाजपा और कांग्रेस की अपनी-अपनी राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? यह सवाल इस उपचुनाव के विश्लेषण के मुख्य बिन्दु होंगे। क्योंकि यदि भाजपा इसमें हारती है तो भी उसकी सरकार पर इसका कोई असर नहीं होगा। हां यदि भाजपा जीत जाती है तो यह उसकी नीतियों की जन स्वीकारोक्ति होगी और इसके बाद जनता को महंगाई बेरोजगारी तथा भ्रष्टाचार पर कोई आपत्ति करने का हक नहीं रह जायेगा। दूसरी और यदि कांग्रेस हारती है तो उसके नेतृत्व के अक्षम होने पर और मोहर लग जायेगी। यदि कांग्रेस जीतती है तो जनता को भविष्य के लिए एक आस बंध जायेगी। महंगाई और बेरोजगारी पर रोक लगने की उम्मीद जग जायेगी। यह उपचुनाव कांग्रेस भाजपा की बजाये जनता की अपनी समझ की परीक्षा ज्यादा होगी। क्योंकि आज सरकार के पक्ष में ऐसा कुछ नही है जिसके लिये उसे समर्थन दिया जाये। हां यह अवश्य है कि उपचुनाव के परिणाम मुख्यमंत्री और उनकी सलाहकार मित्र मण्डली की व्यक्तिगत कसौटी माने जायेंगे। राम मंदिर निर्माण तीन तलाक और 370 खत्म करने की सारी उपलब्धियां महंगाई और बेरोजगारी में ऐसी दब गयी हैं कि उपलब्धि की बजाये कमजोर पक्ष बन चुके हैं। जनता का रोष यदि कोई पैमाना है तो यह परिणाम एक तरफा होने की ओर ज्यादा बढ़ रहे हैं। क्योंकि इन चुनावों में ‘‘भगवां पटका-बनाम भगवां पटका’’ जिस तरह से फतेहपुर और जुब्बल कोटखाई में सामने आया है उससे पार्टी के चाल चरित्र और चेहरे पर ही ऐसे सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनसे विश्वसनीयता ही सवालों में आ जाती है।

मंडी मुख्यमंत्री का गृह जिला है कांग्रेस विधानसभा की दसों सीटें हार चुकी है और लोकसभा भाजपा ने चार लाख के अंतर से जीती है। आज इसी मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र में चौदह हेलीपैड बनाये जाने का आरोप लगा है और इस मामले में कोई भी इसके पक्ष में नहीं आया है। फोरलेन प्रभावितों का मुद्दा आज भी जस का तस है। ऊपर से बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे से यहां के लोगों की हवाईयां उड़ी हुई हैं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि वह मंडी से मुख्यमंत्री के होने को वरदान माने या अभिशाप। मंडी शहर के बीच स्थित विजय माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में शॉपिंग मॉल का निर्माण और वह भी तब जबकि बच्चों की याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है इससे क्या संदेश जायेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मंडी में सड़कों की हालत सुंदरनगर से मंडी तक के गड्डे ही ब्यान कर देते हैं। शिवधाम प्रोजेक्ट पर अभी काम तक शुरू नहीं हो पाया है। इस जमीनी हकीकत का चुनाव पर क्या असर पड़ेगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है। कुल्लू में देव संसद की नाराजगी नजरानें के मुद्दे पर सामने आ गयी है। लाहौल स्पीति में मंत्री का अपने ही क्षेत्र में घेराव हो चुका है। एस टी मोर्चा के पदाधिकारी के साथ मंत्री का झगड़ा सार्वजनिक हो चुका है। किन्नौर की त्रासदी ने प्रशासन और पर्यावरण से छेड़छाड़ को जिस तरह से मुद्दा बनाया गया है उसके परिणाम दुरगामी होंगे। इन बिंदुओं को सामने रखकर मंडी सीट का आकलन कोई भी कर सकता है। फतेहपुर में खरीद केंद्र को लेकर भाजपा प्रत्याशी का घेराव हो चुका है। जिस तरह के पोस्टर लगाकर कृपाल परमार का टिकट काटा गया था वैसे ही पोस्टर उम्मीदवार के खिलाफ भी आ चुके हैं। जिस मंत्री को फतेहपुर की कमान दी गयी है उस मंत्री के बेटे के खिलाफ बने मामले ने मंत्री की धार को कुंद करके रख दिया है। कोटखाई जुब्बल में तो यही स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बरागटा और उनके समर्थकों का विद्रोह प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ है या केंद्रीय नेतृत्व के। फिर सेब का सवाल अपनी जगह खड़ा ही है। इन दोनों क्षेत्रों में भगवां बनाम भगवां होने से भाजपा की कठिनाईं ज्यादा बढ़ गयी है। अर्की में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ जब अदालत में लंबित मुद्दों को उठाने का प्रयास किया गया और उसका जबाव लीगल नोटिस जारी करके दिये जाने से मुद्दे उठाने वाले ही कमजोर हुये हैं। क्योंकि भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ क्षेत्र के टमाटर उत्पादकों में ही रोष है। अब इस रोष को कांग्रेस को तालिबान से जोड़कर दबाने का प्रयास किया जा रहा है परंतु इसका जबाव सोलन में एक भाजपा नेता की गाड़ी से एक समय चिट्टा पकड़े जाने से दिया जा रहा है। इस प्रकरण में पुलिस ने नेता के ड्राइवर के खिलाफ तो मामला बना दिया था परंतु नेता की गाड़ी को छोड़ दिया गया था। इस कांड का वीडियो भी वायरल हो चुका है। इन मुद्दों के आने से अर्की में भी समीकरण बदलने शुरू हो गये हैं।