मौद्रीकरण के नाम पर पंचायतों की संपत्तियों का भी होगा विनिवेश

Created on Tuesday, 22 February 2022 16:26
Written by Shail Samachar

केंद्र ने राज्यों को भेजा पत्र
हिमाचल सरकार ने पंचायतों से मांगा संपत्तियों का विवरण
राजनैतिक दलों की चुप्पी सवालों में
पंचायतों को संपत्तियों के विनिवेश से जुटानी होगी आय

शिमला/शैल। केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के सचिव द्वारा 16 अगस्त 2021 को राज्य सरकारों को भेजे पत्र में निर्देश दिये गये हैं की पंचायतें अपने राजस्व संसाधन बढ़ाने के लिए अपनी संपत्तियों का मौद्रीकरण करें। पत्र में कहा गया है कि पंचायतें to raise own sources of revenue by monetization  of assets, lease of common property, property tax, panchayat land, ponds and small buildings.  हिमाचल सरकार ने इन निर्देशों की अनुपालना में पंचायतों से खण्ड विकास अधिकारियों के माध्यम से ऐसी संपत्तियों का विवरण मांग लिया है। स्मरणीय है कि इस बार केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास विभाग के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में दस प्रतिशत की कमी की गई है। यही नहीं मनरेगा में 25.5% और पी डी एस में 28.5% की बजट में कमी की गयी है। मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध रहता था और पी डी एस के तहत सस्ता राशन मिल जाता था। इनमें बजट की कमी से यह योजनाएं प्रभावित होंगी यह तय है। इन सारी कमियों का संयुक्त प्रभाव पंचायतों के कामकाज पर पड़ेगा। ग्रामीण विकास के बजट में भी 10% की कटौती हुई है। इस सबका परिणाम होगा कि पंचायतों को मौद्रीकरण के नाम पर अपनी संपत्ति निजी क्षेत्र को विनिवेश के नाम पर देने की बाध्यता आ जायेगी। इसका यह भी परिणाम होगा कि प्राइवेट सैक्टर को गांव में भी आने का अवसर मिल जायेगा।
पंचायत संपत्तियों के मौद्रीकरण की इस योजना के दूरगामी परिणाम होंगे यह स्वभाविक है। लेकिन इस योजना पर सार्वजनिक मंचों पर कोई बहस न तो केंद्र ने उठायी है और न ही राज्य सरकारों ने। यहां तक कि विपक्ष ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा है। पंचायतों के पास संसाधनों के नाम पर ज्यादा कुछ है नहीं। केवल कुछ जमीन है जिनका दोहन हो नहीं पाया है। जयराम सरकार ने भी पिछले बजट में घोषणा की थी कि वह गांव में खाली पड़ी जमीनों को अपने नियंत्रण में लेंगे। सरकार की इस घोषणा पर अलग से कोई अमल नहीं हो पाया है। लेकिन राज्य सरकार की इस घोषणा को यह केंद्र के इस पत्र के आईने में देखा जाये तो स्पष्ट हो जाता है कि सरकार गांव के स्तर पर तक अपनी संपत्तियों को प्राइवेट सैक्टर को देने का मन बना चुकी है और उस दिशा में लगातार बढ़ रही है। लैण्ड टाइटलिंग एक्ट का उद्देश्य की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाना है। यह अधिग्रहण आधारभूत ढांचा खड़ा करने के नाम पर किया जायेगा। आधारभूत ढांचे की संरचना का काम पहले ही निजी क्षेत्र को दिया जा चुका है। इस तरह सरकार की हर नीति गांव में प्राइवेट सैक्टर को लाने की बन चुकी है यह स्पष्ट हो जाता है।
इस परिदृश्य में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि पंचायतों की संपत्तियों के मौद्रीकरण को पंचायतों की आम ग्राम सभा बैठकों में चर्चा के लिये रखा जाये। सरकार ने तो अपने पत्र में पंचायतों के लिये पूरे वर्ष का माहवाार ऐजैण्डा तय कर दिया है। लेकिन पंचायत स्तर तक जो पत्र पहुंचा है उसमें पंचायतों से उनकी संपत्तियों और उनकी लोकेशन का विवरण ही पूछा गया है। पंचायतों से यह विवरण मांगे जाने का कोई कारण नहीं बताया गया है। इसका अर्थ हो जाता है कि सरकार द्वारा पंचायतों को भी पूरी और सही जानकारी नहीं दी गयी है। विपक्ष के पास भी शायद जानकारी नहीं है। सरकार ने भी इस योजना के उद्देश्यों पर कोई अलग से कुछ नहीं कहा है। ऐसे में आम आदमी की निगाहें इस पर लगी हुई है कि बजट सत्र में इस पर कोई चर्चा आती है या नहीं।