नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कर्ज और केंद्रीय सहायता पर मांगा श्वेत पत्र

Created on Monday, 14 March 2022 06:37
Written by Shail Samachar


ग्रामीण विकास, मनरेगा, पीडीएस, जल जीवन और खादों पर केंद्रीय बजट में हुई कटौती से प्रदेश का कर्जभार और बढ़ेगा

प्रदेश की जनता को यह जानने का हक है कि एक लाख करोड़ से भी अधिक का धन कहां खर्च हुआ

शिमला/शैल। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह ऋणों को लेकर जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने कर्जों और केंद्र से मिली वित्तीय सहायता को लेकर एक श्वेत पत्र जारी किये जाने की मांग की है। विपक्ष की इस मांग के परिदृश्य में सरकार की वित्तीय स्थिति और बजट पर नजर डालना आवश्यक हो जाता है। जयराम ठाकुर ने जब अपना पहला बजट भाषण 2018 में सदन में पढ़ा था तब यह जानकारी दी गई थी कि उन्हें 46385 करोड का कर्ज़ विरासत में मिला है। आज इस कार्यकाल का अंतिम बजट रखते हुये यह कर्ज करीब 70,000 करोड़ हो चुका है। इसी के साथ इस दौरान प्रधानमंत्री, गृहमत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जो केंद्रीय सहायता के आंकड़े समय-समय पर प्रदेश की जनता को परोसे हैं उनके मुताबिक केंद्र प्रदेश को एक लाख करोड़ से अधिक की सहायता दे चुका है। मंडी की एक जनसभा में तो प्रधानमंत्री ने स्व. वीरभद्र सिंह से इसका हिसाब तक मांग लिया था। अमित शाह ने चंबा-कांगड़ा में इसे दोहराया है। उस समय छपी खबरें इसका प्रमाण है। जेपी नड्डा ने तो अभी पिछले दिनों ही 72,000 करोड़ की सहायता के आंकड़े को दोहराया है। इसी बीच जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने यह जानकारी भी सामने रखी है कि सरकार को 12000 करोड के ऐसे धन का भी पता चला है जो कि खर्च ही नहीं किया गया है। इसकी पूरी जानकारी अधिकारियों से ली गयी है। केंद्र की सहायता के जो आंकड़े इन तीन शीर्ष नेताओं ने प्रदेश की जनता के सामने रखे हैं उन पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं बनता है।

पिछले दिनों आयी कैग रिपोर्ट में यह खुलासा सामने आया है कि सरकार ने 96 योजनाओं पर कोई पैसा खर्च नहीं किया है। कैग के इस खुलासे का सरकार ने कोई खंडन नहीं किया है। जयराम सरकार पर विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा है कि प्रदेश को कर्ज में डुबोया जा रहा है। यहां पर यह समझना आवश्यक है की एफ आर बी एम के मुताबिक सरकार अपने प्रतिबद्ध खर्चों को पूरा करने के लिये कर्ज नहीं ले सकती है। कर्ज उन्हीं कार्यों के लिये लिया जा सकता है जिनसे राजस्व आय में वृद्धि होगी। राजस्व आय से राजस्व खर्चे ही पूरे किये जाते हैं। विकासात्मक कार्यों के लिये पूंजीगत व्यय होता है और यह खर्च पूंजीगत प्राप्तियों से किया जाता है। यह पूंजीगत प्राप्तियां भी सक्ल ऋण होती हैं और शायद इस ऋण को कुल कर्ज में नहीं दिखाया जाता है। पूंजीगत प्राप्तियां वह ऋण होता है जो धन सरकार के पास कर्मचारियों और जनता का किसी न किसी रूप में जमा रहता है। जिसे अपनी सुविधा अनुसार सरकार अदा करती है। यदि कर्ज के इन आंकड़ों को भी जोड़ा जाये तो शायद कर्ज की स्थिति और भी गंभीर हो जाये।
सरकार जो बजट पेश करती है उसमें पूरे वर्ष में खर्च किये जाने वाले धन का आंकड़ा रहता है। इस बार वर्ष 2022-23 में सरकार कुल 51365 करोड खर्च करेगी। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 50192 करोड का था। इस तरह केवल करीब 2 प्रतिशत की वृद्धि इस बार की गयी है। जबकि इस दौरान महंगाई दस प्रतिश्त से भी अधिक बढ़ी है। इसी के साथ एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस बार केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास के बजट में 10%, मनरेगा में 25.5%, पीडीएस में 28.5%, रासायनिक खाद में 24%, फसल बीमा में 3%, पेट्रोल में 10% और जल जीवन मिशन में 1.3% अपने बजट में कटौती की है। केंद्रीय बजट में हुई इन कटौतीयों का राज्यों के आवंटन पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा। इसके परिणाम स्वरूप इन मदों में प्रदेश को इतना कम पैसा मिलेगा ऐसे में प्रदेश सरकार को 51365 करोड का खर्च पूरा करने के लिये और भी ज्यादा कर्ज लेना पड़ेगा क्योंकि चुनावों में जाना है। इसलिये इस वस्तुस्थिति में प्रदेश की जनता को यह जानने का हक है की यह इतना कर्ज और केंद्र से मिली सहायता कहां खर्च की गयी है।

अग्निहोत्री का ब्यान