शिमला/शैल। आम आदमी पार्टी अभी तक प्रदेश इकाई का नये सिरे से गठन नहीं कर पायी है। केजरीवाल की यात्राओं और सत्येंद्र जैन के प्रयासों से भी इस दिशा में कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पायी है। लेकिन दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री सिसोदिया की यात्रा के बाद प्रदेश में शिक्षा की हालत एक मुद्दा अवश्य बन गयी है। सिसोदिया द्वारा उठाये गये सवालों की चपेट में पूरी जयराम सरकार आ गयी और जवाब देने पर विवश भी हो गयी है। यही नहीं सिसोदिया ने आप की घोषणाओं को पूरा करने के लिये साधन कहां से आयेंगे इसका जवाब देते हुए कहा है कि यह सब भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करके हो सकता है। भ्रष्टाचार का उदाहरण देते हुये स्पष्ट जिक्र किया कि प्रदेश का एक नेता मंत्री बनने से पहले एक साधारण तीन कमरों के मकान में रहता था लेकिन मंत्री बनने के बाद जब वह अपने बेटे की शादी की दस-दस रिसैप्शन दिल्ली और शिमला के बीच दे तो तय है कि यह हैसियत भ्रष्टाचार से ही आयी है। सिसोदिया ने मंत्री का नाम लिये बगैर भाजपा के उन तीनों बड़े नेताओं पर जनता का ध्यान केंद्रित करवा दिया जिन्होंने इस दौरान अपने बेटों की शादियां की है। आप सरकार भ्रष्टाचार के प्रति कितनी गंभीर है इसका परिचय भगवंत मान ने अपने स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त और गिरफ्तार करके दे दिया है। जबकि स्वास्थ्य विभाग के सौदों में 1% कमीशन मांगे जाने की सूचना केवल मुख्यमंत्री के ही पास थी और सार्वजनिक नहीं थी। लेकिन हिमाचल में ऐसी सूचनाओं के सार्वजनिक होने के बावजूद भी किसी नेता के खिलाफ कोई कारवाई नहीं हुई है। पंजाब की आप सरकार के इस तरह के कदमों से हिमाचल में भी आम आदमी की विश्वसनीयता बनने में एक आधार तैयार हो रहा है। लेकिन इसी कदम के साथ हिमाचल में भी भाजपा से निकलकर आप में शामिल हुये नेताओं पर चर्चा आ सकती हैं क्योंकि संघ की सक्रिय पृष्ठभूमि से निकलकर दूसरे दलों में गये नेताओं की पहली निष्ठा संघ में ही रहती है। जबकि आज की बुनियादी समस्याओं के लिये संघ की वैचारिकता ही सबसे बड़ा कारण है। 1980 में जनता पार्टी इसी दोहरी निष्ठा के कारण टूटी थी। प्रदेश की आप इकाई में सिसोदिया के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर आप के दो ग्रुपों में झगड़ा होने के वीडियो जिस तरह से वायरल हुये हैं उससे यह आशंका बराबर बन गयी है कि आने वाले दिनों में ऐसे झगड़े पार्टी के आकार लेने से पहले ही उसके लिए कोई कठिनाइयां न खड़ा कर दें। क्योंकि ऐसा झगड़ा होने की यह दूसरी घटना है। इसके लिए पार्टी में संयोजक का बनाया जाना बहुत आवश्यक हो गया है। क्योंकि प्रदेश स्तर पर भाजपा और कांग्रेस को एक साथ घेरना आवश्यक है। लेकिन अभी तक प्रदेश के नेता उसी पाठ को दोहरा रहे हैं जिसकी इबारत उन्हें दिल्ली से लिखकर दी जा रही है। इस समय सोशल मीडिया में पार्टी के लिये वह लोग पोस्टे डाल रहे हैं जो इसके लिये अधिकृत ही नहीं है। बल्कि उनकी पहली निष्ठांये आज भी भाजपा के साथ हैं। ऐसे में आप के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा आप के लिये जो भी व्यावहारिक आधार तैयार किया जा रहा है उस को आगे बढ़ाने के लिये जब तक स्थानीय स्तर पर कोई सक्षम लोग नहीं होंगे तब तक कोई ज्यादा परिणाम सामने नहीं आयेंगे। जब तक प्रदेश इकाई की पूर्ण घोषणा नहीं हो जायेगी तब तक यह आरोप लगता ही रहेगा कि कहीं पार्टी अंत में अपरोक्ष रूप में भाजपा को ही मजबूत करने का प्रयास तो नहीं कर रही है। क्योंकि अभी तक सिराज में रोड शो और रैली करने की तारीख घोषित नहीं हो पायी है।