निर्दलीय विधायकों के शामिल होने से भाजपा की गुटबंदी आयी खुलकर सामने

Created on Monday, 13 June 2022 14:28
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश विधानसभा में दहेरा और जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों निर्दलीय विधायक भाजपा में शामिल हो गये हैं। दल बदल कानून के तहत इन विधायकों को भाजपा में शामिल होने से पहले अपनी सदस्यता से त्यागपत्र देना चाहिये था। ऐसा न करने पर विधानसभा अध्यक्ष इनके खिलाफ कारवाई करते हुये इनकी सदस्यता रद्द करते हुये इन्हें तीन वर्ष तक विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित कर सकता है। ऐसा दल बदल कानून में प्रावधान है। ऐसा अध्यक्ष द्वारा स्वतः संज्ञान और किसी की याचिका पर दोनों रूपों में किया जा सकता है। कांग्रेस ने इस संबंध में याचिका दायर करने की भी बात की है। लेकिन भाजपा ने कांग्रेस के स्टैंड पर प्रतिक्रिया देते हुये यह कहा है कि कांग्रेस की मांग पर यह विधायक सदस्यता नहीं छोड़ेंगे। भाजपा की इस प्रतिक्रिया से पता चल जाता है कि नियमों कानूनों का कितना सम्मान यह पार्टी करती है और इसका चाल चरित्र और चेहरा कहां दूसरों से भिन्न है जिसका दावा किया जाता रहा है।
इसके अतिरिक्त इसका दूसरा पक्ष यह रहा है कि देहरा से पूर्व मंत्री रविंद्र रवि और जोगिन्दर नगर से पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ने चुनाव लड़ा था। वो धूमल के विश्वस्त माने जाते हैं। गुलाब सिंह तो अनुराग ठाकुर के ससुर हैं। धूमल को योजनाबद्ध तरीके से हराया गया था यह सुरेश भारद्वाज और जगत प्रकाश नड्डा के ब्यानों से स्पष्ट हो चुका है। जंजैहली प्रकरण में धूमल को यह ब्यान देने के कगार पर पहुंचा दिया गया था कि ‘‘सरकार चाहे तो उनकी सी.आई.डी. जांच करवा ले’’। इसके बाद मानव भारती विश्वविद्यालय प्रकरण में जिस तरह का ब्यान पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का राजेंद्र राणा के पत्रों पर आ गया था उससे जयराम सरकार के रिश्ते धूमल के साथ और स्पष्ट हो जाते हैं। अब प्रधानमंी की यात्रा के दौरान जिस तरह से मंच पर नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में अनुराग का नाम तक नहीं लिया है उससे राजनीतिक रिश्तांे का सच और स्पष्ट हो जाता है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की जमीन को लेकर जसवां की एक जनसभा में अनुराग और जयराम के बीच हुआ संवाद भी इसी सबकी पुष्टि करता है।
रविंद्र रवि और होशियार सिंह में से जयराम और उसके मंत्री किसको अधिमान देते हैं यह देहरा में महेंद्र सिंह ठाकुर की एक जनसभा में सामने आ ही चुका है। यही नहीं जब किसी कार्यकर्ता ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को लेकर शांता कुमार के नाम एक पत्र लिखा था तब इस पत्र को लेकर रविंद्र रवि के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया था। जब चुनाव हारने के बाद भी भाजपा विधायकों के बहुमत ने धूमल को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी तब कुटलैहड के विधायक वीरेंद्र कंवर में धूमल के लिये अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की थी। अब इसी वीरेंद्र कंवर के खिलाफ भरी जनसभा ने इसी निर्दलीय विधायक ने अति अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। एक तरह से यह भाषा पूरी सरकार के खिलाफ थी। वीरेंद्र कंवर ने इसे मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने की बात की थी और तब मुख्यमंत्री ने एक बैठक में होशियार सिंह का अभिवादन तक अस्वीकार करके मामले को वहीं खत्म करने का प्रयास किया था।
लेकिन अब जिस तरह से स्थानीय इकाइयों, संबंधित मंत्रियों क्षेत्र के सांसद मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को विश्वास में लिये बिना इन निर्दलीय विधायकों को भाजपा में शामिल किया है वह राजनीतिक भाषा में धूमल खेमे के लिये सीधी चुनौती हो जाती है। राजनीतिक विश्लेष्कों के अनुसार आने वाले दिनों में धूमल और जयराम-नड्डा दो खेमों में खुलकर वर्चस्व की लड़ाई लड़ी जायेगी। क्योंकि इस समय जयराम और नड्डा ने धूमल खेमे को पूरी तरह हाशिये पर धकेल दिया है। इसका असर 2024 में अनुराग के चुनाव पर भी पड़ेगा। क्योंकि यहीं से राज्यसभा सांसद डॉ. सिकन्दर भी धूमल खेमे के लिये एक सरप्राईज ही रहा है। इस परिदृश्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा खेमा आगे क्या कदम चलता है।