कांग्रेस को सीटें जीतने के लिये मंत्रियों या उनके परिजनों को चुनाव में लड़वाना होगा

Created on Sunday, 25 February 2024 19:23
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश कांग्रेस चुनावी सर्वेक्षण के आधार पर लोकसभा उम्मीदवारों का चयन करेगी यह कहना है प्रदेश के लिये नियुक्त स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री भगत चरण दास का। सभी दल प्रायः इसी सिद्धान्त पर उम्मीदवारों का चयन करते हैं। स्मरणीय है कि सर्वे इस संबंध में पहले भी हो चुका है और उसके अनुसार सीटों पर पार्टी की हालत कमजोर पायी गई है। अभी राज्यसभा की भी एक सीट के लिये एक सर्वेक्षण चर्चा में आया है जिसके मुताबिक भाजपा की जीत 67 प्रतिशत और कांग्रेस की 33 प्रतिशत आंकी की गई है जबकि कांग्रेस की सरकार है। जब कोई पार्टी सरकार में होती है और तब चुनावी सर्वेक्षण होता है तो उसमें सरकार की परफारमैन्स सरकार और संगठन में तालमेल और जनता में बन रही छवि मुख्य आधार रहते हैं। राज्य में सरकार होने की स्थिति में पार्टी की राष्ट्रीय नीतियां बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं रहती है क्योंकि आम आदमी वक्त की सरकार से ज्यादा प्रभावित रहता है। जब केन्द्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सरकार होती है तब यह भी देखा जाता है कि प्रदेश की सरकार में से केन्द्र की सरकार की नीतियों पर कितनी आक्रमकता अपनायी गयी है।
सर्वेक्षण के इन मानकों पर यदि प्रदेश की सरकार का आकलन किया जाये तो सबसे पहले और बड़ा बिन्दु यह आता है कि सुक्खू सरकार के एक भी आचरण से आज तक यह लक्षित नहीं हुआ है कि प्रदेश में कोई अलग सरकार है। शासन तक में ट्रांसफर तक हुए जब चुनाव आयोग ने एक स्थान पर तीन साल पूरे कर चुके अधिकारियों को बदलने के आदेश दिये। एक तरह से पक्ष और विपक्ष रस्म अदायगीयों की औपचारिकताओं से आगे नहीं बढ़े हैं। जब सरकार अपनी ही पार्टी द्वारा चुनावों में सार्वजनिक रूप से जारी किये गये आरोप पत्र पर कोई कारवाई न कर पाये तो उसका चुनावी आकलन क्या किया जायेगा। कांग्रेस ने चुनावों के दौरान दस गारंटीयां जारी की थी उनकी पूर्ति के लिये सरकार ने क्या व्यवहारिक कदम उठाये हैं और क्या उपलब्धियां इसका राज्यपाल के अभिभाषण तक में कोई ठोस जिक्र नहीं है। अभी उपलब्धियों का जो विज्ञापन जारी किया जा गया है उसमें भी गारंटीयों का कोई उल्लेख नहीं है। आज इन गारंटीयों को लेकर कांग्रेस के अपने ही विधायक विधानसभा के अन्दर न केवल सवाल ही पूछ रहे हैं बल्कि खुला पत्र लिखने की नौबत तक पहुंच गये हैं।
शिखर सम्मेलन में विदेशी मेहमानों के लिये राष्ट्रपति द्वारा आयोजित भोज में केवल हिमाचल के ही मुख्यमंत्री शामिल हुये थे बाकी कांग्रेसी मुख्यमंत्री इससे बाहर रहे थे। अब राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भी हिमाचल सरकार ने ही सार्वजनिक अवकाश घोषित किया और इसके तीन नेता इसमें शामिल हुये। आने वाला लोकसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस में गंभीर आरोपों -प्रत्यारोपों का अखाड़ा होगा। इसमें हिमाचल कांग्रेस के नेता किस मुंह से मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोल पायेंगे। सरकार और संगठन में तालमेल की क्या स्थिति है इसको लेकर समय-समय पर प्रदेश अध्यक्षा के ब्यान ही अपने में बड़े प्रमाण हैं। कर्मचारियों के कितने वर्ग धरने प्रदर्शनों के लिये मजबूर हो चुके हैं यह सबके सामने है। इस वस्तु स्थिति में होने वाले चुनावी सर्वे के परिणाम क्या होंगे इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। आज स्थिति पार्टी में पदाधिकारी के त्यागपत्रों तक पहुंच गई है। हाईकमान के आचरण से भी यही झलक रहा है कि उसके लिए मुख्यमंत्री के दावे ही अन्तिम सच हैं या उसने हिमाचल को उसके हाल पर ही छोड़ दिया है। जबकि भाजपा इस चुनाव में साम-दाम-दण्ड और भेद के सारे सूत्र एक प्रयोग करके चल रही है। आने वाले दिनों में यदि कुछ मंत्रियों के खिलाफ भी सनसनी खेज दस्तावेजी खुलासे सामने आ जायें तो कोई हैरानी नहीं होगी।
इस समय यदि हाईकमान प्रदेश और लोकसभा चुनाव के लिये गंभीर है तो उसे चारों सीटों से किसी न किसी मंत्री को ही चुनाव में उतरना चाहिये। इससे पार्टी के प्रति इन लोगों की निष्ठाओं से ज्यादा इनकी परफारमैन्स का भी टेस्ट हो जायेगा। क्योंकि सरकार के दावों का फील्ड में व्यवहारिक सच क्या है और व्यवस्था परिवर्तन के जुमले पर आम आदमी की प्रतिक्रिया क्या है इसका इनको प्रत्यक्ष ज्ञान हो जायेगा। इस समय हमीरपुर लोकसभा सीट पर लम्बे अरसे से कांग्रेस हारती चली आ रही है। आज मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों इसी हमीरपुर क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। इसलिये इस सीट से मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी से ज्यादा प्रभावी उम्मीदवार कौन हो सकता है। फिर सरकार और मुख्यमंत्री के दावों की व्यवहारिक परीक्षा भी हो जायेगी। यही नहीं कमलेश ठाकुर के प्रत्याशी बनने से प्रदेश के चुनाव में गंभीरता भी आ जायेगी। चारों सीटों पर इसी तरह का प्रयोग किया जाना चाहिये अन्यथा प्रदेश से कोई भी सीट कांग्रेस को मिल पाना संभव नहीं होगा।