प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे परिवारों का आंकड़ा हुआ 2,66,304

Created on Monday, 01 April 2024 18:27
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश कांग्रेस अभी तक लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों के लिये अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पायी है। कांग्रेस और विधायकी छोड़कर जो बागी भाजपा में शामिल हुये हैं उनका सरकार के खिलाफ बड़ा आरोप रहा है कि यह सरकार विधानसभा चुनावों के दौरान जनता को दी गारंटीयां पूरी करने की ओर कोई कदम नहीं उठा पायी है। युवाओं को जो नौकरियां देने का वायदा किया था उस वायदे को पूरा करने के बजाये उस बोर्ड को ही भंग कर दिया जिसके माध्यम से नौकरियां दी जाती थी। आज यह सरकार 1,36,000 कर्मचारीयों को पुरानी पैन्शन योजना के तहत लाने का श्रेय ले रही है लेकिन इसमें अभी तक केवल 3899 कर्मचारियों के मामले ए.जी. ऑफिस को भेजे गये हैं। यह जानकारी विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी गयी है। यह सरकार एक वर्ष में कितने लोगों को सरकार और इसके उपक्रमों में नौकरियां दे पायी हैं? इस आश्य के हर सवाल के जवाब में कहा गया की सूचनाएं एकत्रित की जा रही है। अभी चुनावों से पहले महिलाओं को 1500 रूपये प्रति माह देने की अधिसूचना जारी की गई थी। इस अधिसूचना के साथ वह फॉर्म भी संलग्न है जो आवेदक को भर कर देना है। लेकिन इस फॉर्म में आवेदन के लिये जो राइडर दर्ज है उनके अनुसार यह लाभ पाने वाले व्यवहारिक रूप से बहुत कम रह जायेंगे। जबकि प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या 2020-21 में 2,58,852 के आंकड़े से बढ़कर 2023-24 में 2,66,304 परिवार हो गयी है। यह आंकड़ा भी विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में आया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि इस सरकार के कार्यकाल में गरीबी बढ़ी है।
इस सरकार ने सत्ता संभालने के बाद प्रदेश की कठिन वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुये डीजल पर वैट बढ़ाया बिजली पानी के रेट बढ़ाये। कूड़ा शुल्क की दरें बढ़ाई। अब फिर इन दरों में दस प्रतिश्त की दर से वृद्धि कर दी गई है। कांग्रेस ने चुनावों में 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की थी क्योंकि पिछली सरकार 125 युनिट बिजली मुफ्त दे रही थी इसलिए उससे बड़ी घोषणा करनी थी। लेकिन सत्ता संभालने के बाद यह कहा गया कि पहले एक हजार मेगावाट का नया उत्पादन पैदा करेंगे और फिर तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त देंगे। इस आश्य का भी बजट सत्र में एक प्रश्न आया था जिसके उत्तर में कहा गया है कि अभी तक कोई भी नया समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित नहीं हुआ है। अब विद्युत नियामक आयोग ने चुनावों की पूर्व संध्या पर बिजली की नयी दरें घोषित कर दी है। यह नयी दरें उपभोक्ता से वसूलने की बजाये इसका बोझ सरकार उठाकर इसकी क्षतिपूर्ति बिजली बोर्ड को करने का फैसला लिया गया है। इसी के साथ बिजली बोर्ड सरकार को मिल रही 12% मुफ्त बिजली सरकार से 2.57 पैसे प्रति यूनिट खरीदता था वह सुविधा बोर्ड से वापस ले ली गयी है जिसके कारण बोर्ड को खुले बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ेगी। इस समय बोर्ड की आय और व्यय में करीब डेढ़ सौ करोड़ का अन्तर है। सरकार के फैसले से बोर्ड का वित्तीय प्रबंधन और बिगड़ेगा क्योंकि सरकार अभी 125 यूनिट मुफ्त बिजली की क्षतिपूर्ति ही बोर्ड को नहीं कर पायी है। नये बोझ से यह क्षतिपूर्ति 2000 करोड़ वार्षिक से भी बढ़ जायेगी। इस समय बोर्ड पर 1600 करोड़ से अधिक की देनदारी खड़ी है। इस तरह सरकार के ऐसे फैसलों से न तो संस्थाओं का भला हो पा रहा है न ही आम जनता का।
इस समय चुनावों की पूर्वसंध्या पर बिजली पानी और कूड़े के शुल्क बढ़ाना जानबूझकर आम आदमी पर बोझ डालने जैसा हो जायेगा। क्योंकि जिस अनुपात में सरकार आवश्यक सेवाओं और वस्तुओं के दाम बढ़ा रही है उसी अनुपात में आम आदमी की क्रय शक्ति नहीं बढ़ रही है। जब सरकार की योजनाओं का लाभ प्रतिफल गरीबी रेखा से नीचे का आकड़ा बढ़ने के रूप में सामने आये तो इन योजनाओं पर स्वतः ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है।