हमीरपुर और कांगड़ा लोकसभा में कांग्रेस का रक्षात्मक होना घातक होगा
सुधीर शर्मा के आरोपों ने बदला परिदृश्य
शिमला/शैल। इन चुनावों के चुनाव प्रचार का आकलन करने पर स्पष्ट हो जाता है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इसमें छः विधानसभा उपचुनावों को लोकसभा चुनाव से ज्यादा अधिमान दिया है। क्योंकि विधानसभा उपचुनाव का आने वाले समय में सरकार की सेहत पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इस संभावित प्रभाव के साये में चल रही कांग्रेस ने जहां शिमला मण्डी में रणनीतिक भूलें की वहीं पर हमीरपुर और कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ रस्मी आक्रामकता से आगे नहीं बड़े। जबकि हमीरपुर में अनुराग के खिलाफ दिल्ली में वृन्दा करात द्वारा उठाया गया मामला अपने में अभी भी गंभीर बना हुआ है। लेकिन पूरे चुनाव प्रचार में इस मुद्दे का एक बार भी कहीं जिक्र तक नहीं आया। इसी तरह कांगड़ा में केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा ऊना की एक ब्रांच के माध्यम से लाहौल-स्पीति में दिया गया ऋण एक बड़ा मुद्दा रहा है। इस मुद्दे की आंच तो एक समय शान्ता कुमार तक पहुंच गई थी। यह मुद्दे मुख्यमंत्री से लेकर नीचे तक हर प्रमुख कांग्रेस नेता के संज्ञान में रहे हैं। लेकिन चुनाव प्रचार में इस पर किसी ने सवाल तक नहीं उठाया। बल्कि कांगड़ा में आनन्द शर्मा की स्वीकार्यता बनाने के लिए मुख्यमंत्री को यह कहना पड़ा कि यदि नरेन्द्र मोदी बनारस से चुनाव लड़ सकते हैं तो आनन्द कांगड़ा से क्यों नहीं। कांगड़ा और हमीरपुर में कांग्रेस का चुनाव प्रचार आक्रामक होने की बजाये रक्षात्मक रहा है और यही नुकसानदेह होने की प्रबल संभावना है। दूसरी ओर इन दोनों क्षेत्रों में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिये पूरी आक्रामकता के साथ मुख्यमंत्री ने यह परोसा की यह लोग पन्द्रह-पन्द्रह करोड़ में बिक गये हैं। इस पर मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि के मामले दायर हो गये हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुये मुख्यमंत्री ने सुधीर शर्मा को भू-माफिया की संज्ञा देते हुये यह आरोप लगा दिया कि उसने अपने ड्राइवर के नाम पर 10 करोड़ की 82 संपत्तियां खरीदी है। लेकिन इस आरोप के कोई प्रमाण जारी नहीं किये। इसके जवाब में सुधीर शर्मा ने पूरे दस्तावेजी प्रमाणों के साथ मुख्यमंत्री के खिलाफ हमला बोला है। सुधीर शर्मा के आरोपों के परिणाम दूरगामी और गंभीर होंगे। यही नहीं बड़सर में 55 लाख रुपये मिलने के एक मामले को मुख्यमंत्री ने अपने ब्यानों में यहां तक उछाला है कि इस कथित कैश को लखनपाल के नाम तक लगा दिया। मुख्यमंत्री द्वारा यह आरोप लगाये जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बड़सर गये। जयराम ठाकुर ने जनसभा में यह कहा कि उन्होंने यह कथित 55 लाख पकड़े जाने की घटना का मीडिया और प्रशासन के माध्यम से यह जानकारी जुटाने का प्रयास किया कि किस से यह 55 लाख किस अधिकारी ने पकड़े हैं। किस थाने में इसको लेकर मामला दर्ज हुआ है। जयराम ठाकुर ने भरी सभा में यह कहा है कि उनको मिली जानकारी के अनुसार ऐसी कोई घटना घटी ही नहीं है। जयराम ने मुख्यमंत्री के इस आरोप को कोरा झूठ करार दिया है। जयराम का यह खुलासा पूरे प्रदेश में फैल गया है। चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के नाम पर नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कोरा झूठ बोलने का आरोप लगना सारे परिदृश्य को ही बदल देता है। सुधीर के आरोपों के साथ जयराम ठाकुर का यह खुलासा पूरे चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है।