अवैध मस्जिद और अवैध प्रवासी मुद्दा कहीं सरकार के लिये घातक न हो जाये

Created on Monday, 30 September 2024 13:10
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। देवभूमि संघर्ष समिति अवैध मस्जिदों और अवैध प्रवासियों के खिलाफ उठे रोष पर उभरे आन्दोलन का नेतृत्व कर रही है। इस संघर्ष समिति ने प्रदेश भर में धरने प्रदर्शन आयोजित किये हैं। अब यह चेतावनी दी है कि यदि नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत से 5 अक्तूबर को मस्जिद के खिलाफ फैसला नहीं आता है तो संघर्ष समिति जेल भरो आन्दोलन शुरू कर देगी। मस्जिद में अवैध निर्माण का मामला लम्बे अरसे से अदालत में लम्बित चल रहा है। यह अवैध निर्माण यदि हुआ है तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की सरकारों के समय में हुआ है। मस्जिद में हुये अवैध निर्माण के साथ ही चार-पांच हजार और अवैध निर्माण होने का खुलासा शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य ने स्वयं किया है। मस्जिद सरकार की जमीन पर बनी है यह खुलासा सदन में पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने रखा है। अवैध प्रवासियों और स्टेट वैण्डरस को लेकर कमेटी बना दी गयी है। इस कमेटी की कोई बैठक होने और उसमें कोई इस संबंध में फैसला होने की कोई आधिकारिक जानकारी अभी तक नहीं आयी है। लेकिन ऐसी जानकारी के बिना मंत्री विक्रमादित्य सिंह का यह ब्यान आ गया है कि रेडी-फड़ी लगाने वालों को अपना नाम भी डिस्प्ले करना होगा। इस ब्यान का संज्ञान कांग्रेस हाईकमान ने भी लिया है और मंत्री को अपना ब्यान एक तरह से वापस लेना पड़ा। सरकार को भी अधिकारिक तौर पर यह कहना पड़ा कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। लेकिन इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने विक्रमादित्य सिंह के ब्यान का समर्थन कर दिया है। इस तरह सुक्खू सरकार के तीन मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और धनीराम शांडिल एक तरह देवभूमि संघर्ष समिति का समर्थन कर गये हैं। कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की भूमि पर्यटन विभाग को दिये जाने के खिलाफ खड़े हो गये हैं। इस तरह सुक्खू के चार मंत्री सरकार से अलग राय रखने वालों में गिने जाने लगे हैं। अवैध प्रवासी और मस्जिदों में अवैध निर्माण ऐसे मुद्दे बन गये हैं जिन पर कानूनी पक्ष कुछ और है तथा जन भावना कुछ अलग है। इस तरह इस समय जन भावना के दबाव में फैसला लेने का वातावरण बनाया जा रहा है। सरकार भी इन मुद्दों पर खामोश चल रही है अन्यथा दोनों मुद्दों पर समयबद्ध जांच बिठाकर इस समय उभरे तनाव के वातावरण को अलग मोड दे सकती थी। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है। इसलिये अवैध निर्माण के मामले में सब मामलों पर कानून के मुताबिक ही कारवाई करनी होगी। इस समय प्रदेश के कई छोटे-बड़े नेता भवन निर्माण व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। संभव है कि इनके निर्माण में भी कई कमियों को नजर अन्दाज कर दिया गया हो। इसलिये मस्जिदों में भी हो रहे अवैध निर्माण पर कारवाई करना आसान नहीं होगा। इसी तरह किसी भी भारतीय नागरिक को अवैध प्रवासी करार देना आसान नहीं है। हर आदमी की गतिविधियों पर नजर रखना कानून और व्यवस्था के तहत प्रशासन की जिम्मेदारी है। इसलिये किसी प्रवासी को अवैध करार देना कानून के तहत आसान नहीं है। इस तरह अवैध मस्जिद और अवैध प्रवासियों के मुद्दे को जिस तरह एक गैर राजनीतिक संगठन देव भूमि संघर्ष समिति को सौंप दिया है और पूरे आन्दोलन को हिन्दू संगठन के रोष का नाम दिया गया है। उसके राजनीतिक उद्देश्य कुछ अलग ही नजर आ रहे हैं। क्योंकि जब मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर पहला प्रदर्शन हुआ था उस समय भाजपा विधायक तक भी उसमें शामिल हो गये थे। संजौली में जो प्रदर्शन हुआ है और उसमें पुलिस को व्यवस्था बनाये रखने के लिए बल का भी प्रयोग करना पड़ा। उस प्रदर्शन में भाजपा संघर्ष के लोग भी शामिल थे। जिनको चिन्हित करके उनके खिलाफ मामले बनाये गये हैं। लेकिन इस प्रदर्शन के बाद भाजपा ने एक निर्देश जारी करके अपने हर स्तर के नेताओं को इस मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से रोक दिया है। इस तरह भाजपा रणनीतिक तौर पर इस आन्दोलन से सक्रिय तौर पर अलग हो गयी है। अब यह आन्दोलन हिन्दू संगठनों का ही विषय बन गया है। जिसका नेतृत्व देवभूमि संघर्ष समिति के हाथ में है। लेकिन इस मुद्दे पर जिस तरह कांग्रेस के मंत्री न चाहते हुये भी भागीदार बन गये हैं वह आगे चलकर सरकार के लिये नुकसानदेह होगा। क्योंकि इस सरकार को बने हुये दो वर्ष हो रहे हैं। मस्जिद निर्माण और दूसरे निर्माण में अवैधता होना मंत्री स्वीकार कर रहे हैं। मस्जिद सरकार की जमीन पर है यह भी मंत्री ने सदन में कहा है। ऐसे में यह सवाल उठेगा ही की अवैधता के इन मामलों पर सरकार ने क्या कारवाई की है और अवैधता की जानकारी कब और कैसे हुई?