नादौन में अदालत के स्टे के बावजूद छुट्टी के दिन प्रशासन की कारवाई बनी चर्चा का विषय

Created on Sunday, 01 December 2024 17:50
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के विधानसभा क्षेत्र नादौन में सरकार एक टूरिस्ट होटल बना रही है। इस फाइव स्टार होटल के लिये एशियन विकास बैंक से कर्ज लेकर धन का प्रबंध किया गया है। यह होटल बनाकर इसको चलाने के लिये इसे प्राइवेट सैक्टर को देने की योजना है। बल्कि सरकार ने इस संबंध में नौ अप्रैल को चण्डीगढ़ के होटल हयात में कुछ टूरिस्ट संपत्तियों के सुचारू संचालन के लिये प्राइवेट सैक्टर के दिग्गजों के साथ एक बैठक का भी आयोजन किया था। इन प्रस्तावित संपत्तियों में नादौन में बनाया जा रहा यह होटल भी शामिल है। लेकिन यह होटल अभी शुरुआती स्तर पर है। क्योंकि जिस जगह पर जलाड़ी में यह बनाया जा रहा है उस जमीन पर हिस्सेदारों में झगड़ा है और अदालत से यहां पर कोई भी निर्माण या निर्माण संबंधी गतिविधियां करने पर 28-11-2022 से स्टे लगा है। लेकिन अब 1-12-24 को रविवार छुट्टी के दिन प्रशासन ने अदालत के स्टे आर्डर को नजरअन्दाज करके निर्माण गतिविधि शुरू कर दी। जिन हिस्सेदारों ने स्टे हासिल किया था उनकी प्रशासन ने कोई बात नहीं सुनी। पुलिस ने भी अदालत के स्टे ऑर्डर को कोई अधिमान नहीं दिया।
पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है कि किसके दबाव में प्रशासन ने स्टे वाली जमीन पर खोद खुदाई का काम छुट्टी वाले दिन अंजाम दिया। इसी के साथ यह भी चर्चा में आ गया है कि क्या नादौन में फाइव स्टार होटल का निर्माण सरकार द्वारा किया जाना व्यवहारिक और लाभदायक सिद्ध हो पायेगा। इस समय पर्यटन विकास निगम द्वारा चलाये जा रहे होटल जिस तरह से प्रदेश उच्च न्यायालय में चर्चा में आये हैं उससे यह प्रस्तावित निर्माण स्वतः ही सवालों में आ जाता है। क्योंकि पर्यटन विकास निगम जब अपने सेवानिवृत कर्मचारियों के देय वित्तीय लाभों का भुगतान नहीं कर पाया तब यह मामला प्रदेश उच्च न्यायालय में पहुंचा। निगम ने उच्च न्यायालय में जब अपनी वित्तीय स्थिति का खुलासा अदालत में रखा तब उच्च न्यायालय ने निगम से परफॉरमैन्स रिपोर्ट तलब कर ली। इस रिपोर्ट में जब यह सामने आया कि निगम के होटल लगातार घाटे में चल रहे हैं तो इसका कड़ा संज्ञान लेते हुये इन होटलों को बंद करने के आदेश सुना दिये। क्योंकि यह घाटा प्रदेश के आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहा था। उच्च न्यायालय के आदेश से जब निगम में कार्यरत कर्मचारी प्रभावित हुये तब उनका संगठन इस पर गंभीर हुआ। निगम के कर्मचारी संघ ने निगम प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय में रखी रिपोर्ट को एकदम नकार दिया। कर्मचारी संघ ने सीधे आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट पर्यटन निगम की संपत्तियों को प्राइवेट सैक्टर के हवाले करने की नीयत से तैयार की गयी है। संघ ने निगम के उपाध्यक्ष को इस साजिश का सूत्रधार करार देते हुये उन्हें तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग कर दी।
पर्यटन निगम के कर्मचारी संघ के सक्रिय भूमिका में आने के बाद निगम प्रबंधन ने भी इस संद्धर्भ में कदम उठाये और उच्च न्यायालय में वायदा किया कि वह सेवानिवृत कर्मचारियों के सारे वितिय लाभों का तुरंत भुगतान कर देगा। इस भुगतान के लिये टाइम फ्रेम भी अदालत में सौंपा है। अदालत ने निगम के वायदे पर 18 होटलों को बंद करने के आदेश पर रोक लगा दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी को है तब पता चलेगा कि कितने सेवानिवृत्त कर्मचारीयों को भुगतान हो जाता है। पर्यटन निगम का मामला उच्च न्यायालय में पहुंचने के बाद दो मुख्य बिन्दु उभरे हैं। पहला कि निगम के होटल घाटे में चल रहे हैं और घाटे की स्थिति में यह है कि अपने सेवानिवृत कर्मचारियों को उनके लाभों का भुगतान तक नहीं कर पा रही है। दूसरा है कि निगम के होटल को प्राइवेट सैक्टर को देने की जमीन तैयार की जा रही है। सवाल उठता है कि जब निगम के पहले से चले आ रहे होटल घाटे में चल रहे हैं तो नये क्यों बनाये जा रहे हैं। पिछली सरकार के समय भी ऐसा हुआ सरकार कर्ज लेकर होटल बना रही है और उसे प्राइवेट सैक्टर को सौंप रही है। पिछली सरकार के समय यह मामला विधानसभा तक भी पहुंचा था। अधिकारियों को चिन्हित किया गया था परंतु अब सरकार बनने के बाद उस दिशा में कोई कारवाई नहीं है क्यों? दूसरा बिन्दु उभरा है कि निगम संपत्तियों को प्राइवेट सैक्टर के हवाले करने की भूमिका तैयार करने का इस संद्धर्भ में नादौन के प्रस्तावित होटल को लेकर हो रही गतिविधियों से यह शक पुख्ता होता है। क्योंकि नादौन में सरकार एडीबी से कर्ज लेकर यह होटल बना रही है परंतु इसे बनाकर प्राइवेट सैक्टर के हवाले करने की मंशा नौ अप्रैल को चण्डीगढ़ के होटल हयात में हुई बैठक से सामने आ जाती है। उस बैठक में नादौन की यह प्रस्तावित संपत्ति भी एजेंडा में थी। अब छुट्टी वाले दिन जिस तरह से प्रशासन ने अदालत के स्टे को अंगूठा दिखाते हुये हरकत की है उससे स्पष्ट हो जाता है कि शायद प्राइवेट सैक्टर के दबाव में ऐसा किया जा रहा है।

यह है स्टे आर्डर