क्या देहरा उपचुनाव के दौरान कांगड़ा बैंक ने क्षेत्र के महिलाओं मण्डलों को पचास-पचास हजार की सहायता दी है?

Created on Sunday, 09 March 2025 16:08
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक युद्ध चन्द बैंस के ऋण प्रकरण के बाद चर्चाओं के केंद्र में आ गया है। बैंस के ऋण प्रकरण की जांच प्रदेश की विजिलैन्स कर रही है। बैंस के खिलाफ ऊना में विजिलैन्स ने जनवरी में मामला दर्ज किया था। बैंस ने विजिलैन्स कार्यालय ऊना में ई.डी. और आयकर ने जो छापेमारी हमीरपुर और नादौन में की थी उस प्रकरण का शिकायतकर्त्ता वही था। स्मरणीय है कि इस छापेमारी में जो मामला ई.डी ने दर्ज किया है उसमें दो लोगों की गिरफ्तारी भी ई.डी कर चुकी है। यह छापेमारी चार लोगों पर हुई थी। बैंस द्वारा ऊना में खुलासा करने के बाद बैंस प्रकरण की जांच को विजिलैन्स मुख्यालय यिामला में ही चल रही है। अभी तक इस जांच को विजिलैन्स पुरा नही कर पायी है बल्कि बैंस के अतिरिक्त विजिलैन्स द्वारा कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के तत्कालीन चेयरमैन और प्रबन्ध निदेशक या किसी अन्य अधिकारी को बुलाकर पूछताछ करने का कोई प्रकरण सामने नहीं आया है। बैंस उच्च न्यायालय द्वारा अन्तरिम जमानत पर चल रहा है। अब उच्च न्यायालय में अगली पेशी 17 मार्च की है। अभी तक ई.डी. ज्ञानचंद और धर्मेन्द्र की गिरफ्तारी से आगे नहीं बढ़ पायी है और विजिलैन्स भी बैंस से आगे नहीं गयी है।
बैंस का मामला कांगड़ा केंद्रीय बैंक से संबंधित है और वह ई.डी. में शिकायतकर्त्ता भी है इसलिए ई.डी. की जांच शायद इस बैंक तक भी जा पहुंची है। ई.डी. के सूत्रों के मुताबिक इसी कांगड़ा बैंक द्वारा देहरा विधानसभा के उपचुनाव के दौरान मतदान से कुछ दिन पूर्व देहरा क्षेत्र के 68 महिला मण्डलों को पचास-पचास हजार रुपए की सहायता दिये जाने का मामला सामने आया है। इस बारे में जब बैंक के चेयरमैन कुलदीप पठानिया से शैल ने बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें इस मामले की जानकारी आज ही मिली है। ऐसे मामले चेयरमैन के सामने नहीं आते हैं प्रबन्ध निदेशक के स्तर पर ही निपट जाते हैं। मैं कल धर्मशाला जा रहा हूं और इसकी पूरी जानकारी हासिल करूंगा। चेयरमैन के जवाब से स्पष्ट था कि इस तरह का फैसला प्रबन्ध निदेशक के स्तर पर हुआ है। इसमें यह महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या इन महिला मण्डलों ने ऐसी सहायता के लिये कब आवेदन किया था? किस कार्य के लिये यह पैसा दिया गया और मतदान के कुछ दिन पूर्व ही क्यों दिया गया? क्या यह चुनाव आचार संहिता के दायरे में नहीं आता है? यदि इस तरह से पैसे का आवंटन हुआ है तो इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। यह जानकारी ई.डी. के सूत्रों के माध्यम से बाहर आयी है इसलिये इस हलके से नहीं लिया जा सकता। इस बजट सत्र में भी इस संबंध में प्रश्न पूछे जाने की संभावना है।