क्या प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर खामोश रहने का कोई समझौता है?
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Created on Saturday, 26 April 2025 11:57
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Written by Shail Samachar
- देहरा उपचुनाव में बांटे गये 78 लाख से उठा सवाल
- होशियार सिंह की शिकायत पर अब तक क्यों नहीं हुई कोई कारवाई?
शिमला/शैल। क्या प्रदेश सरकार और भाजपा में एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर खामोश रहने का कोई समझौता है। इस समय प्रदेश की वित्तीय स्थिति जिस मुकाम पर पहुंच गयी है उसके मुताबिक सारा ढांचा कब चरमरा कर ढह जाये यह स्थिति बनी हुई है। 2025-26 के बजट दस्तावेज पर नजर डालने पर यह सामने आया है कि इस वर्ष सरकार का कुल बजट 58514.31 करोड़ का है। जिसमें राज्य सरकार की अपनी कुल आय 20291.46 करोड़ है। शेष सब कुछ केन्द्र से आना है। कर्ज लेने की सीमा 7000 करोड़ है। वेतन और पैन्शन पर ही सरकार का 26294.08 करोड़ खर्च आयेगा। इसके अतिरिक्त कर्ज और ब्याज की अदायगी पर 12578.99 करोड़ खर्च होगा। इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य सरकार की अपनी आय और कर्ज से इन दो माहों का खर्च भी पूरा नहीं कर सकती है। सरकार की यह आय भी दो वर्ष में प्रदेश पर 5200 करोड़ का करभार डालने के कारण हुई है। ऐसे में सरकार की घोषणाएं और अन्य कार्यक्रम जमीन पर कितना आकार ले पायेंगे इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इस तरह की वितीय स्थिति में सरकार को अपने खर्चों और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना पड़ता है। लेकिन क्या सरकार यह सब कर पा रही है? अभी बजट सत्र में मंत्रियों, विधायकों सभी के वेतन भत्तों में ध्वनि मत से बढ़ौतरी हुई है। विपक्ष भी इस मौके पर चुप्पी साधे सरकार को समर्थन देता रहा है। विपक्ष सरकार के साथ किस हद तक खड़ा है यह देहरा विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक धर्मशाला और जिला कल्याण अधिकारी कांगड़ा द्वारा बांटे गये पैसे की शिकायत पर सामने आया है। यह पैसा बांटने की शिकायत इस उप चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक होशियार सिंह ने की है। शिकायत के मुताबिक इस उप चुनाव में कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक ने देहरा क्षेत्र के 67 महिला मण्डलों को चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद पचास-पचास हजार रुपए दिये। कांगड़ा जिला समाज कल्याण अधिकारी प्रदेश द्वारा क्षेत्र की एक हजार महिलाओं को 4500-4500 रूपये बांटे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में शायद सौ से कम पोलिंग बूथ हैं और हर पोलिंग बूथ तक शायद यह पैसा पहुंचा है। आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह पैसा बांटा जाना आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। उपचुनाव के दौरान यह पैसा बांटा गया। इसलिये इसे चुनाव को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। इस तरह यह बड़ा अपराध बन जाता है। संविधान की धारा 191(1) (e) के तहत चुनाव परिणाम आने के बाद इसकी शिकायत प्रदेश के राज्यपाल से किये जाने का प्रावधान है। इसलिए इसकी शिकायत होशियार सिंह ने 25 मार्च को राज्यपाल को भेजी है। हिमाचल में ऐसा पहली बार सामने आया है कि सरकारी अदारों ने चुनाव के दौरान इस तरह से पैसा बांटा हो। इससे आने वाले दिनों में हर चुनाव के दौरान हर चुनाव क्षेत्र में इस तरह से सरकारी अदारों द्वारा पैसा बांटने की अपेक्षा मतदाताओं को उम्मीदवार से हो जायेगी। इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होने के साथ ही भ्रष्टाचार का एक नया रास्ता सामने आ जायेगा जिसके परिणाम घातक होंगे। लेकिन प्रदेश भाजपा का नेतृत्व इस मुद्दे पर एकदम खामोश होकर बैठ गया है। इससे यही इंगित होता है कि शायद भाजपा शासन में भी इसी तरह का कुछ विधान सभा क्षेत्रों में हुआ हो। क्योंकि जब इस तरह से सरकारी अदारें ही चुनाव में पैसा बांटने लग जायेंगे तो इसके परिणाम गंभीर होंगे। होशियार सिंह की शिकायत को राज्यपाल की टिप्पणी के साथ चुनाव आयोग को भेजा जाना है लेकिन अभी तक ऐसा होने की कोई जानकारी सामने नहीं आयी है। सबसे बड़ी हैरानी तो यह है कि इस मामले पर प्रदेश भाजपा का नेतृत्व एकदम खामोश होकर बैठ गया है। जबकि ऐसा माना जा रहा है कि इस पर संभावित कारवाई से प्रदेश का पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल जायेगा। क्योंकि आने वाले दिनों में कांग्रेस नेतृत्व से राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह से एक कांग्रेस शासित राज्य में उपचुनाव के दौरान एक विधानसभा क्षेत्र में 78 लाख रुपए बांट दिया जाने का औचित्य और वैधानिक पात्रता क्या है?